रूपया ने तोड़ी सारी सीमाएं हुआ 60 के पार

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Dollar-vs-rupeeआखिरकार रूपया डॉलर के मुकाबले सारी सीमाएं तोड़ कर साठ के पार हो गया है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के एलान के बाद विदेशी निवेशकों के घरेलू बाजार से निवेश निकालने के बाद से ही भारतीय मुद्रा कमजोरी का नित नए रिकॉर्ड बनाती जा रही है। बुधवार को भी डालर के मुकाबले रूपया भरभरा कर बिर गया। अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में दिन के कारोबार के दौरान एक समय एक डॉलर की कीमत 60.76 रूपये तक पहुंच गई। बाद में इसमें थोड़ा सुधार हुआ और यह 60.73 रूपये पर बंद हुई।

हालांकि, रिजर्व बैंक रुपए की लाज 60 के लेवल पर भी बचाने को तैयार नहीं है। इससे फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में बुधवार को अफरातफरी मच गई। कई लोगों के लिए 60 का साइकॉलजीकल लेवल काफी अहमियत रखता है। बैंको को लग रहा था कि RBI रुपए को सपोर्ट देगा। हालांकिए ऐसा नहीं होने पर उनमें डॉलर नहीं खरीदने की आपाधापी मच गई।

डीसीबी के वाइस प्रेजिडेंट नवीन रघुवंशी ने बताया किए रुपया वापस 58.59 के लेवल तक आ सकता है। हालांकि यह कहां तक गिरेगाए इस बारे में कहना मुश्किल है। अब तक ऐसा नहीं हुआ था।’ आरबीआई के अगले ऐक्शन के बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल है। कुछ लोगों का मानना है कि वह बैंकों के लिए करंसी ट्रेडिंग लिमिट तय कर सकता है।

RBI पहले भी ऐसा कर चुका है। स्टैनचार्ट बैंक के समीरन चक्रवर्ती ने बताया, ‘बैंको के लिए ओवरनाइट ओपन पोजिशन लिमिट कम की जा सकती है। इससे रुपए को शॉर्ट टर्म में राहत मिलेगी। हालांकि करंसी पर प्रेशर कम करने के लिए तुरंत पॉलिसी रिफॉर्म की जरूरत है। 2014 लोकसभा चुनाव से पहले इसके आसार नजर नहीं आ रहे। टेक्निकल 63 के लेवल पर रुपए को रेजिस्टेंस का सामना करना पड़ सकता है।

साठ के मानौवैज्ञानिक स्तर को पार कर रूपये ने डॉलर के मुकाबले गिरावट का नया कीर्तिमान बना लिया है। विदेशी निवेशकों (FII) के कर्ज बाजार से निवेश निकालने के बाद से डॉलर के मुकाबले रूपये की कीमत लगातार कम हो रही है। इस महीने अब तक रूपये की कीमत लगभग सात फीसदी घट चुकी है।

एक डॉलर की कीमत 60 रूपये के पार जाते ही सभी बैंकिंग शेयर औंधे मुंह गिर पड़े हैं। बुधवार को FII ने बाजार से लगभग 550 करोड़ रूपये निकाल लिए है। इस महीने में अब तक FII शेयर बाजार से 9000 करोड़ रूपये निकाल चुका है।

सूत्रों के मुताबिक बाजार रूपये की कीमत को लेकर सरकार के रवैये से पसोपेश में है। रिजर्व बैक के हस्तक्षेप के अभाव में बाजार में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।