एयरलाइंस के मनमाने हवाई किराये वसूलने पर संसद की स्थाई समिति ने जताई चिंता,, लोअर- अपर बैंड फिक्स करने की सिफारिश की

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जब से केंद्र सरकार ने फिर से हवाई किराया तय करने का अधिकार एयरलाइंस को सौंपा है हवाई किराये में जबरदस्त उछाल देखा गया है. 31 अगस्त, 2022 को सरकार ने हवाई किराये तय करने का अधिकार फिर से एयरलाइंस को सौंप दिया था उसके बाद दिवाली, दशहरा, छठ, क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के दौरान एयर फेयर में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली थी. अब संसद की स्थाई समिति ने हवाई किराये में बढ़ोतरी को लेकर सवाल खड़े किए हैं. समिति ने सरकार से हवाई किराये के अपर और लोअर लिमिट पर कैप लगाने की सिफारिश की है.

हवाई किराये पर लगे लोअर-अपर लिमिट
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एक तरफ सरकार आम लोगों के लिए हवाई सफर को अफोर्डेबल बनाने और एयर कैपेसिटी बढ़ाने की बात करती है. वहीं ज्यादा एयरक्रॉफ्ट शामिल नहीं किया जा रहा है जिससे कैपेसिटी बढ़ाई जा सके. एयरलाइंस के अभाव में डिमांड बढ़ने पर हवाई किराये में जबरदस्त उछाल देखने को मिलता है. ऐसे में कमिटी ने अपनी सिफारिश में कहा कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय के पास हवाई किराये का अपर और लोअर लिमिट तय करने का तरीका होना चाहिए जिससे एयरलाइंस ना सस्ते में हवाई टिकट बेच सकें और ना भारी भरकम किराया वसूल सकें.

कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जब सरकार ने फिर से हवाई यात्रा को हरी झंडी दी तो सरकार ने हवाई किराये को रेग्युलेट करना शुरू कर दिया था. कोरोना काल के दौरान एयरलाइंस कम कैपेसिटी के साथ उड़ान भर रहे थे. ऐसे में एयरलाइंस मौके का नाजायज फायदा ना उठा सकें और मनमाना किराया यात्रियों से ना वसूल सकें इसके लिए केंद्र सरकार ने हवाई यात्रा के समय के हिसाब से हवाई किराये का लोअर और अपर बैंड फिक्स कर दिया था. लेकिन 31 अगस्त 2022 से सरकार ने फिर से हवाई किराया तय करने का अधिकार एयरलाइंस को सौंप दिया. जिसके बाद देखा जा रहा है कि हवाई किराये में जबरदस्त उछाल देखा गया है. 31 अगस्त के बाद से त्योहारों, शादियों के सीजन और नए साल पर एयर फेयर में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली थी. जिसे लेकर संसद की स्थाई समिति भी चिंतित नजर आ रही है.

डीजीसीए करे हवाई किराये को रेग्युलेट
समिति ने कहा कि एयरलाइंस के कमर्शियल हितों के साथ हवाई यात्रियों के हितों को ध्यान में रखा जाना बेहद जरूरी है. जिससे निजी एयरलाइंस आगे बढ़ सकें साथ ही पैसेंजरों की हितों की रक्षा की जा सके. समिति ने कहा कि कमर्शियलाईजेशन के नाम पर हवाई यात्रियों को लूटने का मौका हरगिज नहीं दिया जाना चाहिए. स्थाई समिति ने मंत्रालय से कहा है कि वो हवाई किराये तय करने के लिए ऐसा प्राइसिंग मैकेनिज्म तैयार करे जिससे यात्रियों से भारी भरकम किराया एयरलाइंस ना वसूल सकें. समिति ने एविएशन सेक्टर की रेग्युलेटर डीजीसीए को हवाई किराया रेग्युलेट करने का अधिकार सौंपे जाने की भी सिफारिश की है. और यात्री के पास ऐसा विकल्प भी हो कि वे डीजीसीए के पास एयरलाइंस की शिकायत दर्ज करा सकें.