JNU देशद्रोह मामला: जानिये, 1200 पन्नों की चार्जशीट में क्या है सबूत और कौन है गवाह जानें सबकुछ

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नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने सोमवार को तीन साल पहले जेएनयू परिसर में देश विरोधी नारेबाजी मामले में अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया। आरोपपत्र में एक तरफ जहां जेएनयू के तत्कालीन छात्रसंघ कन्हैया कुमार समेत दस लोगों को मुख्य आरोपी बनाया गया है, वहीं सीपीआई नेता डी राजा की बेटी अपराजिता समेत 36 अन्य संदेह के घेरे में रखे गए हैं।

पटियाला हाउस अदालत में दाखिल आरोपपत्र में कॉलम नम्बर 12 में अपराजिता के अलावा JNU छात्रसंघ की तत्कालीन उपाध्यक्ष शेहला राशिद एवं छात्रसंघ के अन्य सदस्य रामा नागा, आशुतोष कुमार एवं बनोज्योस्ना लाहरी आदि को भी आरोपी बनाया गया है। हालांकि, इनके खिलाफ पुलिस को कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं मिला है। पुलिस ने इन्हें संदेह के घेरे में रखते हुए कहा है कि मामले में जांच अभी भी जारी है। इनके खिलाफ साक्ष्य मिलने पर संदेह के घेरे में आए लोगों को मुख्य आरोपपत्र का हिस्सा बनाया जा सकता है। हालांकि अब कोर्ट तय करेगी कि इन आरोपियों को लेकर क्या निर्णय करना है।

पुलिस के मुताबिक कन्हैया कुमार, उमर खालिद व अनिर्बान भट्टाचार्य को ही इस मामले में घटना के तुरंत बाद गिरफ्तार किया गया था। ये तीनों आरोपी बहरहाल जमानत पर हैं, लेकिन इसके अलावा छह अन्य कश्मीरी छात्रों से पूछताछ करने के बाद अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया गया है। इन कश्मीरी छात्रों की वीडियो में पहचान होने के बाद इन्हें पुलिस ने तलब किया था। मंगलवार को इस आरोपपत्र पर संज्ञान के बाद इन कश्मीरी छात्रों को जमानत लेनी पड़ेगी।

मास्क पहनकर आए थे वापसी में मुंह नहीं ढका

पुलिस ने आरोपपत्र में दावा किया है कि आरोपी कश्मीरी छात्र इस कार्यक्रम में मास्क पहनकर आए थे। लेकिन जब वे वापस जाने लगे तो उन्होंने अपने मुंह को नहीं ढका। वहां मौजूद अन्य छात्रों ने उनकी वीडियो क्लीपिंग बना ली। पुलिस ने कहा कि इससे साफ है कि उन्हें अपने गलत कृत्य का संज्ञान था।

आरोपपत्र में कहा गया है कि इस मामले में मुख्य गवाह जेएनयू परिसर में उस समय ड्यूटी पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड हैं। इन्हीं में से कई गार्डों ने इस नारेबाजी की अपने मोबाइल से वीडियो क्लीपिंग भी बनाई है। आरोपपत्र में यह भी कहा गया है कि यह कार्यक्रम गैरकानूनी तौर पर आयोजित किया गया था। कार्यक्रम के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति नहीं मिली थी।

दिल्ली पुलिस ने आरोपपत्र में दावा किया है कि यह पूर्वनियोजित कार्यक्रम था। अपने दावे के संदर्भ में पुलिस ने कहा है कि उस दिन कार्यक्रम में जेएनयू, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एवं जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के छात्र शामिल हुए थे। कश्मीरी आरोपियों में इन तीनों विश्वविद्यालय के छात्र शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि गंभीर तफ्तीश के बाद इन छात्रों के बारे में सबूत इकट्ठे किए गए हैं।

पुलिस के मुताबिक 9 फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में जिस कार्यक्रम में देश विरोधी नारेबाजी की गई, उस कार्यक्रम के कर्ताधर्ता व आयोजनकर्ता कन्हैया कुमार, उमर खालिद व अनिर्बान ही थे। इन्होंने ही अन्य लोगों को इस कार्यक्रम में आने के लिए आमंत्रित भी किया था। पुलिस ने आरोपपत्र में दावा किया है कि इस घटना के वीडियो व चश्मदीद गवाहों के बयानों के आधार पर ही यह आरोपपत्र तैयार किया गया है। सभी पक्षों से प्रथमदृष्टया यह साबित हो रहा है कि उस दिन वहां यह घटना घटित हुई।

इस मामले में जेएनयू में हुई देशविरोधी नारेबाजी मामले की जांच करने वाली स्पेशल सेल की टीम के प्रमुख ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पुलिस की तरफ से क्या-क्या कदम उठाए गए।

चार्जशीट में घटना के वीडियो और आरोपियों के मोबाइल की लोकेशन को सबूत के तौर पर शामिल किया गया है। दरअसल, इस मामले को लेकर पुलिस ने कुछ वीडियो जब्त किए थे। इसके अलावा भी उसे कुछ वीडियो अलग-अलग श्रोतों से मिले थे। फॉरेंसिक जांच में इन वीडियो को सही बताया जा चुका है। कार्यक्रम में कश्मीरी छात्रों की उपस्थिति को घटना की मोबाइल क्लिप और वीडियो के माध्यम से साबित करने का प्रयास। इस क्रम में उनके मोबाइल की लोकेशन की भी जांच की गई। इलेक्ट्रॉनिक सबूतों, अन्य छात्रों और सुरक्षा गार्ड के बयान के आधार पर कश्मीरी छात्रों की उपस्थिति साबित करने की कोशिश की गई।

इस मामले में आरोपियों की फेसबुक प्रोफाइल को खंगाला गया, जहां से पुलिस को कई सबूत हाथ लगे। इनमें से कुछ लोगों ने नारेबाजी की वीडियो अपनी फेसबुक आईडी पर डाल रखी थी। आरोपियों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उन्हें कार्यक्रम ज्यादा से ज्यादा छात्रों को लेकर आने के लिए कहा गया था।

पुलिस ने घटना के प्रत्यक्षदर्शियों से संपर्क कर उनसे वीडियो फुटेज हासिल की। इनमें से ज्यादातर वीडियो मोबाइल पर बनाए गए थे या फिर किसी जानकार के जरिए उनके पास पहुंचे थे। इसके लिए दिल्ली से लेकर कश्मीर तक पुलिस टीम ने दौरा किया।

जेएनयू के पांच सदस्यीय पैनल ने उमर खालिद और दो अन्य छात्रों को वर्ष 2016 में दोषी पाया था और उन्हें निष्कासित करने का फैसला सुनाया था। इसी पैनल ने तत्कालीन जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया पर दस हजार का जुर्माना भी लगाया था। नियमों का उल्लंघन करने के लिए 13 अन्य छात्रों पर भी आर्थिक जुर्माना लगाया था। बाद में इस मामले की सुनवाई जेएनयू की एक उच्च स्तरीय कमेटी ने की, उसने भी पैनल के फैसले को बरकरार रखा था।