न्यायालय का आदेश नहीं मानते अधिकारी

Like this content? Keep in touch through Facebook

Bihar-Policelogoबिहार के अधिकारियों पर न्यायालय के आदेश का कोई असर नहीं होता वह वही करते हैं जो उनकी मर्जी होती सुसासन कि सरकार में अधिकारियों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि आम जन तो दूर न्यायालय के आदेश को भी ठेंगा दिखाने में नहीं हिचकते।

जि हाँ न्यायालय के आदेश के बावजूद तीस वर्षों से न्याय के लिए भटक रहा है एक शिक्षक। मामला पूर्वी चम्पारण जिले के हरसिद्धि प्रखण्ड के भादा पंचायत में स्थित प्राथमिक विद्यालय के सहायक शिक्षक मुस्ताक अहमद खां की बर्खाश्तगी की है। पांच जनवरी 1981 में मौखिक आदेश पर हटाये गये शिक्षक श्री खां की दुःखड़ा सुनने वाला कोई नहीं है। आज उक्त शिक्षक और उसके परीवार भूखमरी के कगार पर हैं उच्च न्यायालय का आदेश सीडब्ल्यूजेसी संख्या 3051/06 यहां बेअसर साबित हुआ और सारी प्रक्रियाये होने के बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उनका योगदान नहीं लिया।

न्यायालय के आदेश के आलोक में प्रारंभिक शिक्षक बिहार उप निदेशक पटना ने आदेश संख्या 335 दिनांक 14 मार्च 1991 के तहत अरेराज के क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी से मामले की जांच करायी और जांच में फरियादी श्री खां के तमाम दावों को सही पाया। फिर भी श्री खां को न्याय नहीं मिला और जिलाधिकारी के जनता दरबार से लेकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक चक्कर लगाया और नतीजा शून्य रहा। इधर श्री खां ने अंजुमन इस्लामिया मोतिहारी को एक पत्र लिखकर मामले से अवगत कराया है और न्याय दिलाने की मांग की है।