ऐसे ही पढ़ेगा इंडिया तो कैसे बढ़ेगा इंडिया?

Like this content? Keep in touch through Facebook

यूपी में चुनाव के शोर में गुम हो रहे इन दिनों शिक्षा की सच्चाई जानकर आप भी यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि अगर ऐसे ही पढ़ेगा इंडिया-तो कैसे बढ़ेगा इंडिया?

उत्तर प्रदेश में जहां परिषदीय यानी सरकारी प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के मास्टर जी से सिर्फ बच्चों को पढ़ाने का ही काम नहीं लिया जाता, बल्कि उनके जिम्मे इतने अलग-अलग सरकारी और भी काम थोप दिए जाते हैं जिससे उनका ज्यादातर समय तो इन कामों में ही बीत जाता है और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। ऐसे हालात में अगर ये कहा जाए उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की पढ़ाई भगवान भरोसे ही चल रही है तो कोई गलत बात नहीं होगी।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई स्कूलों कि बात करें तो यहाँ तो कई टीचर्स आते ही नहीं क्योंकि उनको मतदाता पुनर्रीक्षण के काम में लगा दिया गया है और वो घर घर जाकर मतदाता सूची का पुनर्रीक्षण का काम कर रहे हैं। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि जिन अध्यापकों की नियुक्ति बच्चों को शिक्षा देने के लिए की गई है उनसे कौन कौन से सरकारी काम लिए जाते हैं। जनगणना, मतगणना और बाल गणना से लेकर मतदाता पुनर्रीक्षण और समाजवादी पेंशन की फीडिंग के साथ पोषण मिशन तक में शिक्षकों को लगा दिया जाता है।

वहीँ चंदौली के डीएम कुमार प्रशांत DM से इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना है कि सबसे पहले तो हमारी प्राथमिकता यही थी कि‍ अध्यापकों को इस काम में न लगाया जाए। अन्य विभागों के लोगों को लगाया जाए लेकिन उसके बाद भी हमारे यहां बीएलो की संख्या पूरी नहीं हो पा रही थी। वहां पर हमने अध्यापकों को लगाया है और उनको स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि‍ जो स्कूल टाइम में पठन पाठन का काम करें और उसके बाद एक से 5-6 तक ये अपना बिलों का काम करें। जिससे पठान पाठन का काम प्रभावित न हो और बीएलओ का काम भी सुचारू रूप से चलता रहे।

आपको बता दें कि यूपी में विधान सभा और नगर निकाय चुनाव होने हैं और ऐसे में सरकार के सामने मतदाता सूची की जांच करने और ठीक कर लेने की चुनौती है। इसको लेकर वर्तमान समय में पूरे उत्तर प्रदेश में जोर-शोर से मतदाता पुनर्रीक्षण का काम चल रहा है और इस काम में सभी जिलों में अध्यापकों को भी लगा दिया गया है। ऐसी हालत में अध्यापकों का एक बड़ा हिस्सा वोटर लिस्ट के पुनर्रीक्षण के काम में लग गया है। जाहिर सी बात है की इसके चलते बच्चो की पढ़ाई बाधित होगी। हरेक स्कूल का आलम है कि‍ वहां पर नाम मात्र के अध्यापक बचे हैं जिससे यहाँ के क्षत्रों कि पढ़ाई प्रभावित हो रही है।