साधन संसाधनों से आज भी कोसों दूर हैं बहुसंख्यक लोग, एक विचारधारा के साथ जुड़ने की जरूरतः विद्या गौतम

Like this content? Keep in touch through Facebook

कानपुर: अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग के लोगों को एक विचार धारा के साथ एक जुट होकर आगे आना होगा तभी समाज की तरक्की सम्भव है। बाबा साहब अम्बेडकर और महामना कांशीराम की विचार को अपनाकर ही अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग के लागों को एक जुट होकर अपने हक के लिए लड़ना होगा। यह वक्तव्य पिछड़ा समाज महासंघ द्वारा आयोजित एससी एसटी ओबीसी के एक दिवसीय जाग्रति सम्मेलन के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय अम्बेडकर महासभा की अध्यक्ष सुश्री विद्या गौतम ने कहे।

रविवार को शहर के नौबस्ता गल्ला मण्डी स्थित गौतम बुद्ध महाविद्यालय में आयोजित एससी एसटी ओबीसी के एक दिवसीय जाग्रति सम्मेलन का शुभारम्भ बुद्ध बन्दना से किया गया। इस दौरान कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विद्या गौतम ने कहा कि देश की बहुसंख्यक आवादी के लोग आज भी साधन संसाधनों से कोसों दूर हैं और यही समाज की तरक्की में बाधा है।

उन्होंने अपने संम्बोधन में कहा कि बहुसंख्यक आवादी के समाज को शैक्षिक, सामाजिक राजनैतिक, आर्थिक व धार्मिक अधिकारों के लिए आज भी जूझना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हक और अपनी हिस्सेदारी की लड़ाई के लिए एससी एसटी ओबीसी को आपसी भाईचारे के साथ बाबा साहब अम्बेडकर और महामना कांशीराम की विचारधारा को अपनाकर एक जुट होना होगा। तभी हक की लड़ाई जीती जा सकेगी और देश की बहुसंख्यक अवादी के लिए न्याय कायम होगा। उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक समाज की महिलाएं आगे आए तो समाज की तरक्की तेज होगी।

इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद राजकीय इंण्टर कॉलेज के प्रवक्ता पीएल द्रविण ने कहा कि पिछडे समाज के लोगों को अपने इंतिहास को जानना जरूरी है तभी यह ज्ञान होगा की समाज को तोड़ने वालों ने अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग को विभाजित कर बहुसंख्यक भाईंयों को आपस में लड़ाया है। इस दौरान प्रताप सिंह यादव ,महेश कुशवाहा, आरके वर्मा, रामदयाल प्रजापति सुरेश यादव, गोपाल गोटी आदि ने अपने विचार रखे । कार्यक्रम के संयोजक डाक्टर आरके वर्मा व सह संयोजक तेजबहादुर कुशवाहा सहित रामशरण प्रजापति, बनवारी लाल प्रजापति, ज्ञानेन्द्र सिंह, अजय पासवान, शिवराम पाल, राजू यादव, कालीचारण संखवार, संतोष कुरील, शिवाजी, सर्वेश कश्यप, शशिकान्त सचान, ओमप्रकाश विश्वकर्मा, डॉ. अनिल साहू, सर्वेश सविता, नरेश राजपूत, सोहन लाल सोनकर, कल्लू यादव, डॉ. एके मौर्या, मलखान यादव आदि रहे। सम्मेलन में मौजूद लोगों को जलपान की व्यवस्था भी की गई।

अपने गिरेबां में झांक कर तरक्की को निहारें
कार्यक्रम में विद्या गौतम ने कहा कि हमें अपने पिछड़ेपन और तरक्की में वाधा को लेकर दूसरों को कोसना बन्द करना होगा। आज के समय में काफी बदलाव है और हक और हिस्सेदारी के लिए यदि एक जुट होकर आगे आएं तो कुछ ही वर्षों में समाज की तस्वीर बदल सकती है। उन्होंने कहा कि हम मेहनतकश समाज से है और अपनी तरक्की के लिए अपनी मेहन और जज्बे को प्रदर्शित करना होगा।

महिलाओं की उपस्थिति न होने पर जताई चिंता
कार्यक्रम में महिलाओं की उपस्थिति कम होने पर विद्या गौतम खफा दिखीं। उन्होंने इस बात पर चिन्ता जताते हुए कहा कि महिलाओं की तरक्की के बिना समाज की तरक्की कभी नहीं हो सकती। उन्होंने बाबा साहब अम्बेडकर के वक्तव्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि समाज के लोगों की तरक्की महिलाओं की तरक्की पर निर्भर करती हैं। उन्होंनें कहा कि जब महिलाएं कार्यक्रम में आएंगी नहीं और चर्चाओं को सुनेंगी नही तो बदलाव में सहयोगी कैसे बनेंगी?