नेपाल में ऐतिहासिक संविधान हुआ लागू

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नई दिल्ली : नेपाल में सात वर्षों की सियासी कशमकश और मशक्कत के बाद तैयार किया गया नया ऐतिहासिक संविधान आज लागू हो गया। इसके साथ ही देश एक हिन्दूक राजशाही से एक पूर्ण रूप से धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणतंत्र में परिवर्तित हो गया। इस बीच अल्पसंख्यक मधेसी समूहों ने सात प्रांतों के संघीय ढांचे को लेकर हिंसक प्रदर्शन किया।

राष्ट्रपति राम बरन यादव ने संसद में संविधान को जारी करते हुए कहा, ‘मैं संविधान सभा द्वारा पारित और संविधान सभा द्वारा अधिप्रमाणित नेपाल के इस संविधान को आज 20 सितम्बर 2015 से लागू किये जाने की घोषणा करता हूं। उन्होंने नया बानेश्वर में संविधान सभा हाल में आयोजित एक विशेष समारोह में कहा, ‘मैं इस ऐतिहासिक मौके पर सभी से एकता और सहयोग का आह्वान करता हूं। इस बीच भारत से लगने वाले दक्षिणी क्षेत्रों में हिंसा की छिटपुट घटनाओं की सूचना मिली है जहां अल्पसंख्यक मधेसी समुदाय देश को सात प्रांतों में बांटने के विचार का विरोध कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘संविधान हम सभी के लिए हमारी स्वतंत्रता, आजादी, भौगोलिक अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने का एक साझा दस्तावेज है।’ इसके साथ ही अंतरिम संविधान को रद्द कर दिया गया। राष्ट्रपति यादव ने कहा कि लागू किये गए नये ‘संविधान 2072’ ने देश में गणतंत्र को संस्थागत कर दिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि संविधान लागू होने से देश में शांति और स्थिरता आएगी और आर्थिक विकास एवं समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।

उन्होंने कहा, ‘लोगों ने लोकतंत्र और दीर्घकालिक शांति के लिए लगभग सात दशकों तक संघर्ष किया।’ उन्होंने संविधान सभा की अंतिम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि नए संविधान ने देश में विविधता में एकता बनाए रखने और सभी का अधिकार सुनिश्चित करने का एक मौका दिया है।

संविधान सभा ने सर्वसम्मति से एक स्वीकृति प्रस्ताव पारित करने के साथ ही राष्ट्रपति को संविधान लागू करने की घोषणा करने के लिए धन्यवाद दिया।

हिमालयी देश के एक हिंदू राजशाही से एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय लोकतंत्र के रूप में परिवर्तित होने की खुशी मनाने के लिए हजारों लोग सड़कों पर उतर आये। इस खुशी को मनाने के लिए काठमांडू के अलग अलग स्थानों पर जुलूस निकाले गए। इस मौके पर राष्ट्रीय ध्वज लहराए गए और पटाखे छोड़े गए। लोगों ने अपना स्वयं का संविधान मिलने की खुशी में सड़कों को सजाया और मोमबत्तियां जलाईं। 67 वर्ष के लंबे समय तक चले लोकतांत्रिक संघर्ष के बाद निर्वाचित प्रतिनिधियों ने संविधान तैयार किया। इसके साथ संविधान सभा हाल के सामने भी लोग बड़ी संख्या में एकत्रित हुए थे।