राज्यसभा में तेलंगाना बिल पास, सीमांध्र को पांच साल के लिए विशेष दर्जा

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teभारत में 29वें राज्य तेलंगाना के गठन का रास्ता साफ हो गया है। राज्यसभा में भारी हंगामे के बीच गुरुवार को तेलंगाना बिल पास हो गया। लोकसभा इस विधेयक को दो दिन पहले ही मंजूरी दे चुकी है। इसके साथ ही गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सीमांध्र को 5 सालों के लिए विशेष दर्जा देने की घोषणा की। इस मौक पर प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि सीमांध्र क्षेत्र के लोगों की हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि सीमांध्र क्षेत्र के लोगों की हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी।

लोकसभा इस विधेयक को दो दिन पहले ही मंजूरी दे चुकी है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उच्च सदन में ऐलान किया कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद बनने वाले राज्यों को छह सूत्री विकास पैकेज दिया जाएगा। सीमांध्र को विशेष पैकेज दिए जाने की भी घोषणा की गई। विधेयक पर मत विभाजन नहीं करवाने के विरोध में माकपा, सपा और बीजद के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। प्रधानमंत्री ने विधेयक पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विभाजन के बाद बनने वाले दोनों राज्यों में औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कर रियायतें प्रदान की जाएंगी।

विधेयक पर चर्चा के दौरान तेदेपा के सीएम रमेश और वाई एस चौधरी तथा तृणमूल कांग्रेस के कई सदस्य आसन के समक्ष लगातार नारेबाजी करते रहे। प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे तथा अन्य दलों के वरिष्ठ नेता जब सदन में बोल रहे थे, उस दौरान तृणमूल के सदस्य नारेबाजी करने के साथ कागज फाड़कर हवा में उछाल रहे थे।

इसी के साथ उच्च सदन में तेलंगाना विधेयक को पारित कराने में सरकार को विशेष कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि मुख्य विपक्षी दल ने किसी भी संशोधन पर मत विभाजन के लिए जोर नहीं दिया। भाजपा नेता एम वेंकैया नायडू ने कई संशोधन पेश किए थे, लेकिन शिंदे और केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से वह संतुष्ट हो गए।

हालांकि माकपा नेता सीताराम येचुरी तथा तृणमूल कांग्रेस के कई सदस्यों ने इस मामले में भाजपा और कांग्रेस के बीच ‘मैच फिक्सिंग’ का भी आरोप लगाया।
इसी के साथ शिंदे ने कहा कि तेलंगाना राज्य के गठन का फैसला सरल नहीं था। यह निर्णय व्यापक विचार विमर्श तथा सभी कारकों को ध्यान में रखकर किया गया। उन्होंने कहा, यह हमारी मंशा नहीं थी कि एक क्षेत्र या मौजूदा राज्य की कीमत पर विभाजन किया जाये। शिंदे ने कहा, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद बनने वाले राज्य की अर्थव्यवस्था विकसित होती रहे, केन्द्र सरकार आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद बनने वाले राज्यो में रायलसीमा एवं उत्तर तटीय जिलों के लिए एक विशेष विकास पैकेज प्रदान करेगा।

विधेयक से जुड़े संवैधानिक मुद्दे उठाते हुए विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि दोनों नए राज्यों की संयुक्त राजधानी हैदराबाद में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यपाल को देने से संविधान की संघीय परिकल्पना का उल्लंघन होगा। साथ ही सीमांध्र राज्य को हैदराबाद से होने वाली कर आमदनी भी प्रभावित होगी। कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने जेटली की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने इन सभी मुद्दों पर व्यापक विचार करके ही विधेयक में उपयुक्त प्रावधान किए हैं। उन्होंने कहा कि यदि इस विधेयक को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जाती है तो शीर्ष न्यायालय के निर्देश पर अगली लोकसभा इस पर फैसला कर सकती है और जरूरत पड़ने में संविधान में संशोधन भी किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में ऐलान किया कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद बनने वाले राज्यों को 6 सूत्री विकास पैकेज दिया जाएगा। सीमांध्र को विशेष पैकेज दिए जाने की भी घोषणा की गई। प्रधानमंत्री ने बिल पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विभाजन के बाद बनने वाले दोनों राज्यों में औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कर रियायतें प्रदान की जाएंगी। बिल पर चर्चा के दौरान टीडीपी के सी.एम. रमेश और वाई. एस. चौधरी तथा तृणमूल कांग्रेस के कई सदस्य लगातार नारेबाजी करते रहे। प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे तथा अन्य दलों के सीनियर नेता जब सदन में बोल रहे थे, उस दौरान तृणमूल के सदस्य नारेबाजी करने के साथ कागज फाड़कर हवा में उछाल रहे थे।

उच्च सदन में तेलंगाना विधेयक के विरोध में हो रहे हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित की गयी। विधेयक को जब शिंदे सदन में चर्चा के लिए रखने जा रहे थे और जब प्रधानमंत्री चर्चा में हस्तक्षेप कर रहे थे, उस दौरान तृणमूल एवं तेदेपा के कुछ सदस्यों को सत्ता पक्ष की ओर बढ़ते देखा गया। लेकिन प्रमोद तिवारी सहित कई कांग्रेसी सदस्यों ने उन्हें चारों तरफ से घेर रखा था। चर्चा के दौरान कई बार शिवसेना सदस्य भी आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते देखे गए।

तेलंगाना बिल में केंद्र सरकार ने इस बात की दृढ़ प्रतिबद्धता जताई है कि पोलावरम परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना के तहत क्रियान्वित किया जाएगा। इसके लिए सभी जरुरी मंजूरियां ली जाएंगी तथा पूरी तरह से पुनर्वास सुनिश्चित किया जाएगा।