जानिये, मोहिनी एकादशी से जुड़ी है समुद्र मंथन की ये विशेष बाते

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पंचांग के अनुसार आने वाली 12 मई को एकादशी तिथि है, वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी कहा जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार मोहिनी एकादशी को सभी एकादशी में विशेष माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लिया था और देवताओं को अमृत पान कराया था. जिसे पीकर देवता अमर हुए थे. मोहिनी एकादशी की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है. जो देवता और असुरों के बीच हुआ था.

समुद्र मंथन की कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन देवता और असुरों के बीच हुआ था. दैत्यराज बलि ने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया, तब देवताओं को अपने ऊपर संकट दिखाई देने लगा. सभी देवताओं ने मिलकर भगवान विष्णु से मदद की गुहार लगाई. भगवान विष्णु ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए देवताओं को असुरों को समुद्र मंथन के लिए राजी करने की सलाह दी. देवताओं की कोशिश रंग लाई और देवता समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए. वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि को समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला. जिसे प्राप्त करने के लिए एक बार फिर देवताओं और असुरों में विवाद की स्थिति पैदा हो गई. देवताओं को डर था कि यदि अमृत दैत्यों ने पी लिया तो, ये अमर और अत्यंत शक्तिशाली हो जाएंगे. इस स्थिति से बचने के लिए देवताओं ने भगवान विष्णु की मदद ली. तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लिया और राक्षसों से अमृत को बचाते हुए देवताओं को इसे पिला दिया, इससे देवता अमर हो गए. जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लिया उस दिन एकादशी की तिथि थी, इसीलिए वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है.

मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त

मोहिनी एकादशी तिथि का आरंभ: 11 मई 2022 को शाम 7:31 से

मोहिनी एकादशी तिथि का समापन: 12 मई 2022 को शाम 6:51बजे

मोहिनी एकादशी व्रत पारण समय: 13 मई 2022 को प्रातः 7:59 तक