जम्मू-कश्मीर में बाढ़ का कहर : अब तक 18 की मौत

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जम्मू-कश्मीर एक बार फिर कुदरत के प्रकोप का सामना कर रहा है। दो-तीन दिनों तक जबरदस्त बारिश से प्रदेश में फिर बाढ़ के हालात हो गए हैं। सूबे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 18 हो गई है। हालांकि सोमवार से बारिश थमी है, लेकिन मौसम विभाग ने मंगलवार को भारी बारिश की चेतावनी दी है।

उधर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि हालात पिछले साल जितने खराब नहीं है लेकिन केंद्र पूरी तरह अलर्ट है और हरसंभव मदद को तैयार है। गृह मंत्री ने कहा कि मंगलवार को नई दिल्ली में  कहा कि वहां हमारी अपनी सरकार है और हालात फिलहाल नियंत्रण में हैं। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भी मंगलवार को बाढ़ का मुद्दा छाया रहा। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया।मंत्री अब्दुल रहीम वीरी ने बताया कि मरने वालों का आंकड़ा 18 पहुंच गया है। इनमें 15 कश्मीर घाटी से और तीन जम्मू के उधमपुर से हैं।

जम्मू के कुछ हिस्सों और घाटी की कई जगहों पर मूसलाधार बारिश से कई जगह भूस्खलन हुआ है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि बडगाम में चादूरा के लादेन गांव में छह और लोगों के शव बरामद हुए हैं। एक व्यक्ति भूस्खलन के दौरान फंस गया था और उसके भी मरने की आशंका है। राहत एवं बचाव कार्य जारी है और इस काम में मदद के लिए नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स की 8 टीमों को घाटी भेजा गया है। स्थानीय अधिकारियों की ओर से घाटी में बाढ़ के हालात घोषित किए जाने के बाद सैन्य बलों को चार हेलीकॉप्टरों के साथ तैनाती के लिए तैयार रखा गया है ताकि कम नोटिस पर उनकी सेवा ली जा सके।

केंद्र सरकार ने तत्काल राहत के रूप में 200 करोड़ रूपये मंजूर किए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को स्थिति की समीक्षा करने और जरूरी मदद के सिलसिले में राज्य के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए कश्मीर भेजा है।

घाटी को देश के अन्य हिस्से से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग को शनिवार को बंद कर दिया गया। ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर हिमस्खलन की भी आशंका को लेकर चेतावनी जारी की गई है। राज्य में सभी परीक्षाओं को तीन अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। घाटी में अंतर-राज्य संपर्क भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

कश्मीर में बाढ़ राहत अभियान के लिए भारतीय सेना के 20 दल भी अपने साजो सामान के साथ तैयार हैं। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। सेना के अधिकारियों ने कहा कि प्रत्येक दल में 100-125 सैन्यकर्मी, नौका और वाटर पंप को तैयार रखा गया है।

इसी बीच, आईएल-76 विमान से राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया दल (एनडीआरएफ) की दो कंपनियों को बठिंडा से श्रीनगर के लिए रवाना कर दिया गया है। सेना ने सोमवार को औपचारिक तौर पर बचाव और राहत अभियान में सहयोग के लिए आग्रह किया था। साथ ही वह सोनावाड़ में दो जगहों पर झेलम नदी के तटबंधों में आई दरार को भरने का काम भी कर रही है।

वहीँ कश्मीर में आई बाढ़ पर नजर रखने के लिए केंद्र सरकार जम्मू और कश्मीर सरकार के साथ लगातार संपर्क में है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) जम्मू एवं कश्मीर में आई बाढ़ पर नजर रख रही है। साथ ही गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य में बाढ़ की स्थिति पर सोमवार को मुख्यमंत्री से बातचीत की है।

एहतियातन राज्य सरकार की सहायता के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के दो दलों को तैनात किया गया है, जबकि अन्य चार दलों को तैयार रखा गया है।

जम्मू कश्मीर सरकार ने राज्य में बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिये 235 करोड़ रूपये मंजूर किये हैं। मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य में बचाव और राहत कार्यों के लिये कश्मीर के मंडलीय आयुक्त के पक्ष में 225 करोड़ रूपये और जम्मू और राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के मंडलीय आयुक्त के पक्ष में 10 करोड़ रूपये जारी करने की मंजूरी दी है।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मुफ्ती मोहम्मद सईद से बात की और बताया कि कम से कम समय में राहत सामग्रियां घाटी के बाढ़ प्रभावित इलाकों में विमानों द्वारा पहुंचाई जाएंगी। फोन पर हुई बातचीत में मुफ्ती ने गृह मंत्री को कश्मीर घाटी की बाढ़ की स्थिति से अवगत कराया और उन कदमों के बारे में भी जानकारी दी जो प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए उठाए जा रहे हैं।

सिंह ने बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए केन्द्र की ओर से पूरी सहायता देने का आश्वासन दिया और बताया कि राज्य सरकार के बचाव और राहत कार्य में मदद के लिए राहत सामग्रियां जितना जल्दी संभव है, विमानों द्वारा कश्मीर घाटी में पहुंचाई जा रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्थिति का जायज़ा लेने और राज्य को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने के लिए केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को कश्मीर पहले ही भेज चुके हैं। कश्मीर घाटी में सात महीने पहले आई विनाशकारी बाढ़ के बाद पिछले कुछ दिनों से वहां हो रही लगातार वर्षा के कारण झेलम नदी का पानी कई रिहायशी इलाकों में फिर से घुस गया हैं।