नेपाल के काठमांडू विश्वविद्यालय अन्तर्गत डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे लगभग चार हजार भारतीय छात्रों का भविष्य खतरे में

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काठमांडू : नेपाल के काठमांडू विश्वविद्यालय अन्तर्गत डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे लगभग चार हजार भारतीय छात्रों का भविष्य विश्वविद्यालय के असंवैधानिक कार्यकलापों और चाईना नेपाल के द्वारा एन्टी इंडियन लॉबी के संदेहास्पद रवैये की वजह से आज भी अधर में है।

हम आपको बतातें चलें कि,नेपाल के काठमांडू विश्वविद्यालय अंतर्गत दस मेडिकल कॉलेज हैं,जिसमे लगभग चार हजार भारतीय छात्र-छात्राएं डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहें हैं,काठमांडू विश्वविद्यालय कॉपी रिचेकिंग के नाम पर प्रति कॉपी @ 15000/पंद्रह हजार की फालतू इनकम और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ के नाम पर उनमें से लगभग 90℅ प्रतिशत भारतीय छात्रों को वर्ष 2011 से लगातार ही जानबूझ कर फेल कर दिया जाता रहा है,फलस्वरूप उन छात्रों को आर्थिक,सामाजिक,और मानसिक रूप से अमानवीय क्षति का शिकार होना पड़ रहा है।

इसके पहले भी वहाँ पढ़ाई कर रहे कुल 134 एक सौ चौंतीस छात्रों को गलत तरीके से कॉपी निरीक्षण कर उन्हें फेल करते हुए बिना डिग्री के ही वहां से भारत भगा दिया गया।इस बाबत नेपाल अवस्थित इंडियन मेडिकल स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट महावीर गुज्जर एवं सेक्रेटरी नेहा सेन नेता द्विय ने बताया कि,लगभग डेढ़ महीने से उनके द्वारा चलाये जा रहे इस आन्दोलन के अंतर्गत वे कई बार काठमांडू विश्वविद्यालय में गुहार लगाया किन्तु जब कोई सुनवाई नही हुई तब इन्होंने नेपाल अवस्थित भारतीय दूतावास,प्रधानमंत्री नेपाल, प्रधानमंत्री भारत,विदेश मंत्री भारत सहित कई लोगों को शिकायत पत्र लिखा,मीडिया के द्वारा भी खबर पूरे देश मे छपी,जिस पर नेपाल अवस्थित भारतीय दूतावास के सहायक सचिव सी.पी.सिंह ने दूरभाष पर बताया कि,उन्होंने भारतीय दूतावास के माध्यम से कई बार काठमांडू विश्वविद्यालय को तलब किया किन्तु उनकी ओर से भारतीय छात्रों के हित में जब किसी भी प्रकार की सकारात्मक सहयोग नहीं मिला तब भारतीय दूतावास को एक एडवाइस नोट जारी करना पड़ा,जिसमे यह स्पष्ट इंगित है कि, अब नेपाल में भारतीय छात्र अगर नेपाल के किसी भी मेडिकल कॉलेज में नामांकन कराएंगे तो वो खुद अपने जोखिम पर नेपाल के नियमानुकूल बिना किसी एजेंट के द्वारा दिये गए प्रलोभन के कराएंगे,तथा अपने ही भारत में या किसी अन्य देशों में पढ़ाई करें,मगर नेपाल में नामांकन न लें।

इस प्रकार भारतीय दूतावास पहली बार नेपाल के संदर्भ में इस प्रकार का एडवाइस नोट जारी किया है,फिर भी ये मेडिकल छात्रगण न्याय से वंचित ही रह गए। इसके बाद इन्होंने जब अपना रुख अपने देश की राजधानी दिल्ली की ओर कर लिया,जिसके तत्पश्चात उनकी मुलाकात वहीं अररिया के बीजेपी सांसद प्रदीप कुमार सिंह से हुई उन्होंने इस मामले को भारत के विदेश मंत्री,और प्रधानमंत्री सहित इसे संसद में उठाने की बात कही।

यही नहीं,इस महत्वपूर्ण विषय पर सकारात्मक दवाव को लेकर सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने महावीर गुज्जर को साथ लेकर दिल्ली पहुंचे,खास इस आंदोलन के प्रमुख सहयोगी,भारत-नेपाल पत्रकार समन्वय समिति (इंडो-नेपाल जॉर्नलिस्ट्स कोर्डिनेशन कमिटी) के प्रेसीडेंट व सिनिअर जॉर्नलिस्ट्स पंकज रणजीत की मुलाकात संसद भवन में कई सांसदों से करवाई और तब जाकर एक सकारात्मक सहमति के अंतर्गत उस ऐतिहासिक दिन पर ही,लगभग रात्रि के 10 बजे इन्हें उन चार हजार भारतीय छात्रों के हित में माननीय लोकसभा स्पीकर ओम बिरला जी के समक्ष उनकी अनुमति से इस प्रश्न को लेकर आवाज बुलंद करने का मौका मिला जिस दिन जम्मू-कश्मीर और लद्दाक तीन अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाकर भारी मतों से धारा 370 व 35 A को निरस्त कर दिया गया।

हांलाकि सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने इस मामले को कम समयकाल में ही बखूबी उठाया,जिस पर माननीय लोकसभा स्पीकर ने प्रदीप सिंह को इस महत्वपूर्ण विषय के लिए प्रश्नकाल के उपरांत व्यक्तिगत तौर पर भी मिलने को कहा,जिससे यह स्पष्ट होता है कि,इस विषय पर फैसला देर से ही सही मगर नेपाल में पढ़ रहे उन चार हजार भारतीय छात्रों का भविष्य निश्चित ही सुरक्षित कर सकेगा।

पंकज रणजीत, भारत-नेपाल सीमा