आफताब ने जेल में अपने परिवार से मिलने से किया इनकार, जेल अधिकारियों से की ये रिक्वेस्ट

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दिल्ली के महरौली में अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वॉल्कर की गला दबाकर हत्या करने और उसके बाद शव के टुकड़े करने के आरोपी आफताब पूनावाला तिहाड़ जेल में बंद है. जेल अधिकारी के मुताबिक, आफताब ने अपने परिवार के सदस्यों से मिलने से इनकार कर दिया है. वह सेल में उसके साथ बंद दूसरे कैदियों से भी बात नहीं करता. 

‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने तिहाड़ जेल के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि 26 साल का आफताब पूनावाला 26 नवंबर से तिहाड़ जेल में कैद है. आफताब ने अभी तक जेल प्रशासन को परिवार या दोस्तों के नाम जमा नहीं किए हैं, जो जेल में उससे मिल सकते थे. जेल मैनुअल के मुताबिक, हर कैदी को जेल के इंटरव्यू रूम में हफ्ते में दो बार अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों से मिलने की इजाजत होती है.

श्रद्धा वॉलकर हत्याकांड में आफताब पूनावाला मुख्य आरोपी है. जेल अधिकारियों ने कहा कि पूनावाला अपने आप में रहता है. उसने अपने सेल के साथियों से कहा है कि वह इस हफ्ते के आखिर में किसी से मिलने की उम्मीद कर रहा है. इतना तय है कि आफताब ने अभी तक जेल अधीक्षक को किसी का नाम नहीं सौंपा है. आफताब को दो कैदियों के साथ एक सेल में रखा गया है. उसके साथी कैदी, जिस पर चोरी का आरोप है. यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि वह खुद को नुकसान न पहुंचाए या किसी अन्य कैदी द्वारा उसपर हमला न किया जाए.

आफताब अपने साथी कैदियों से बहुत कम बात करता है. वह अपने सेल में पढ़ने में समय बिताता है. जेल अधीक्षक ने आफताब को मुलाक़ात और फोन इस्तेमाल के नियमों के बारे में जानकारी दी, लेकिन उसने किसी से मिलने या बात करने से इनकार कर दिया. जेल अधिकारी पूनावाला के व्यवहार से हैरान हैं क्योंकि वह अपने परिवार से फोन पर भी बात नहीं करता है. अधिकारियों के मुताबिक, वह केवल अपने वकील से बात करता है. पूनावाला ने जेल अधिकारियों से केवल उसे अंग्रेजी किताबें या उपन्यास मुहिआ कराने का अनुरोध किया है.

गौरतलब है कि आफताब पूनावाला ने कथित तौर पर 27 वर्षीय श्रद्धा की 18 मई को दक्षिण दिल्ली (South Delhi) के छतरपुर पहाड़ी में उनके किराए के फ्लैट में हत्या कर दी थी. पुलिस के अनुसार, उसने श्रद्धा के शरीर के 35 टुकड़े कर दिए और दक्षिणी दिल्ली के आसपास के जंगलों में फेंक दिया. इससे पहले आफताब ने शव के टुकड़ों को एक फ्रिज में रखा था. वह रोज रात में श्रद्धा के शव के एक टुकड़े को महरौली के जंगल में फेंकने के लिए जाता था.