खेल को खेल की तरह लेना कब सीखेंगे हम

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16 जून को भारत और पाकिस्तान का बहुप्रतीक्षित मुकाबला खेला जा चुका है। बारिश से प्रभावित इस मैच को भारत ने आसानी से जीत लिया। संयोग से इसी दिन फादर्स डे भी था। पाकिस्तान आज तक आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत से कोई मैच नहीं जीत पाया है। भारत-पाकिस्तान का मैच टूर्नामेंट के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले मैचों में हमेशा शुमार रहा है। दोनों देशों के बीच की प्रतिद्वंद्विता विश्व विख्यात है। क्रिकेट प्रेमियों की संख्या इन दोनों देशों में बेशुमार है। दोनों देशों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता होने के कारण खेल के मैदान में दोनों देशों के खिलाड़ियों के साथ-साथ दर्शकों के बीच एक जंग सा माहौल देखने को देखने को मिलता है।

इनके मैच में दुनिया भर की निगाहें होती हैं। 2007 में वेस्टइंडीज में आयोजित विश्व कप में भारत और पाकिस्तान अपने शुरुआती मुकाबले बांग्लादेश और आयरलैंड से हारकर बाहर हो गए थे। जिस कारण आगे के मुकाबलों को बहुत कम लोगों ने देखा और इससे वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड को बहुत घाटा हुआ। वह विश्वकप वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड के लिए घाटे का सौदा रहा। उस विश्वकप के फॉर्मेट की भी खूब आलोचना हुई, जिसमें 16 टीमों ने भाग लिया और चार-चार टीमों के चार ग्रुप बनाकर उनमें से सभी ग्रुप से दो-दो टीमें अगले चरण चुनी गयीं। उस फार्मेट में शुरुआती मुकाबलों में यदि कोई छोटी टीम बड़ी टीम को हराकर एक उलटफेर कर देती है तो वह बड़ी टीम शुरुआत से ही बाहर हो जाती है। भारत और पाकिस्तान को इसी कारण बाहर होना पड़ा था। इस बार विश्व कप का फॉर्मेट का फॉर्मेट बहुत ही शानदार है, जिसमें सभी टीमों को सेमीफाइनल में पहुंचने का बराबर मौका मिलेगा, क्योंकि उसे बाकी सभी टीमों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि अब तक चार मैच बारिश की भेंट चढ़ चुके हैं, जो चिंता का सबब है।

अब आते हैं भारत-पाक मैच पर हालांकि इस बार पाकिस्तान की टीम इतनी अच्छी फार्म में नहीं में नहीं थी और भारत की अपेक्षा कमजोर दिख रही थी। उसने इस मैच से पहले सिर्फ एक मैच ही जीता था। भारत की टीम बेहद संतुलित नजर आ रही है और वह पूरे टूर्नामेंट में सबसे मजबूत दावेदार मानी जा रही है। क्रिकेट के लिहाज से देखें तो ‘इंडिया बनाम इंग्लैंड’ के मैच को ‘मैच ऑफ द टूर्नामेंट’ कहा जा सकता है। लेकिन परंपरागत प्रतिद्वंद्वी होने के कारण भारत-पाक मैच ज्यादा ही चर्चा में आ गया था। दर्शकों को लुभाने के लिए आईसीसी ने ‘मौका-मौका’ शीर्षक से एक ऐड बनाया जिसमें भारत को अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान का बाप बताया गया। उसके बाद पाकिस्तान की ओर से इसके जवाब में एक ऐड बनाया जाता है, जिसमें बनाया जाता है। जिसमें विंग कमांडर अभिनंदन की जर्सी पहने हुए एक व्यक्ति को चाय पीते हुए दिखते हैं और उनसे सवाल-जवाब उसी तर्ज पर किए जाते हैं जैसा विंग कमांडर अभिनंदन के साथ वहां के आर्मी अफसरों ने किया था। अंत में जाते जाते उनसे वह कप देने को कहा जाता है। निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि यहां पूरी तरीके से दोनों देशों के बीच हुए राजनीतिक तनाव का क्रिकेट खेल से जोड़कर उसे भुनाने का प्रयास किया जा रहा है और दर्शकों की भावनाओं को भड़काने में निर्माता कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

इसके बाद भारत की ओर से एक और जवाबी ऐड बनाया, जिसमें नाई की दुकान में एक भारतीय टीम की जर्सी में व्यक्ति शेविंग करवा रहा होता है और टीवी पर मैच चल रहा होता है। पाकिस्तान की जर्सी में दूसरा व्यक्ति आकर उसे हैप्पी फादर्स डे विश करता है और एक रुमाल गिफ्ट देकर कहता है कि बेटे को बाप बनने में एक दिन लगता है और आप यह रुमाल मुँह छुपाने के काम आएगा। भारतीय जर्सी पहने व्यक्ति के इशारे पर नाई पाकिस्तानी व्यक्ति की शेव अभिनंदन कट में मुझे बना देता है। जिसके बाद वह व्यक्ति चिल्लाकर कहता है कि “मैं अपने दोस्तों को कैसे मुंह दिखाऊंगा।” तो भारतीय जर्सी का व्यक्ति उसी की दी हुई रुमाल थमाते हुए कहता है “यह लो मुँह छुपाने के काम आएगा” और “तुम्हारी किस्मत में विश्व कप नहीं अभिनंदन का झूठा कप ही है”। इसके पहले इन्हीं दो कलाकारों द्वारा अभिनीत एक ऐड आ चुका है जिसमें बताया गया है कि जब तुम्हारी पेट्रोल खरीदने की औकात नहीं तो विश्वकप का ख्वाब क्यों देखते हो।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अपनी अपनी टीमों अपनी टीमों को सपोर्ट करने के क्रम में में दोनों ओर से एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश की गयी और दूसरे का मखौल उड़ाया गया। भारत के मैच जीतने के बाद ट्विटर और फेसबुक पर “बाप बाप होता है” ट्रेंड करता रहा। इसे सराहनीय नहीं कहा जा सकता। खेल को लोगों के प्रति आपस में मेल मिलाप बढ़ाने के लिए जाना जाता है। इसका काम लोगों को जोड़ना है किन्तु ऐसे ऐड तोड़ने का काम करते हैं। आपसी विद्वेष को पढ़ाते हैं। पढ़े-लिखे और समझदार लोग अपनी क्रिएटिविटी का उपयोग करके नकारात्मक चीजें करके खेल और मानवता दोनों का भला नहीं कर रहे हैं।

एक तरफ हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि सिर्फ टूर्नामेंट नहीं दिल भी जीतो लेकिन ऐसे ऐड दिलों में दूरियां पैदा कर रहे हैं। हमें याद रखना चाहिए कि पाकिस्तान हमसे एक दिन पहले पाकिस्तान आजाद हुआ था यानी 14 अगस्त 1947 को। इस तरह वह हमसे एक दिन बड़ा हुआ। यही नहीं एक देश को अपना बेटा कहना उस देश की जनता का भी अपमान है। हमें ऐसी बदजुबानी से बाज आना चाहिए। आम बोलचाल में भी इस तरह की बातों को सच्चे खेलप्रेमी और पूर्व खिलाड़ी भी कई बार सपोर्ट नहीं करते हैं। सोशल मीडिया में बहुत लोग ऐसी पोस्ट्स धड़ल्ले से डाल रहे हैं। इससे दोनों देश के खेल प्रेमियों के बीच खटास पैदा हो रही है। माना कि पाकिस्तान और भारत के रिश्ते अच्छे नहीं हैं। बॉर्डर पर हमेशा आतंकवादी गतिविधियां चलती रहती हैं लेकिन उसे लेकर समर्थकों का एक दूसरे के प्रति नफरत फैलाना जायज नहीं ठहराया जा सकता । यह छोटी-मोटी चुहलबाजी हो तो कोई बात नहीं परन्तु दुर्भावनापूर्ण तरीके से किसी देश को नीचा दिखाना स्वस्थ प्रतिक्रिया नहीं कही जा सकती।

पिछली बार चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में हमारी टीम को हार का सामना करना पड़ा था उसके पहले भी टीवी और सोशल मीडिया में बयान बहादुरों ने ऐसा ही माहौल बनाया हुआ था। जिससे बाद में और फजीहत हुई थी। सभी जानते हैं कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है और दोनों टीमों में से कोई भी जीत सकता है। अपनी टीम को सपोर्ट करना ठीक है लेकिन दूसरी टीम के लिए असभ्य पड़ी करना एक खेल प्रेमी को शोभा नहीं शोभा नहीं प्रेमी को शोभा नहीं देता है आखिर क्रिकेट को भद्र जनों का खेल कहा जाता है। इसलिए सभी खेलप्रेमियों को चाहिए कि वे खेल को सिर्फ खेल की तरह ही लें भविष्य में भी ऐसे मैचों को बेवजह की हाइप देने से बचें। क्योंकि यह आखिरी मैच नहीं है आगे भी द्विपक्षीय सीरीज न सही आईसीसी की प्रतियोगिताओं जैसे चैंपियंस ट्रॉफी व विश्व कप में तो हमारा पाकिस्तान से मुकाबला होगा ही। एक परिपक्व क्रिकेटप्रेमी की तरह हम भारत – पाकिस्तान के मैचों को कब सिर्फ मैच की तरह देखना शुरू करेंगे…?