- July 24, 2014
- By Arpana Singh Parashar
- in राष्ट्र, सम्पादकीय
एक वक्त था जब पत्रकार की कलम पर लोगों को पूरा भरोसा हुआ करता था। इस देश का हर नागरिक जानता था कि कलम से लिखा गया हर शब्द सच होगा और हर नागरिक आँख बन्द करके उस पर आसानी से भरोसा भी कर लेता था।
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