रेप के आरोपी और पीड़िता के बीच विवाह के नाम पर समझौता महिलाओं की बेइज्ज्ती: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि रेप के मामले में विवाह पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने निचली अदालत के एक फैसले को चुनौती देने वाली मध्य प्रदेश सरकार की याचिका स्वीकार करते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की, जिसमें दुष्कर्मी को विवाह का प्रस्ताव स्वीकार कर लेने पर मामले से बरी कर दिया गया था।

कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि महिला के स्वाभिमान के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है । महिला का शरीर उसका मंदिर है ।

SC के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि दुष्कर्म के आरोपी और पीड़िता के बीच विवाह के नाम पर समझौता वास्तव में महिलाओं के सम्मान से समझौता है। साथ ही यह इस तरह के समझौते कराने वाले पक्ष की असंवेदनशीलता का भी परिचायक है।

सर्वोच्च कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर वह उदार रवैया नहीं अपना सकता । कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बारे में निचली अदालत का फैसला उसकी भारी भूल और असंवेदनशीलता को दर्शाता है, जिसने विवाह का प्रस्ताव स्वीकार कर लिए जाने के बाद दुष्कर्मी को मामले से बरी कर दिया ।