511 दिन में हजारों मील पैदल सफर कर भारत पहुंचा स्पेनी जोड़ा

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नई दिल्ली: घूमने फिरने की चाहत तो अधिकांश लोगों में होती है, लेकिन स्पेन के एक युगल ने अपने देश से भारत तक का सफर पैदल ही तय कर डाला है। यह सफर तय करने में उन्हें 511 दिन लगे। खास बात यह है कि यात्रा के दौरान उन्होंने रास्ता पता करने के लिए स्मार्टफोन तक का इस्तेमाल नहीं किया। इस दौरान वह केवल कागज पर बने नक्शों पर निर्भर रहे थे।

स्पेन की मार्टा मार्टिनेज समालेया और मूलत: बुल्गारिया के बॉरिस कानेव तुर्की, इराकी कुर्दिस्तान, ईरान, मध्य एशियाई मरुभूमि, चीन, बर्मा और कई अन्य देशों से होते हुए कुछ दिनों पहले ही भारत पहुंचे हैं। 22 महीने की लंबी यात्रा के दौरान उन्हें कई अच्छे-बुरे अनुभव हुए, जिसे उन्होंने हाल में अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी साझा किया है।

बॉरिस कानेव के अनुसार, ‘भारत तक इस पैदल यात्रा का लक्ष्य यही था कि हम अलग-अलग स्थानों के रोजमर्रा के जीवन को देख सकें। यह लोगों से मिलने का बहुत अच्छा तरीका है और ऐसी घटनाओं को जानने का भी जिनके बारे में वैसे कभी पता न चलता।’ यात्रा के दौरान उन्होंने कई स्थानों पर वाहन चालकों से लिफ्ट ली तो कई अन्य जगह अनजान लोगों की दया पर समय बिताना पड़ा था। रोचक तथ्य यह है कि इस यात्रा में मार्टा और बॉरिस की हमसफर रही बर्मा नामक उनकी बिल्ली।

हालांकि मार्टा और बॉरिस के अनुसार उन्हें कई स्थानों पर परेशानियां भी झेलनी पड़ी थीं। लेकिन उनसे उनके सफर का मजा दोगुना हो गया था। एक जगह तो बॉरिस को पेट की तकलीफ के कारण अस्पताल तक में भर्ती होना पड़ा था।

मार्टा के अनुसार इतने लंबे सफर में नदियां, रेगिस्तान और पहाड़ पार करने के दौरान वह यातायात के लिए हवाई जहाज के बारे में भूल ही चुके थे। वह कहती हैं कि तुर्की व मध्य एशिया के कजाक क्षेत्र का सौंदर्य और चीन की कलाकारी के नमूने उन्हें बेहद पसंद आए। हालांकि अभी उन्होंने भारत के बारे में कुछ भी नहीं कहा है क्योंकि वह कुछ ही दिन पहले बर्मा के रास्ते यहां पहुंचे हैं। इन दिनों मार्टा और बॉरिस मध्यप्रदेश के रमणीक सौंदर्य का आनंद ले रहे हैं।

मार्टा के अनुसार, ‘जमीन पर यात्रा करना यह जानने का अनोखा अनुभव होता है कि पृथ्वी एक है और कैसे स्थानीय संस्कृतियां परिदृश्य पर असर डालती हैं। अजनबियों पर भरोसा करना अच्छा रहता है। इस सफर में कई घरों के दरवाजे हमारे लिए खुले, कई नई बातें पता चलीं और कई नए दोस्त भी बने, जिनसे हम फिर मिलना चाहेंगे। अब एशिया का मानचित्र देखने पर हमें केवल स्थान और भवन ही नहीं नजर आते बल्कि रोजमर्रा के जीवन की कई कहानियां याद आती हैं।