ADR रिपोर्ट- लालू यादव की RJD और अखिलेश की सपा सहित 13 क्षेत्रीय पार्टियों ने किया आय से अधिक खर्चा

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नई दिल्ली : चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दलों में बीजू जनता दल (BJD) आय के मामले में सबसे धनी राजनीतिक दल है। चुनाव सुधार से जुड़ी शोध संस्था एडीआर के क्षेत्रीय दलों के आय व्यय की विश्लेषण रिपोर्ट के मुताबिक, 52 क्षेत्रीय दलों में बीजेडी की वित्तीय वर्ष 2018-19 में सर्वाधिक 249.31 करोड़ रुपये आय हुई है। वहीं, अगर खर्चे की बात करें तो लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और अखिलेश यादव की नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी सहित 13 क्षेत्रीय दलों ने आय से अधिक खर्चा किया है।

मंगलवार को जारी एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार असम गण परिषद और जेकेएनपी सहित 15 क्षेत्रीय दलों ने आय व्यय का ब्योरा निर्धारित समय सीमा में आयोग को मुहैया नहीं कराया। जिन 37 दलों ने यह ब्योरा दिया है, उनमें सात क्षेत्रीय दलों ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में चुनावी बांड से भी चंदा मिलने की बात कही है। इन दलों को चुनावी बांड के माध्यम से कुल 578.49 करोड़ रुपये मिले हैं।

चुनाव आयोग के निर्देशानुसार सभी राजनीतिक दलों को अपने आय व्यय का वार्षिक ब्योरा आयोग को देना अनिवार्य है। इसे आयोग की वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक किया जाता है।

वित्तीय वर्ष 2018-19 का ब्योरा राजनीतिक दलों को 31 अक्टूबर 2019 तक आयोग को देना था। इस समय सीमा में 15 क्षेत्रीय दलों को छोड़ कर अन्य क्षेत्रीय दलों ने यह ब्योरा आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार समाजवादी पार्टी, डीएमके, अकाली दल, आईएनएलडी, आरएलडी और आरजेडी सहित 13 क्षेत्रीय दलों ने अपनी आय से अधिक व्यय किया है। इनमें सपा ने अपनी कुल आय से सर्वाधिक 50.65 प्रतिशत (17.12 करोड़ रुपये) व्यय में दर्शाया है।

रिपोर्ट में 37 दलों के ब्योरे के विश्लेषण के आधार पर बताया गया है कि इन दलों को वित्तीय वर्ष 2018-19 में कुल 1089.60 करोड़ रुपए की आय हुई। इनमें सर्वाधिक आय वाले क्षेत्रीय दलों में बीजद के अलावा टीआरएस (188.71 करोड़ रुपये) और वाईआरएस कांग्रेस (181.08 करोड़ रुपये) शामिल है। इन तीनों दलों की आय में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में सर्वाधिक इजाफा भी दर्ज किया गया।

रिपोर्ट के अनुसार 37 में से 26 दलों की आय पिछले एक वित्तीय वर्ष में बढ़ी जबकि नौ दलों की आय में गिरावट दर्ज की गयी। दो क्षेत्रीय दलों ने वित्तीय वर्ष 2017-18 का आय व्यय का ब्योरा नहीं दिया था इसलिये इनकी आय में वृद्धि या गिरावट का आंकलन नहीं किया जा सका।