यह हमारे समाज कि कैसी विडंबना है कि एक ओर नारी को पूजनें की बात कही जाती है, वहीँ दूसरी ओर असमाजिक तत्व उसे रौंदने से बाज नही आते हैं। अक्क्सर यह माना जाता रहा है कि महिलाये ही जुर्म के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाती है जो समाज में...

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