जानिये, लगातार साइबर हमलों का शिकार क्यों बन रहा बना भारत

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नई दिल्ली : 2018 में भारत में साइबर हमलों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं पिछले साल इस तरह के 53,000 हमले हुए थे। यह जानकारी सुरक्षा प्रतिष्ठान के दो अधिकारियों ने दी है। देश की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) के अनुसार 2016 में 50,000 और 2015 में 49,000 हमले हुए हैं। लगभग 40 प्रतिशत हमले जनवरी-मई के बीच चीन से हुए हैं। वहीं 25 प्रतिशत हमले अमेरिका से हुए हैं। सीईआरटी के अनुसार 13 प्रतिशत हमले पाकिस्तान और 9 प्रतिशत रूस से हुए हैं।

सीईआरटी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पिछले साल की तुलना में इस साल पाकिस्तान और उत्तर कोरिया से होने वाले हमले बढ़े हैं। देश के वित्तीय बाजार और परिवहन नेटवर्क पूरी तरह से आईटी नेटवर्क पर निर्भर करते हैं। साइबर हमलों की वजह से व्यापक नुकसान हो सकता है।’ सरकार के साथ साइबर सुरक्षा पर काम करने वाले इंडियन इंफोसेक कंसोर्टियम के सीईओ जितेन जैन ने कहा, ‘इंटरनेट के बढ़ने के साथ ही साइबर हमले भी बढ़ेंगे। लेकिन साइबर हमलों की रिपोर्ट भारत में अब भी काफी कम हैं। अधिकारियों को केवल 5% साइबर हमलों की सूचना दी जाती है।’

साइबर सुरक्षा प्रतिष्ठान द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ साझा किए गए डाटा के अनुसार ज्यादातर हमलों का उद्देश्य देश के आर्थिक नेटवर्क, सरकारी हथियारों, पावर प्लांट और पावर गाइड को नुकसान पहुंचाना होता है। सीईआरटी के अनुसार आर्थिक नेटवर्क में बढ़ोतरी इस बात का संकेत हैं कि बहुत से हमलावरों को इस बात का अहसास हो गया है कि आर्थिक बाजार और नेटवर्क में कुछ समय के लिए किसी भी तरह की रुकावट के कारण देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर हो जाती है।

इस साल हुए पांच में से एक हमले का उद्देश्य आर्थिक नेटवर्क को निशाना बनाया गया था। इसी अनुपात में सरकारी विभाग को भी निशाना बनाया गया। लगभग 15 प्रतिशत हमलों में पावर प्लांट, तेल रिफाइनरी और तेल और गैस पाइपलान को निशाना बनाया गया। टेलिकॉम और रक्षा संचार नेटवर्क का स्थान दूसरा है। हैकर्स ने भारत के सबसे पुराने बैंक कॉसमॉस कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड से 89 करोड़ रुपये निकाल लिए और यह पैसे बहुत से विदेशी घरेलू बैंक में जमा करवा दिए। जांच में पता चला कि अगस्त में बैंक के सिस्टम को दो बार हैक किया गया था।