नुसरत जहां को जिंदा जलाने के मामले में बांग्लादेश में 16 दोषियों को मौत की सजा

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ढाका : बांग्लादेश की एक अदालत ने मदरसे में किशोरी को जिंदा जलाकर मार डालने के मामले में गुरुवार को 16 लोगों को मौत की सजा सुनाई। 18 साल की नुसरत जहां रफी ने मदरसे के मौलवी के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत की थी। नुसरत पर शिकायत वापस लेने का दबाव डाला गया और नहीं लेने पर उसको केरोसिन डालकर जिंदा जला दिया गया था। इस घटना के खिलाफ देशभर में आक्रोश देखने को मिला था और प्रदर्शन किया गया था।

राजधानी ढाका समेत कई शहरों में इस घटना के विरोध में प्रदर्शन हुए थे। पीएम शेख हसीना ने आरोपितों के खिलाप सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया था। बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक, छोटे से कस्बे फेनी की रहने वाली नुसरत ने मदरसे के मौलवी सिराज-उद-दौला के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी। इस शिकायत के दो हफ्ते बाद विगत छह अप्रैल को नुसरत की हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया था। इस मामले में फेनी की अदालत के जज ममनूर राशिद ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया। सजा पाने वालों में मुख्य आरोपी मौलवी सिराज भी शामिल है। उसी ने नुसरत की हत्या की साजिश रची थी। इस मामले में बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा है कि वे इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।

साजिशकर्ता नुसरत को पहले मदरसे की छत पर ले गए और उसके ऊपर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। नुसरत ने जब इन्कार किया तो उसके हाथ-पैर बांध दिए और केरोसिन डालकर आग लगा दी गई। 80 फीसद जल चुकी नुसरत को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां दस अप्रैल को उसने दम तोड़ दिया था।

नुसरत जहां हत्याकांड की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालत में की गई। अदालत ने सिर्फ 62 दिन में अपना फैसला सुना दिया। इस हत्याकांड में जिन 16 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है, उनमें दो महिलाएं, मदरसे के छात्र और सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के कुछ कार्यकर्ता भी शामिल हैं। इनमें से कुछ नुसरत की हत्या को अंजाम देने में शामिल थे, जबकि कुछ वारदात के दौरान मदरसे के गेट पर पहरा दे रहे थे।