AAP में मचा घमासान : प्रशांत-योगेंद्र AAP की कार्यकारिणी से बाहर, मेधा ने दिया इस्तीफा

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) ने हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद सरकार बनाई थी। लेकिन उसी पार्टी ने अपने दो महत्वपूर्ण नेताओं ‘योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण’ को शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाल दिया। पार्टी ने योगेंद्र के समर्थकों ‘आनंद कुमार और अजीत झा’ को भी 21 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया है।

मौजूदा दलों को नकारा साबित कर वैकल्पिक राजनीति देने के दावे के साथ महज ढाई साल पहले आई आम आदमी पार्टी (आप) में शनिवार को अपनी ही अंदरूनी उठा-पटक में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। भारी हंगामे, मार-पीट और नारेबाजी के बीच पार्टी की राष्ट्रीय समिति ने आखिरकार अपने संस्थापक सदस्यों प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर दिया। पार्टी ने ऐसी ही कार्रवाई उनका साथ देने वाले आनंद कुमार और अजित झा के खिलाफ भी की है। इन्हें पार्टी की सदस्यता से भी हटाने की तैयारी कर ली गई है। फैसले के खिलाफ नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने भी पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। जबकि पार्टी संसदीय दल के नेता और पटियाला से लोकसभा सदस्य धर्मवीर गांधी ने ऐसी मनमानी के लिए खुल कर केजरीवाल गुट का विरोध किया है।

केजरीवाल का विरोध करने वाले नेताओं को अब पार्टी से पूरी तरह बाहर करने की तैयारी भी कर ली गई है। शनिवार को हुई बैठक में पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) को पार्टी के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बयान देने वाले इन नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है। इससे पहले खुद प्रशांत भूषण पार्टी ही अनुशासन समिति के प्रमुख थे।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भूषण इस पूरी कार्रवाई के खिलाफ कानूनी विकल्प अपना सकते हैं। विद्रोही नेताओं के समर्थन में मुंबई में मेधा के पार्टी छोड़ने की घोषणा के साथ ही सांसद गांधी ने भी प्रेस कांफ्रेंस करके पार्टी निर्णय से नाइत्तेफाकी जाहिर की। ऐसे में चार सांसदों वाली पार्टी को अब अपने एक वरिष्ठ सांसद के विरोध का भी सामना करना पड़ेगा।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में करीब 300 लोग मौजूद थे, जहां दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने योगेंद्र और प्रशांत को हटाने का प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव के साथ ही 2012 में अस्तित्व में आई पार्टी के दो प्रमुख संस्थापक सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिए गए।

‘आप’ के कई कार्यकर्ता भी बैठक स्थल के बाहर मौजूद थे। जिनके हाथों में योगेंद्र और प्रशांत के विरोध में लिखी तख्तियां मौजूद थीं और उनका कहना था कि वे पार्टी के हित में वहां आए हैं। एक तख्ती पर लिखा था, ‘एकजुट रहें’ और दूसरे पर लिखा था ‘अरविंद केजरीवाल हम आपके साथ हैं।

‘आप’ के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता ने कहा कि 247 सदस्यों ने चार सदस्यों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाने के पक्ष में वोट किया। उन्होंने कहा कि सिर्फ आठ ने ही विरोध किया, जबकि दो ने लिखित विरोध दर्ज कराया। 54 सदस्यों ने कोई राय जाहिर नहीं की।

योगेंद्र ने इससे पहले बैठक के दौरान उन्हें हटाने के लिए सही तरीके से वोटिंग न कराने का दावा किया था। उन्होंने कहा, ‘यह लोकतंत्र की हत्या है। सदस्यों और आगंतुकों में कोई अंतर नहीं था। मनीष ने घोषणा की कि उनके पास 160 लोगों के हस्ताक्षर सहित अर्जी है। न कोई वोटिंग हुई, न बहस।

वहीँ योगेंद्र ने कहा, ‘वहां कई लोग इसका विरोध कर रहे थे। उन्हें एक बार मौका भी नहीं दिया गया। यह लोकतंत्र का माखौल है।’ सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत ने दावा किया कि बैठक की पटकथा पहले से तैयार कर ली गई थी।

हालांकि यह प्रस्ताव पारित होने से पहले ही भूषण, यादव, कुमार और झा बैठक से बाहर आ गए। उन्होंने बाहर आकर आरोप लगाया कि बैठक पूरी तरह से फर्जी थी और इसमें सदस्यों के साथ मार-पीट की गई। सुबह बैठक की शुरुआत में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण में ही इस कार्रवाई की भूमिका बांध दी।

आप नेता संजय सिंह ने दावा किया है कि किसी भी सदस्य के साथ मार-पीट की बात झूठी है और जिन लोगों के खिलाफ पार्टी ने कार्रवाई की है, वे जान-बूझ कर ऐसी अफवाहें फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो इस बात के प्रमाण भी पेश किए जाएंगे। इससे पहले भूषण ने दावा किया था कि हरियाणा के सदस्य रमजान चौधरी को बाउंसरों ने लात-घूसों और जूतों से पीटा। चौधरी का कहना था कि हो सकता है कि उसका पैर भी इसमें टूट गया हो। उधर, संजय सिंह के मुताबिक चौधरी केजरीवाल के भाषण के दौरान चिल्ला रहे थे, इसलिए उन्हें बाहर कर दिया गया।

विद्रोहियों के आरोप आरोप है कि उनके पक्ष के सदस्यों को अंदर नहीं जाने दिया गया। सामंजस्य की बात करने वालों को मारा-पीटा गया। गुप्त मदतान की अपील ठुकराई गई और फर्जी तरीके से वोटिंग हुई। दूसरे पक्ष को बोलने का मौका भी नहीं दिया गया।पार्टी लोकपाल या निष्पक्ष व्यक्ति को मौजूद रखने की अपील ठुकराई। इस विद्रोही गुट में प्रमुख लोग प्रशांत भूषण ,योगेंद्र यादव ,धर्मवीर गांधी ,शांति भूषण , अजित झा , आनंद कुमार शामिल हैं।

बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर भूषण और यादव ने कहा कि यह सब एक पूर्व नियोजित साजिश के तहत हुआ है। केजरीवाल लोगों को उत्तेजित कर रहे थे और पीछे से विधायक कह रहे थे कि गद्दारों को निकालो। फिर उन्हीं के लोग आकर उन्हें शांत कर रहे थे। बता दे कि दोनों गुटों में पिछले एक महीने से गंभीर मनमुटाव चल रहा था।