- September 24, 2014
- By आज की आवाज़ टीम
- in व्यक्ति विशेष
आज का युवा जहां रूढ़ीवाद, परंपरागत, कर्मकांडी सोच और बाबाओं के चक्कर में फंसा हुआ है वहीं वह पाश्चात्य सभ्यता का अनुसारण कर नशे और सेक्स में
Read Moreआज का युवा जहां रूढ़ीवाद, परंपरागत, कर्मकांडी सोच और बाबाओं के चक्कर में फंसा हुआ है वहीं वह पाश्चात्य सभ्यता का अनुसारण कर नशे और सेक्स में
Read Moreओशो कहते हैं मैं अकेला महसूस करता हूँ, जो कि ठीक हैं लेकिन मैं भ्रमित हूँ। मैं नहीं जानता कि क्या हो रहा है। मेरे भीतर चीजें बदल रही हैं इसलिए कभी-कभी मैं आतंकित हो जाता हूँ, कभी-कभी अस्थिर अहसास होते हैं। यह स्वाभाविक है। जब कभी तुम...
Read Moreयदि आप सच में विचार करेंगे तो यही जानेंगे कि हमारे जीवन में कोई रहस्य है ही नहीं। या आप यह भी कह सकते हो कि जीवन खुला रहस्य है। सब कुछ उपलब्ध है, कुछ भी छिपा नहीं है। तुम्हारे पास देखने की आंख भर होनी चाहिए।
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