स्वदेशी हथियारों पर भारतीय सेना ने दिया जोर, जानिये, 8 सालों में कहाँ तक पहुंचेगा लोकल डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट

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भारतीय सेना की ओर से देश में बने घातक हथियारों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने विश्वास जताया कि इंडियन इंडस्ट्री सशस्त्र बलों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि अगले 8 साल में लोकल डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट 8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है, क्योंकि स्वदेशीकरण को लेकर अभियान जारी है।

आर्मी चीफ ने कहा कि सेना को युद्ध के विभिन्न क्षेत्रों में नई तकनीक की जरूरत है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सैटेलाइट इमेजरी इंटरप्रेटेशन, ड्रोन एंड काउंटर सिस्टम, युद्ध सामग्री, क्वांटम कंप्यूटिंग और सैनिकों की गतिशीलता शामिल है। यह प्राइवेट सेक्टर के लिए एक बाजार तैयार करता है।

मनोज पांडे ने कहा, ‘बीते तीन-चार सालों में स्वदेशी कॉन्ट्रैक्ट्स में तीन गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। आने वाले सात-आठ सालों में स्वादेशी मार्केट की वैल्यू 7-8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। यह ऐसी मार्केट होगी जिसमें डिफेंस इंडस्ट्री के लिए बहुत सारी संभावनाएं होंगी।

सेना प्रमुख ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से भी काफी कुछ सीखा जा सकता है। इस दौरान हमें स्वदेशी प्रोडक्शन की सख्त जरूरत देखी गई है, ताकि डिफेंस के लिए आयात पर निर्भर न रहना पड़े। उन्होंने कहा कि सैन्य बलों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ही प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए गए हैं।

जनरल मनोज पांडे ने कहा, ‘हम स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियों का साथ दे रहे हैं। ट्रायल और टेस्टिंग की प्रक्रिया आसान कर दी गई है। प्राइवेट इंडस्ट्री हमारी जरूरतों को समझ सके, इसके लिए भी कदम उठाए गए हैं। सेना की ओर से इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट्स का चौथा चरण जारी है। इसमें स्वदेशी प्रोडक्ट्स पर अधिक फोकस किया जा रहा है।’