राहुल गांधी ने कहा गरीबी एक मानसिक अवस्था है

Like this content? Keep in touch through Facebook

 

 

 

RahulGandhiap 2281658bकांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गरीबी पर नया बयान देकर फिर से एक और विवाद को जन्म दे डाला है। उन्होंने कहा कि इसका खाना रुपये जैसी भौतिक वस्तुओं की कमी से कोई मतलब नहीं है। राहुल का यह मानना है कि गरीबी पर सिर्फ आत्मविश्वास के बूते काबू पाया जा सकता है।

इलाहाबाद के गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान का दावा है कि राहुल गांधी ने उनके कार्यक्रम में यह बयान दिया है कि गरीबी सिर्फ एक मानसिक स्थिति यानी दिमागी हालत है और इसका खाना खाने, रुपये और भौतिक चीजों से कोई लेना देना नहीं है। राहुल गांधी के मुताबिक़, जब तक कोई

शख्स खुद में आत्मविश्वास नहीं लाएगा, तब तक वह गरीबी के मकड़जाल से बाहर नहीं निकल पाएगा।

 इस कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि उनकी सरकार गरीबों के लिए तमाम योजनाएं चला रही है। गरीबी को खत्म करने के भी इंतजाम किए जा रहे हैं, लेकिन गरीबी को तब तक खत्म नहीं किया जा सकता जब तक कि गरीब अपने आत्मविश्वास और आत्मबल के जरिये इससे बाहर नहीं निकलना चाहेगा। सिर्फ खाना और पैसा मुहैया हो जाने से लोग गरीबी से नहीं उबर सकते हैं। राहुल गांधी के मुताबिकए किसी को कुछ देकर गरीबी नहीं दूर की जा सकती और न ही उसका सोशल स्टेटस बदला जा सकता है।

हालाँकिए अपनी बातों को सही साबित करने के लिए इस संदर्भ में राहुल ने अमेठी की एक गरीब महिला का उदाहरण भी दिया जिसने स्वयं.सहायता समूह राजीव गांधी महिला विकास परियोजना से खुद को जोड़कर अपना आत्म.सम्मान हासिल किया था। साथ ही राहुल ने समाज के वंचित वर्ग के उत्थान में स्वयं.सहायता समूहों की भूमिका की सराहना की और कहा वे गरीबी से उबरने में गरीबों को आत्मविश्वास प्रदान करते हैं।

इसी सेमिनार में राहुल के हवाले से नारायण ने कहा, मैं अपनी व्यवस्था की कमजोरियों को समझता हूं। मैं लोगों की मदद की भरपूर कोशिश करूंगा पर जब तक वंचित वर्ग की आवाज अंदर से नहीं आएगीए कुछ नहीं किया जा सकता।