आय से अधिक संपत्ति मामले में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को 4 साल की सजा

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तमिलनाडु की मुख्यमंत्री को 18 साल पुराने आय से अधिक संपत्ति के मामले में बेंगलुरु की विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए चार साल की सजा सुनाई है और अब उन्हें जेल जाना होगा। जयललिता अब मुख्यमंत्री नहीं रह सकती हैं और उनकी विधानसभा की सदस्यता भी रद्द हो जाएगी। चुनाव लड़ने के लिए उन्हें ऊपरी अदालत से बरी होना जरूरी है।

जयललिता के ऊपर 18 साल पहले आय से अधिक 66.65 करोड़ रुपये की संपत्ति के मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। यह मामला तब दर्ज हुआ था, जब वह पहली बार मुख्यमंत्री बनी थीं और अब वह तीसरी बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री हैं। साल 1991 में मुख्यमंत्री बनने के बाद जयललिता ने तीन करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की थी। मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने बस एक रुपये महीना वेतन पर काम किया। उनके खिलाफ आरोप यह है कि उनके पास उनके कार्यकाल की समाप्ति तक 66.6 करोड़ रुपये की संपत्ति कैसे हो गई। आरोप लगा कि चेन्नै और उपनगरों में उनके पास कई मकान, हैदराबाद में फार्महाउस और नीलगिरि में चाय बागान है। उनके घर पर छापे में 28 किलो सोना, 800 किलो चांदी, 10500 साड़ियां, 91 घड़ियां और 750 जोड़ी जूते मिले थे। ये सब रिजर्व बैंक की बेंगलुरु शाखा में जमा है। जयललिता के साथ इस मामले में दो और लोग अभियुक्त हैं।

तमिलनाडु सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक विभाग ने इसे चेन्नई की विशेष अदालत में 1996 में केस दायर किया था। उनकी निकट सहयोगी शशिकला नटराजन, उनकी रिश्तेदार इलावरासी, उनके भतीजे और जयललिता द्वारा बेदखल किए जा चुके उनके गोद लिए गए बेटे सुधाकरन समेत अन्य को मामले में आरोपी बनाया गया है।

जयललिता के खिलाफ कोर्ट के इस फैसले को देखते हुए तमिलनाडु और बेंगलुरु में सुरक्षा व्यवस्था के विशेष इंतजाम किए गए हैं। पुलिस ने जयललिता समर्थकों के उग्र होने की आशंका को देखते हुए तमिलनाडु ने डीएमके नेताओं की सुरक्षा बढ़ा दी है।

इस मामले में स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर जी. भवानी सिंह ने बताया कि जयललिता को सभी आरोपों में दोषी ठहराया गया है। सजा की मियाद पर बहस 3 बजे शुरू होगी। उन्हें जिन धाराओं में दोषी ठहराया गया है, उसके तहत एक से सात साल तक की सजा हो सकती है। इस केस के स्पेशल जज जॉन माइकल 20 सितंबर को ही फैसला सुनाने वाले थे, लेकिन सुरक्षा कारणों से इसे टालकर 27 सितंबर कर दिया गया।

राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील होने की वजह से इस मामले की सुनवाई के लिए बेंगलुरु में पुलिस ने विशेष व्यवस्था की है। वकीलों की ओर से सुरक्षा को लेकर चिंता जताने के बाद शहर से 20 किलोमीटर दूर बेंगलुरु सेंट्रल जेल में विशेष अदालत को शिफ्ट कर दिया गया है। पुलिस और प्रशासन को आशंका है कि जयललिता के समर्थक बेकाबू हो सकते हैं। इसलिए इलाके में 6 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। जयललिता के बेंगलुरु पहुंचने से पहले ही उनके समर्थन में एआईएडीएमके के हजारों कार्यकर्ता बेंगलुरु पहुंच गए थे। पुलिस ने उनके कुछ समर्थकों पर लाठीचार्ज भी किया है। कर्नाटक पुलिस की इंटेलिजेंस रिपोर्ट में बवाल की आशंका जताए जाने के बाद बेंगलुरु पुलिस ने कोर्ट के आसपास कर्नाटक रिजर्व पुलिस को भी तैनात करने का फैसला किया है।

इससे पहले 2001 में भ्रष्टाचार के एक अन्य केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जयललिता को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था। सितंबर 2001 में जयललिता की विधानसभा की सदस्यता निरस्त कर दी गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के इस फैसले को बरकरार रखा था। उन्होंने इस्तीफा दे दिया और ओ पनीरसेल्वम को अपनी जगह मुख्यमंत्री बना दिया। हालांकि, छह महीने बाद वह उपचुनाव जीत कर फिर मुख्यमंत्री बन गईं। इस बार स्थिति अलग है। इस बार जयललिता की राह में रोड़ा बनेगा सुप्रीम कोर्ट का पिछले साल 10 जुलाई को आया फैसला। इसमें कोर्ट ने उस कानून को निरस्त कर दिया था, जो अदालत से दोषी करार विधायकों और सांसदों को अपील लंबित रहने तक सदस्य बने रहने की सुविधा देता था।