कोर्ट ने नौ कैबिनेट मंत्रियों सहित थाईलैंड की प्रधानमंत्री को पद से हटाया

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ttttttttttttttttttttttttttttबैंकॉक: थाईलैंड की एक अदालत ने प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा और उनकी कैबिनेट के नौ मंत्रियों को सत्ता के दुरुपयोग के एक मामले में दोषी ठहराते हुए उनके पद से बर्खास्त कर दिया। इसके साथ ही संकटग्रस्त देश में नई राजनीतिक उथल-पुथल पैदा हो गई है।

संवैधानिक अदालत ने कहा कि थाविल प्लेनसरी को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के महासचिव के पद से स्थानांतरित करने में यिंगलक की भूमिका थी और यह स्थानांतरण असामान्य तरीके से जल्दबाजी में किया गया।

46 वर्षीय यिंगलक ने दलील दी थी कि उन्होंने यह मामला अपने उप मंत्री को सौंपा था इसलिए उन्होंने इसमें भूमिका नहीं निभाई। अदालत ने यिंगलक की कैबिनेट के नौ मंत्रियों को भी यह निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल पाया और उन्हें उनके पद से हटाए जाने का आदेश दिया।

अदालत ने कैबिनेट मंत्रियों प्राचा प्रोमनोग, चालेर्म यूबामरंग, प्लोदप्रासोप सुरसवदी, कित्तिरत्त ना-रानोंग, सुरापोंग तोविचाकचैकुल, सांती प्रोम्फत, अनुदिथ नाकोर्नथाप, युथासाक सासिप्राफा और सिरिवत काचोर्नप्रसार्त को उनके पदों से हटाने का आदेश दिया।

अदालत ने कहा कि यह स्थानांतरण केवल चार दिन में किया गया और स्थानांतरण संबंधी दस्तावेजों की तिथियों में विसंगति थी, इसलिए यह प्रक्रिया अनियमित थी। पीठासीन जज चारून इंताचान ने अपने आदेश में कहा, इसलिए उनका प्रधानमंत्री का दर्जा समाप्त हो गया है, यिंगलक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में अपने पद पर अब बनी नहीं रह सकती हैं।

अदालत की इस कार्यवाही का प्रसारण टीवी पर किया गया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यिंगलक ने स्थानांतरण को मंजूरी देने में हिस्सा लिया।

अदालत ने कहा कि उसके पास नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति सात दिन में करने का आदेश देने का अधिकार नहीं है। सीनेटर पैबुल नितितावान ने कल मामले की सुनवाई के दौरान अनुरोध किया था कि सात दिन में नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति का आदेश दिया जाए। पैबुल ने यिंगलक के खिलाफ सत्ता के दुरुपयोग का मामला दर्ज किया था।

अदालत ने आदेश दिया कि केवल कार्यवाहक प्रधानमंत्री और निर्णय में शामिल कैबिनेट के नौ मंत्रियों को पद से हटाया जाए। अदालत ने यिंगलक की इस दलील को खारिज कर दिया कि उनका प्रधानमंत्री का दर्जा समाप्त हो गया है इसलिए अदालत को इस मामले की सुनवाई करने का अधिकार नहीं है।

अदालत ने कहा कि यिंगलक ने जब सदन को भंग किया तब उनका प्रधानमंत्री पद का दर्जा समाप्त नहीं हुआ था। अदालत ने कहा कि यिंगलक का प्रधानमंत्री का दर्जा बरकरार था क्योंकि वह और उनके कैबिनेट ने कार्यवाहक सरकार के रूप में काम किया इसलिए अदालत इस मामले की सुनवाई कर सकती है।