सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में मुजफ्फरनगर

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mujafarnagarमुजफ्फरनगर में बढ़ते सांप्रदायिक हिंसा से यहाँ का हाल बद से बत्तर और बेकाबू होते दिखाई दे रहे है, जिसके कारण जवानों को गोलियां चलाकर हालात को काबू करने कि नौमत आ गई है। लेकिन ग्रामीण इलाकों की बात करें तो यहाँ हिंसा फैलने के हालात जस के रस बने हुए हैं। ग़ौरतलब है कि पिछले हफ्ते छेड़खानी की एक घटना को लेकर यहां पर बवाल शुरू हुआ था जिसने बाद में सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया।

ऐसे हालातों को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा बलों को दंगाइयों को देखते ही गोली मारने तक

के आदेश दे दिए हैं। इस हिंसा में मरने वालों की संख्या 30 और घायलों की 40 बताई जा रही है। इस बीच, बीजेपी विधायक दल के नेता हुकुम सिंह और संगीत सोम के अलावा राकेश और नरेश टिकैत समेत 40 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा शुरू होने से अभी तक भी हालात बेकाबू बने हुए हैं। हिंसा के ग्रामीण इलाकों में पहुंचने से स्थिति ने विकराल रूप धारण कर लिया है, कई स्थानों पर लोगों ने तोड़फोड़, आगजनी, लूटपाट और हिंसक झड़पों को भी अंजाम डे रहे हैं।

उधर प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अरुण कुमार का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में हिंसा फ़ैल जाने से उसे काबू करने में कठिनाई आ रही है। प्रदेश के गृह सचिव कमल सक्सेना के अनुसार हिंसाग्रस्त सिलौनी, शाहपुर, फुगना, कालापार और धौराकलां एसा सुरक्षा बालों कि तैनाती कि गई गई।

इसी के साथ मुजफ्फरनगर शहर के 3 थाना क्षेत्रों.सिविल लाइंसए कोतवाली और नई मंडी में कर्फ्यू लागू है। इन इलाकों में सेना ने फ्लैग मार्च क्या। सेना और राज्य पुलिस के जवानों के अतिरिक्त जिले में 1000 PAC, 1300 CRPF और 1200 RPF के जवान तैनात किये गए हैं।

उधर उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले पर घिर गई है। राज्यपाल ने मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है और इसमें टिप्पणी की गई है कि यूपी सरकार को पहले ही इस तरह की घटना के बारे में आगाह किया गया था, लेकिन सरकार इसे रोकने में नाकाम रही। जाहिर है यह सीधे तौर पर यूपी सरकार की साख पर उंगली उठाने जैसा है।

मुजफ्फरनगर में हिंसा के लिए लोगों को उकसाने के आरोप में 4 बीजेपी नेताओं समेत कुल 40 लोगों को नामजद किया गया है। इन पर महापंचायत बुलाने का आरोप है और इनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की दबिश जारी है।

इसके साथ गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे पहले भी कह चुके हैं कि पिछले एक साल में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। पिछले साल देशभर में सांप्रदायिक हिंसा की 410 घटनाएं सामने आई थीं, लेकिन इस साल सितंबर महीने तक ही सांप्रदायिक हिंसा की 451 घटनाएं हो चुकी हैं। शिंदे ने सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी को चुनाव करीब आने से भी जोड़ा है।