2 साल से ज्यादा की सजा होने पर विधायक होंगे अयोग्य

 

उच्चतम न्यायालय ने आपराधिक मामलों में दोषी ठहरा, जाने के बाद उच्च न्यायालय में अपील लंबित होने के दौरान सांसदों और विधायकों को अयोग्यता से संरक्षण प्रदान करने वाला जनप्रतिनिधित्व कानून का प्रावधान बुधवार को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है कि जिसके बाद अपराधिक चरित्र के नेताओं के लिए चुनाव मुश्किल हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो ऐसे में उनकी सदस्यता संसद और विधानसभा से रद्द हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों पर तत्काल प्रभाव से लागू होगा।

इतना ही नहीं, क़ैद में रहते हुए किसी नेता को वोट देने का अधिकार भी नहीं होगा और ना ही वे चुनाव लड़ सकेंगे। क्योंकि जेल जाने के बाद उन्हें नामांकन करने का हक़ नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट का ये फ़ैसला तत्काल प्रभाव से ही लागू माना जाएगा। हालांकि आज से पहले सज़ा पा चुके लोगों पर ये फ़ैसला लागू नहीं होगा। कोर्ट ने कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद ये ऐतिहासिक फ़ैसला दिया है।

याचिका में कहा गया था कि संविधान में एक अपराधी के मतदाता के रूप में पंजीकृत होने या फिर उसके सांसद या विधायक बनने पर प्रतिबंध है, लेकिन जन प्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान दोषी सांसद और विधायकों को अदालत के निर्णय के खिलाफ दायर अपील लंबित होने के दौरान पद पर बने रहने की छूट प्रदान करता है। याचिका के अनुसार यह प्रावधान पक्षपात करने वाला है और इससे राजनीतिक के अपराधीकरण को बढ़ावा मिलता है।

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सुप्रीम कोर्ट का आदेश आज से ही लागू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सजा पाने वाले सांसदए विधायक को अपील करने के नाम पर सदस्यता बनाए रखने की मोहलत नहीं मिलेगी। लेकिन जिन सदस्यों ने सजा के खिलाफ अभी अपील की हुई है उनके मामले में सुप्रीम कोर्ट का आज का आदेश लागू नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के तत्काल बाद बीजेपी प्रवक्ताु रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वे इसका स्वाोगत करते हैं। उन्होंदने कहा कि कोर्ट के फैसले से विधायिका में सुधार होगा।

 

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