पुलवामा आतंकी हमला : जानिये, क्या हुआ जब शहीद मेजर विभूति तिरंगे में लिपटे पहुंचे अपने घर

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नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल समेत चार जवान शहीद हो गए। जांबाज मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल की शहादत की सूचना के साथ ही उनके अदम्य साहस के चर्चा भी दून तक पहुंची। सैन्य अधिकारियों के दस्तावेजों के अनुसार, मुठभेड़ के दौरान मेजर ढौंडियाल अपनी टीम के साथ उस घर की तलाशी लेने जा रहे थे, जहां पर पुलवामा सीआरपीएफ बस ब्लास्ट के मास्टर माइंड अब्दुल राशिद गाजी समेत एक अन्य आतंकवादी छुपा हुआ था।

सोमवार देर रात जैसे ही 55 राष्ट्रीय राइफल को सूचना मिली कि मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल आतंकवादियों को ढेर करने के लिए अपनी टीम के साथ निकल पड़े हैं, 5 आरआर के साथ ही सीआरपीएफ और एसओजी की टीम भी मौके के पास पहुंच गई। रात लगभग 12 बजकर 55 मिनट पर सेना ने ऑपरेशन शुरू किया तो आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। टीम का नेतृत्व कर रहे मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल के गले और सीने में गोली लग गई। मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल और उनकी टीम ने आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुये मशीन गनों से फायर खोल दिया। इसमें दो आतंकवादियों की मौत हो गई। आतंकवादियों में पुलवामा हमले का मास्टर माइंड अब्दुल राशिद गाजी भी ढेर हो गया। उधर, जख्मी मेजर विभूति को नजदीक के सैन्य अस्पताल पहुंचाया गया। वहां से उन्हें श्रीनगर मिलिट्री अस्पताल को रेफर किया गया। रात दो बजकर बीस मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली।

माँ की दुआ भी नहीं आई काम

मां दिनभर बेटे की सलामती की दुआ करती रही और शाम को आया भी तो बेटा तिरंगे में लिपटकर। बाहर जैसे ही नारे लगने लगे तो वह कमरे उठकर बरामदे में आ गई। नारों की आवाज जितनी तेज होती गई, मां की रोने की आवाज भी उतनी तेज होती गई। बेटे को खोने के गम में वह बदहवास सा बाहर निकल आईं। परिवारवालों ने किसी तरह रोका। लेकिन सिर्फ यही शब्द मां बोलती रह गई विभू, तू धोखा दे गया रे। कैसे चला गया, हमें किसके सहारे पर छोड़ गया।

जब पार्थिव शरीर पहुंचा घर

देहरादून। तिरंगे में लिपटे विभूति के पार्थिव शरीर के घर पहुंचते ही कोहराम मच गया। पत्नी, मां, बहन, नाते-रिश्तेदार, दोस्त सब फूट-फूटकर रोने लगे। सेना के वाहन से रात साढ़े आठ बजे पार्थिव शरीर को घर लाया गया। इससे पहले जौलीग्रांट एयरपोर्ट से पार्थिव शरीर सीधे मिलेट्री अस्पताल ले जाया गया। जहां जरूरी औपचारिकता के बाद वापस घर लाया गया।

पत्नी निकिता की हालत देख भर आई सभी की आँखें

पत्नी निकिता को पति विभूति की शहादत की खबर दिल्ली पहुंचने पर लगी। वह सुबह दून से ड्यूटी के लिए निकली थी, तो रास्ते में फोन आया कि विभूति को गोली लगी है और उनका ऑपरेशन हो रहा है। दोपहर में वह दिल्ली पहुंची तो पहले से परिजन रेलवे स्टेशन पर खड़े थे। यहां उन्हें पूरी बात बताई और फिर वापस देहरादून के लिए निकल पड़े। जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पत्नी निकिता ने पति विभूति को तिरंगे में लिपटा दिखा। उसने यहां विभूति का चेहरा देखने की जिद की, लेकिन परिवारवालों ने उसे रोक दिया। घर में विभूति का पार्थिव शरीर पहुंचा तो वह ताबूत पर हाथ फेरते हुए बस यह पूछती रह गई कि विभूति कहां चले गए। निकिता के इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं था। साथ चल रही महिला भी यही पूछती रही कि विभूति एक बार इसके बारे में तो सोच लेता। फिर निकिता को संभालते हुए कमरे में ले गए, लेकिन वह बाहर खड़ी होकर एकटक तिरंगे में लिपटे विभूति के पार्थिव देह को देखती रही। निकिता की हालत देखकर सभी की आंखों में आंसू आ गए। सब यही चर्चा करते रहे कि विभू क्यों इतनी जल्दी निकिता को छोड़कर चला गया।

 

खाना छोड़ ऑपरेशन में चले गए थे विभूति

मेजर विभूति ढौडियाल के पार्थिव देह लेकर कश्मीर से उनकी बटालियन के जगदीश सिंह और लक्ष्मण सिंह आए हैं। दोनों कहते हैं कि उन्हें कभी भी ड्यूटी के दौरान अफसर होने का अहसास नहीं होने दिया। बताते हैं कि कल रात बस खाना खाने के लिए बैठे ही थे। अचानक कॉल आई और फिर आपरेशन में चले गए। लक्ष्मण कहते हैं कि मैं भी साथ जा रहा था, लेकिन उन्होंने मुझे दूसरी टीम में भेज दिया। जगदीश सिंह और लक्ष्मण सिंह दोनों ही पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं।