मनीष सिसोदिया को झटका, कोर्ट ने 17 मार्च तक ईडी की रिमांड में भेजा

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दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में आप नेता मनीष सिसोदिया को 7 दिन के लिए ईडी की रिमांड पर भेजा गया है. राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को यह आदेश दिया. गुरुवार को ईडी ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. शुक्रवार को उन्हें दिल्ली स्थित राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया. ईडी ने कोर्ट से आप नेता की 10 दिन की हिरासत मांगी थी. लेकिन कोर्ट ने 17 मार्च तक आप नेता को रिमांड में भेजा है. सिसोदिया की पेशी के मद्देनजर राउज एवेन्यू अदालत परिसर के भीतर और बाहर सुरक्षा बल की भारी तैनाती की गई थी.

ED ने 100 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत के संबंध में सिसोदिया से पूछताछ की थी, जिसे आप पार्टी/नेताओं ने साउथ ग्रुप से कथित रूप से हवाला चैनल के जरिए हासिल किया था. उनसे हैदराबाद के व्यापारी अरुण पिल्लई और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता के बारे में भी पूछा गया. बता दें कि इससे पहले सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था और बाद में राउज एवेन्यू जिला अदालत ने 6 मार्च को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. वहीं आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई 21 मार्च को लिस्टेड की गई है.

राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल सीबीआई जज एमके नागपाल को भी सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करनी थी, जो समय की कमी के कारण वह नहीं कर सके. सुनवाई के दौरान ईडी ने यह कहते हुए सिसोदिया की 10 दिन की हिरासत की मांग की कि उन्हें पूरे घोटाले की कार्यप्रणाली का पता लगाना है.

रेस्तरां एसोसिएशन और सिसोदिया के बीच हुई बैठकों का हवाला देते हुए ईडी ने आरोप लगाया कि शराब पीने और अन्य चीजों की कानूनी उम्र को कम करने जैसी आबकारी नीति में रेस्तरां को छूट दी गई थी. केंद्रीय एजेंसी ने तर्क दिया कि सिसोदिया ने सबूत नष्ट कर दिए हैं. एजेंसी ने दावा किया कि एक साल के भीतर 14 फोन नष्ट करके बदले गए हैं. ईडी के वकील ने कहा कि सिसोदिया ने दूसरों के खरीदे गए फोन और सिम कार्ड जो उनके नाम पर नहीं हैं, का इस्तेमाल किया है ताकि वह बाद में इसे बचाव के रूप में इस्तेमाल कर सकें. यहां तक कि जो फोन वह इस्तेमाल करते हैं, वह भी उनके नाम पर नहीं है.

ED ने आरोप लगाया कि सिसोदिया शुरू से ही टालमटोल करते रहे हैं. सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने कहा कि उन्हें आज जमानत के लिए बहस करनी थी और उन्हें ईडी ने एक बार भी नहीं बुलाया. वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने भी सिसोदिया का प्रतिनिधित्व किया और कहा कि इन दिनों यह केवल एक फैशन है कि वे (एजेंसियां) गिरफ्तारी को अधिकार के रूप में लेती हैं. उन्होंने तर्क दिया कि अब समय आ गया है कि अदालतें इस अधिकार पर कड़ी कार्रवाई करें जो उन्हें लगता है कि उनके पास है.