जानिए, देश में कैश लैश रिटर्न्स का सच

Like this content? Keep in touch through Facebook

नई दिल्ली : भारत में कई हिस्सों से ATM में पैसा नहीं होने की सूचनाएं तो लगातार आ रही थीं, लेकिन पिछले तीन दिनों से बिहार, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों से जिस तरह से नकदी संकट की खबरें सामने आई हैं उसने कान खड़े कर दिए हैं। उक्त सभी राज्यों के अर्धशहरी व ग्रामीण इलाकों में लोगों को ATM से खास तौर पर खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। ऐसे समय जब देश की बैंकिंग व्यवस्था को लेकर पहले से ही कई तरह के सवाल उठ रहे हैं, तब कई क्षेत्रों में नकदी संकट ने विपक्ष को सरकार पर हमला करने का एक और हथियार दे दिया है। विपक्ष ने इसे ‘वित्तीय इमरजेंसी’ करार दिया है।

हालात की गंभीरता को समझते हुए मंगलवार सुबह से ही वित्त मंत्रालय सक्रिय हो गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को सुबह ट्वीट किया कि नकदी की यह कमी अस्थायी है और इसे जल्द ही पूरी कर लिया जाएगा। इसके कुछ ही देर बाद वित्त मंत्रालय के आला अधिकारियों ने प्रेस कांफ्रेंस करके इस कमी को अचानक नकदी की मांग में हुई वृद्धि से जोड़ दिया।

देर शाम तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की भी सफाई आ गई। RBI के मुताबिक, कुछ हिस्सों में लॉजिस्टिक्स में दिक्कत की वजह से नकदी ATM में नहीं पहुंच पा रही है। केंद्रीय बैंक ने आश्वासन दिया है कि जहां नकदी की समस्या है, वहां ज्यादा करेंसी पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। साफ है कि सरकार इस संकट को कोई बड़ी खामी नहीं मान रही है, लेकिन यह जरूर स्वीकार किया गया है कि कुछ वजहों से नकदी की समस्या जरूर है। भले ही वह कुछ ही क्षेत्रों में सीमित हो।

नोटों की किल्लत के लिए बड़ी वजह छोटे नोटों की कमी है। नोटबंदी के समय वादा किया गया था कि 50, 100 की आपूर्ति बढ़ाई जाएगी और 200 रुपये के नए नोट जारी होंगे। नए नोट जारी हुए हैं लेकिन उनकी संख्या काफी कम है। सौ के पुराने नोट बैंकों को दिए जा रहे हैं, जिसे बैंक इसलिए इस्तेमाल नहीं कर रहे कि ये नोट एटीएम में फंस जाते हैं। अभी एटीएम को 50 रुपये के लायक बनाया भी नहीं गया है। नतीजन लोगों को छोटे नोट मिलने बंद हो गए हैं।

ऐसे में बैंक सिर्फ 500 व 2000 रुपये के नोट ATM में डाल रहे हैं, जो राशि के लिहाज से तो अधिक होते हैं लेकिन संख्या में नोट कम होते हैं। लोगों को 600 की जगह 1000 और 1200 रुपये की जगह 2000 रुपये निकालने पड़ रहे हैं। इससे ज्यादा निकासी होने के कारण ATM जल्द खाली हो जाते हैं। बैंकिंग क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यह स्थिति नवंबर, 2016 में नोटबंदी के बाद से ही चल रही है। नोटबंदी के बाद से बैंकिंग सिस्टम में जिस तरह से नकदी की जरूरत होती है उसकी आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
पैसा जा रहा है,आ नहीं रहा

बैंक अधिकारियों का कहना है कि नकदी संकट की एक वजह यह भी है कि लोग पैसा निकाल तो रहे हैं लेकिन उसे खर्च नहीं कर रहे हैं। इसका पता बैंकों में जमा हो रही नकदी से चलता है। इसकी राशि में वृद्धि दर 15.3 से घटकर 6.7 फीसद रह गई है। RBI के मुताबिक मार्च, 2018 के अंतिम हफ्ते के शुक्रवार तक देश में 18.3 लाख करोड़ की नकदी थी जबकि जरूरत तकरीबन 20 लाख करोड़ रुपये की थी। RBI के करेंसी चेस्ट से जो राशि बैंकों को दी जा रही है, वह महानगरों व बड़े शहरों में तो जा रही है लेकिन छोटे शहरों व ग्रामीण इलाकों के ATM में यह पैसा नहीं पहुंच रहा है। RBI ने इस तरफ इशारा किया है।