सरकारी अधिकारी अब फोन पर हेलो की जगह बोलेंगे ‘वंदे मातरम’, इस राज्य में जारी हुआ आदेश; मुस्लिम नेता बोले, नहीं मानेंगे

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सरकारी अधिकारियों में देशभक्ति का भाव बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र सरकार  ने अनोखा फैसला लिया है. सरकार ने आदेश जारी करके कहा है कि अब से सभी अधिकारी कोई भी आने या करने पर हलो कहने के बजाय वंदे मातरम कहेंगे. यह आदेश अधिकारियों के सभी मोबाइल फोनों और लैंडलाइन फोनों पर लागू होगा. इसके साथ ही डेली रुटीन और सरकारी कार्यक्रमों में भी अधिकारी एक-दूसरे को वंदे मातरम कहकर ही संबोधित करेंगे.

वंदे मातरम ने देश को आजादी दिलाई आजादी

राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार में मंत्री दीपक केसरकर ने कहा, ‘वंदे मातरम एक ऐसा मंत्र था, जिसने अंग्रेजों से देश को स्वतंत्र कराने में बड़ी भूमिका अदा की. पूरे भारत वर्ष में सभी सरकारें और आम लोग इस बात को स्वीकार करते हैं. मुझे लगता है कि एक-दूसरे को वंदे मातरम कहने में कोई बुरी चीज है. अगर कुछ लोगों के दिमाग मे वंदे मातरम को लेकर गलतफहमी है तो हम उन्हें समझा-बुझाकर इस बारे में तैयार कर लेंगे.’

 

मुसलमान कभी नहीं बोलेंगे वंदे मातरम

वहीं समाजवादी पार्टी ने वंदे मातरम पर सरकारी आदेश के खिलाफ झंडा बुलंद कर दिया है. महाराष्ट्र असेंबली में एसपी विधायक अबू आसिम आजमी ने कहा कि वंदे मातरम पर सरकार के फैसले का विरोध करते हुए इसे हिंदू- मुस्लिमों के बीच दरार पैदा करने वाला बताया. आजमी ने कहा, ‘बाला साहब ठाकरे ने हमेशा जय महाराष्ट्र बोला था और आज उनके विचारों पर चलने का दावा करने वाले एकनाथ शिंदे यह सब भूल गए हैं.’

आजमी ने कहा कि एक सच्चा मुसलमान कभी भी वंदे मातरम नहीं बोलेगा. यह इस्लाम मे कुफ्र है. हम इसके बजाय सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान बोल सकते हैं.

मुसलमान धरती माता की स्तुति नहीं करेंगे

बताते चलें कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम पर कट्टरपंथी इस्लामिक नेता हमेशा अपनी आंख दिखाते रहे हैं. यूपी के संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क तो वंदे मातरम को इस्लाम के लिए बड़ी बुराई बताते रहे हैं. वे कहते हैं कि इस नारे में धरती माता की स्तुति की गई है और एक सच्चा मुसलमान अपने अल्लाह के अलावा और किसी की स्तुति नहीं कर सकता. संसद और दूसरे स्थान पर होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रमों में जब राष्ट्रगीत का गायन होता है तो सांसद शफीकुर्रहमान समेत तमाम कट्टरपंथी इस्लामिक नेता ढिठाई के साथ बैठे दिखाई देते रहे हैं. मुस्लिम वोट बैंक के चक्कर में तमाम राजनीतिक पार्टियां भी इन कट्टरपंथियों की हरकतों पर आंखें मूंदती रही हैं.