बिहार में जोरदार वापसी कर सकते हैं लालू प्रसाद

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009 lalu prasad yadavनई दिल्ली / बिहार : नरेंद्र मोदी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाने के लिए भाजपा का बिहार में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना महत्वपूर्ण है। राज्य में हुए अब तक तीन चरणों के मतदान में एनडीए गठबंधन को आरजेडी-कांग्रेस मोर्चे से जोरदार टक्कर मिल रही है।

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का राजनीतिक विवादों से पुराना नाता रहा है। छह महीने पहले भ्रष्टाचार के मामले में जेल जा चुके लालू जमानत पर बाहर हैं और अपनी पार्टी को आम चुनाव में दांव और दिशा दे रहे हैं।

पिछले दिनों उनकी पार्टी में बिखराव की खबरें जोरों पर थीं। तब यह माना जा रहा था कि लालू का राजनीतिक करियर कहीं न कहीं अंत की ओर चल पड़ा है। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक बार फिर कमर कसकर जोरदार वापसी की। आज लालू वह शख्सियत हैं जो अकेले अपने दम पर बिहार में एनडीए के गले की फांस  बने हुए हैं।

हालांकि कई राजनीतिक जानकार इसे लालू प्रसाद की वापसी के तौर पर देख रहे हैं। 2009 लोकसभा चुनाव और 2010 विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद ज्यादातर लोगों ने लालू को खारिज कर दिया था पर इस चुनाव में वह चौंकाने वाले नतीजे दे सकते हैं। जमीनी हकीकत यह है कि लालू का एम-वाई (मुस्लिम और यादव) समीकरण काम करता दिख रहा है।

 बिहार की 40 सीटों पर राजद अपनी विरोधी भाजपा और जद (यू) को मजबूत टक्कर दे रहा है। ज्यादातर क्षेत्रों में यादव और मुस्लिम वोटरों का ध्रुवीकरण देखने को मिल रहा है। दरअसल, यहाँ यादव और मुस्लिम की जनसंख्या राज्य की आबादी का 28 फीसदी है।

एनडीए ने बिहार में 25 सीटें पाने का सपना देखा है, जो लालू की मौजूदगी से टूटता नजर आ रहा है। लालू की अगुआई में मुसलमानों और यदुवंशियों का पुराना, विश्वसनीय और सामाजिक गठबंधन बिहार की 40 सीटों की तकदीर बदल सकता है। दरभंगा के बाहरी इलाके गौसाघाट में कुछ लोग बैठकर ताश खेल रहे थे। वहां बैठे गणेश यादव से जब उनकी राजनीतिक पसंद पूछी गई तो ऊपर देखते हुए उन्होंने कहा, इस बार तो लालटेन को ही वोट दूंगा। दूसरी तरफ, लालू प्रसाद ने साबित किया है कि मुसलमान मतदाता उनके साथ हैं और धीरे-धीरे राजद की ओर लौट रहे हैं।

24 अप्रैल को हुए मतदान में मुस्लिम बहुल क्षेत्र किशनगंज और अररिया में हुई बंपर वोटिंग के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि लालू प्रसाद और कांग्रेस के लिए आने वाले दिन अच्छे हैं।