भारत-पाक युद्ध संभानाओं से जम्मू-कश्मीर में दहशत का माहौल, पलायन बढ़ा

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नई दिल्ली : उरी आतंकी हमले के बाद भारत पाक के बीच बना युद्ध के माहौल ने जम्मू-कश्मीर के लोगों में दहशत पैदा कर दी है। पाकिस्तान की ओर से युद्ध के बढ़ते खतरे के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर में आपात उपायों को तेजी से लागू किया जाने लगा है। यहां हवाई हमलों से बचाव के उपायों पर जोर दिया जा रहा है वहीं चिकित्सा सुविधाओं की आपात व्यवस्था की जा रही है। इन उपायों के कारण सारे राज्य में आतंक और भय की लहर फैली है जिस कारण सीमा व LOC के क्षेत्रों से पलायन करने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।

POK में भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक से बौखलाए पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमले की आशंका के बीच सीमाओं पर आरंभ हो चुके मिनी युद्धों के अन्य क्षेत्रों में भी फैल जाने के कारण तथा पाकिस्तान द्वारा किसी भी समय अचानक हमला कर दिए जाने की आशंका से अब पूरा जम्मू-कश्मीर चितामग्न है। इस आशंका के चलते जम्मू-कश्मीर सरकार ने अब उन कदमों को उठाना आरंभ किया है, जो युद्ध की स्थिति में बचाव के लिए उठाए जाते हैं।

10 किमी के सीमा क्षेत्रों को खाली करने के प्रति आधिकारिक घोषणा केनिर्देश जारी किए जा चुके हैं। सरकार ने लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए बंकरों, खंदकों तथा खाइयों के निर्माण की सलाह तो दी ही है, उसने हवाई हमलों से बचाव के लिए आप भी तैयारियां आरंभ कर दी हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सारे राज्य में हवाई हमलों से बचाव के लिए सुरक्षात्मक कदम उठाए जा रहे हैं जिनमें सभी सैनिक हवाई अड्डों के आसपास मिसाइलों के साथ-साथ विमानभेदी तोपों की तैनाती भी शामिल है तो सैनिक व अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए विमानभेदी तोपों को तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं।

साथ ही सैनिक व हवाई अड्डों के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को ये इलाके खाली करने के लिए कहा गया है। अधिकारियों के अनुसार इन लोगों को ऐसा करने के लिए इसलिए कहा गया है, क्योंकि पाकिस्तानी हमले के शिकार आसपास के रहने वाले लोग इसलिए भी हो सकते हैं, क्योंकि उनके निशाने हवाई अड्डे तथा सैनिक प्रतिष्ठान ही रहेंगें।

इसके अतिरिक्त सभी कस्बों में हवाई हमलों की चेतावनी देने के लिए सायरनों को भी तैनात किया जा रहा है जबकि नागरिक सुरक्षा विभाग पहले ही लोगों को हमलों की दशा में बचाव के उपायों का प्रशिक्षण दे रहा है। इसके प्रति ब्लैकआउट का अभ्यास जम्मू में करने की घोषणा भी की गई है।

आपात उपायों में चिकित्सा सुविधाओं की आपात व्यवस्था भी की जा रही है। जहां गैरसरकारी तौर पर डॉक्टरों की ड्यूटी अभी से आपात स्थिति के लिए लागू कर दी गई है वहीं प्राइवेट नर्सिंग होम्स को हताहतों की आशंका के मद्देनजर अपने आपको तैयार रहने को कहा गया है।

सरकार द्वारा युद्ध को लेकर जो आपात उपाय किए जा रहे हैं उनके कारण राज्य में आतंक तथा भय की लहर है। अधिकारी मानते हैं कि ऐसा होना स्वाभाविक है, क्योंकि पाकिस्तान की ओर से हमलों की आशंका दिनोदिन बढ़ती जा रही है।

राज्य सरकार द्वारा आपात उपायों को करने में तेजी लाई गई है। इसका प्रभाव सीमा क्षेत्रों पर भी पड़ा है। सीमा क्षेत्रों से मिलने वाले समाचारों में कहा गया है कि सरकार ने जो आपात उपाय पाक हमले से बचाव के लिए करने आरंभ किए हैं, उसने सीमा क्षेत्रों से पलायन को और बढ़ावा दिया है। याद रहे कि केंद्र सरकार ने 10 किमी के सीमा क्षेत्रों से आबादी को दूर चले जाने को कहा है।