राहुल कि राहत सामग्री अटकी रास्ते में

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rahul soniaउत्तराखंड कुदरत के कहर से आई भयंकर तबाही के बाद यहाँ पर राजनीतिक पार्टियों ने सियासत का गंदा खेल शुरू कर दिया है जो कि अब भी जा रही है। कांग्रेस को बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने की कितनी फिक्र है इसकी पोल उस वक्त खुल गई जब यह खबर सामने आई कि राहत सामग्रियों से लदे जिन ट्रकों को उत्तराखंड के लिए रवाना किया गया था, वे बीच रास्ते में अटके पड़े है और इसकी जानकारी राजनीतिक सियासतदारों को भी नहीं है।

गौरतलब है कि रविवार को राहुल के विदेश से इंडिया आने के बाद उनकी बिगड़ी छवि को सुधारने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से राहत सामग्री के ताम-झाम से लदे ट्रकों का लौलिपोप उत्तराखंड के लिए तैयार किया।

सोमवार को राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में उत्तराखंड के बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री से लदी गाड़ियों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। उस दिन 24 ट्रकों को रवाना किया गया था जबकि 125 ट्रक पहले ही रवाना किये गए थे। राहत सामाग्री को लेकर शुरू हुई सियासी नौटंकी सिर्फ कांग्रेस तक सीमित नहीं रही। इसमें अन्य पार्टियों ने भी बढ़.चढ़ कर भाग लिया।

अब सूत्रों से पता चला है कि राहत सामग्री कि ट्रक तो रास्ते में ही अटके हुए हैं। जब ये बात सामने आई तो भला विपक्ष ऐसा मोका कैसे गवां सकता हैए जैसे ही ट्रकों के फंसे होने की बात सामने आई BJP को कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल गया। मुख्य विपक्षी दल के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हमारी पार्टी त्रासदी को लेकर तब तक कोई राजनीति नहीं करेगी जब तक सभी पीड़ितों को रेस्क्यू न कर लिया जाए।

सोमवार को राहत समाग्रियों से लदे हुए ट्रकों को सोनिया गांधी ने हरी झंडी दिखाई थी वे ऋषिकेश में फंसे हुए हैं। ट्रक ड्राइवरों को डीजल तक का पैसा नहीं दिया गया था। इससे कांग्रेस की गंभीरता को समझा जा सकता है। इसके बाद हमला BJP अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इस त्रासदी पर राजनीति की। मैंने राहत सामग्री को हरी झंडी भी नहीं दिखाई। सभी जानते हैं ऐसा किसने किया। यह सिर्फ वोट बैंक पोलिटिक्स है।

बरहाल यहाँ बात राहुल गांधी या नरेन्द्र मोदी के उत्तराखंड में लैंड करने कि हो या राहत देने की, यह इन सभी सियासतदारों को बखूबी यह पता है कि अपने फायेदा के लिए और विपक्ष के नुक्सान के लिए किसी भी बात पर राजनीति का दाव कैसे खेलना है।