बाबरी कांड में आडवानी समेत 12 आरोपियों को जमानत, जानिए क्या है पूरा मामला?

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नई दिल्ली : अयोध्या में बाबरी मस्जिद मामले को लेकर लखनऊ की CBI कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। मामले के आरोपी आडवाणी, उमा और मुलरीमनोहर जोशी कोर्ट में मौजूद रहे। कोर्ट ने मंगलवार को सभी आरोपियों को जमानत दे दी है। कोर्ट ने जमानत निजी मुचलके पर दी है।

इस फैसले पर उमा भारती ने कहा कि ये खुला आंदोलन था जैसे इमरजेंसी के खिलाफ हुआ था। इस आंदोलन में क्या साजिश थी, मुझे पता नहीं अभी।

बीजेपी नेता विनय कटियार ने कहा, ”मुलायम सिंह ने माना था कि गलती हुई है। 16 लोग मारे गए थे। उनके खिलाफ भी मामला चलना चाहिए। जितनी भी साजिश कर ली जाए, कोई भी साजिश काम नहीं आने वाली है।

साथ ही इस मुद्दे पर साध्वी ऋतंभरा ने कहा, ”मुझे उम्मीद है कि कोर्ट जल्द से जल्द इस मामले में फैसला देगा। आरोप सीबीआई ने लगाए हैं। कोर्ट में फैक्ट्स उनको पेश करने हैं। हमें कोर्ट पर भरोसा है।

 

इससे पहले, गेस्ट हाउस में आडवाणी से सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुलाकात की। उधर, केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि यह लीगल प्रॉसेस है। इसे होने दीजिए। हमारे नेता बेकसूर हैं। वे इस केस से पूरी तरह बरी हो जाएंगे। मैं इस पर कोई कमेंट्स नहीं करना चाहता हूं।

राम विलास वेदांती ने कहा, ”हमने कोई अपराध किया होगा तभी तो सजा मिलेगी। राम मंदिर को बनाने की कोशिश है। अधर्मियों का नाश करना अपराध नहीं होता है। राम मंदिर हमेशा से रहा है, मंदिर बनेगा। कोर्ट के फैसले पर यकीन है। हमारे हक में फैसला आएगा।’ किसने साजिश की, वहां किसने मूर्तियां स्थापित कीं, तो कांग्रेस का नाम आएगा। ताला किसने तोड़ा तो कांग्रेस का नाम आएगा। शिलान्यास किसने कराया तो कांग्रेस का नाम आएगा। ढांचा किसके कार्यकाल में तोड़ा…सवा 9 बजे कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। “नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे। नरसिम्हा के कार्यकाल में ढांचा टूटा तो साक्षी महाराज को घेरा जा रहा है, आडवाणी को लपेट रहे हैं। आप कांग्रेस को घेर नहीं रहे हैं, जो विभाजन कर रही है। हिंदू- मुसलमान के बीच में दरार पैदा करती रही है। हमने कौन सा पहाड़ तोड़ दिया। हमने जो किया, ठीक किया।”सीबीआई कोर्ट पहुंची साध्वी ऋतंम्भरा ने कहा, “मैंने कुछ भी गलत नहीं किया।”

 

गौरतलब है कि सीबीआई की स्पेशल कोर्ट बाबरी केस से जुड़े दो अलग-अलग मामलों की सुनवाई कर रही है। मस्जिद को ढहाने के केस में 22 मई को सुनवाई हुई थी। इसमें महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चंपत राय बंसल, धर्मदास और डॉ. सतीश प्रधान के खिलाफ आरोप तय नहीं हो सके थे। हालांकि, सतीश प्रधान को छोड़कर इनमें से कोई भी कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ था। कोर्ट ने इन सभी को आरोप तय करने के वक्त मौजूद रहने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि 30 मई को सुनवाई के दौरान इन आरोपियों की ओर से छूट या स्थगन को लेकर दायर की गई कोई भी एप्लिकेशन मंजूर नहीं की जाएगी।

जानिए, क्या है पूरा मामला?

उल्लेखनीय है कि दिसंबर, 1992 को दो एफआईआर दर्ज की गई थी। पहली अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ। इन पर मस्जिद ढहाने का आरोप था। इसकी सुनवाई लखनऊ कोर्ट में हुई थी। वहीं, दूसरी एफआईआर आडवाणी, जोशी और अन्य लोगों के खिलाफ थी। इन सभी पर मस्जिद ढहाने के लिए भड़काऊ स्पीच देने का आरोप था। इस केस की सुनवाई रायबरेली के सेशन कोर्ट में चल रही थी। पिछली सुनवाई में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, “लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का मामला चलना चाहिए।”

 

सीबीआई के वकील ने कोर्ट को बताया कि रायबरेली में 57 लोगों की गवाही ली जा चुकी है। वहीं, 100 से ज्यादा लोगों की गवाही ली जानी है। यह भी बताया कि सभी 21 आरोपियों के खिलाफ आरोपों को हटा लिया गया था। इनमें बीजेपी नेता भी शामिल हैं।
किन लोगों पर केस?

रायबरेली में चल रहे केस में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, सतीश प्रधान, चंपत राय बंसल, विष्णु हरि डालमिया, सतीश प्रधान, राम विलास वेदांती, जगदीश मुनि महाराज, बीएल शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धर्म दास का नाम शामिल हैं। इसके अलावा बाल ठाकरे, गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल, महंत अवैद्यनाथ, परमहंस रामचंद्र और मोरेश्वर सावे के नाम भी हैं। इन सभी लोगों का निधन हो चुका है।

 

आडवाणी, उमा पर आपराधिक साजिश का केस चलेगा : SC

19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने कहा था कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के मामले में आडवाणी समेत बीजेपी के 13 नेताओं पर आपराधिक साजिश का केस चलेगा। कोर्ट ने सीबीआई की पिटीशन पर ये फैसला सुनाया था। कोर्ट ने ये भी कहा था, “इस मामले में चल रहे दो अलग-अलग मामलों को एक कर दिया जाए और रायबरेली में चल रहे मामले की सुनवाई भी लखनऊ में की जाए। ये भी तय किया जाए कि सुनवाई दो साल में खत्म हो।” “सामान्य हालात में केस की सुनवाई टाली न जाए। जब तक सुनवाई पूरी न हो, तब तक जज का ट्रांसफर नहीं हो सकेगा। केस जिस लेवल पर थे, वहीं से शुरू होंगे।” बेंच ने सीबीआई को आदेश दिया था कि वह यह तय करे कि गवाह हर तारीख पर हाजिर हों। इनके अलावा, ट्रायल कोर्ट को आज की तारीख (19 अप्रैल) से चार हफ्तों के अंदर सुनवाई शुरू करनी चाहिए।