मगध में मोदी की परिवर्तन रैली और तंज की राजनीति

Like this content? Keep in touch through Facebook

गया, बिहार  : गया के गांधी मैदान में मोदी की रैली में शामिल होने के लिए उसकी क्षमता से ज्यादा भीड़ उमड़ी और हर तरफ नौजवान चेहरे नजर आये। यहाँ मंच पर पहुचे पीएम मोदी अपने लिए उमड़ी इस भीड़ को देख कर गदगद हो गए। इसके बाद मंच पर वह थे, और उनके सामने था नौजवानों का हुजूम। मोदी ने परिवर्तन रैली में अपने करीब एक घंटे के संबोधन में ज्यादातर समय इन्हीं नौजवानों से सीधी बात की। सवाल पूछकर भीड़ से हां-ना बोलवाने की उनकी अदा पुरानी है, लेकिन गया रैली में वह ज्यादातर समय इसी रौ में रहे।

राजनीतिक समीक्षक मानते हैं कि बिहार विधानसभा के आगामी चुनाव में फैसलों की कमान नये मतदाताओं के हाथ रहेगी। हर विधानसभा सीट पर करीब 45 हजार नये मतदाता बने हैं। इसे ध्यान में रखते हुए सभी पार्टियां इन मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन अब तक, खासकर आज गया रैली में यह वर्ग पीएम मोदी के साथ खड़ा दिखा।

नौजवानों की भीड़ और उनका उत्साह देखकर मोदी ने भी उनके मर्म को स्पर्श किया, तथा बिहार की मेधा का महिमामंडन करते हुए यहां के ब्रेन-ड्रेन, शिक्षा तथा रोजगार की समस्या पर विस्तार से बात की। मोदी के पूरे भाषण के दौरान नवजवानों ने रैली स्थल का माहौल उत्सवी बनाए रखा, और उनके हर सवाल पर जबर्दस्त रिस्पॉन्स दिखाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राजद व जदयू पर जमकर निशाना साधा तथा कहा कि बिहार के विकास के लिए राज्य में एनडीए की सरकार जरूरी है। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कई बार जंगल राज का नाम लिया तथा पिछले दिनों मुजफ्फरपुर की रैली के दौरान राजद के बताए गए मतलब ‘रोजाना जंगलराज का डर’ की भी याद दिलाई।

मंच पर आने के बाद सबसे पहले नरेंद्र मोदी ने खंभे पर चढ़ी भीड़ से आग्रह किया कि वह नीचे आ जाए। कहा कि अगर उन लोगों को कुछ हो गया तो उनका क्या होगा। आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले गया वालों से शिकायत की कि लोकसभा चुनाव के दौरान जब वे आए थे तब इतनी भीड़ नहीं थी। उन्होंने कहा कि आज हवा के रुख से ही पता चल रहा है कि गया वालों ने कमाल कर दिया है।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि चुनाव बहुत जल्द आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं साफ देख रहा हूं कि बिहार की जनता ने दो फैसले कर लिए हैं। एक निर्णय, बिहार के विकास व एक आधुनिक नया बिहार बनाने का निर्णय कर लिया है। दूसरा निर्णय परिवर्तन का किया है। 25 सालों से जिनके जुल्म, अहंकार और धोखाधड़ी को झेला है, उनसे मुक्त होने का। जंगलराज से मुक्ति का परिवर्तन होने वाला है।’

मोदी ने कहा कि आज भी हिंदुस्तान के सांस्कृतिक इतिहास की शुरुआत बिहार से ही होती है। अहिंसा की बात बुद्ध व बिहार से शुरू होती है। मोदी ने कहा कि हर राज्य में बिहार के नौजवान आइएएस-आइपीएस बनकर बैठे हैं। बिहार के पास नौजवानों की ताकत है। लेकिन क्या कारण है, कि जो बिहार देश को उत्तम मानव संसाधन दे सकता है, वह आगे बढ़ नहीं पा रहा है?

प्रधानमंत्री ने जनता से पूछा कि क्या फिर से बिहार को 25 साल की बर्बादी की ओर ले जाना है? इसपर जवाब नहीं में आने पर उन्होंने कहा कि बिहार को आगे ले जाना है, तो हमें कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा। इसके लिए वे तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अब दिल्ली बिहार के साथ है। दिल्ली बिहार का भाग्य बदलने के लिए आपकी सेवा में तैनात है। कहा कि वे बिहार के जीवन को बदलने एक अच्छी सरकार चुनने की प्रर्थना करने आपके पास आए हैं। चुनाव में आपने इतना प्यार बरसाया, उसे ब्याज समेत लौटाना चाहते हैं। विकास करना चाहते हैं। इसके लिए विकास के लिए प्रतिबद्ध सरकार होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘गंगा जी तो बहती हैं, लेकिन इससे उल्टा लोटा लेकर पानी नहीं ले सकते। दिल्ली से विकास की गंगा बह रही है, लेकिन यहां के शासक अहंकार का उल्टा लोटा लेकर खड़े हैं। ऐसे में भला कैसे होगा विकास। उन्होंने कहा कि 10-10 साल से कई योजनाएं रुकी थीं, जिनका पिछली बार आकर लोकार्पण किया।

नीतीश कुमार व लालू प्रसाद का नाम लिए बिना उन्होंने कटाक्ष किया कि उन्हें तो पता ही नहीं चल रहा बिहार में भुजंग प्रसाद कौन हैं और चंदन प्रसाद कौन हैं? पता ही नहीं कौन जहर पिला रहा और कौन पी रहा। इतना मुझे पता है चुनाव के बाद जहर उगलना शुरू करेंगे।

मोदी ने आगे कहा कि बिहार में राजनीतिक लाभ के लिए राजद-जदयू का गठबंधन हुआ है। यह चुनाव के बाद नहीं चलने वाला। गठबंधन की मजबूरी के तहत दोनों ने जो जहर पीया है, चुनाव के बाद उगलेंगे। चुनाव के बाद यह जहर जनता की थाली में ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जिन्होंने जहर पिया है उनको मौका देना मुनासिब नहीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार को बचाने के लिए एनडीए की सरकार बनानी होगी। मांझी, पासवान, कुशवाहा, सुशील मोदी के नेतृत्व में नई सरकार क्यों बनानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश में कई वर्षों से बीमारू राज्य की चर्चा होती रही है। थी। इनमें बिहार, यूपी, एमपी, राजस्थान के नाम थे। एमपी में 15 साल भी पूरा नहीं हुआ है लेकिन वह बीमारू राज्य से बाहर निकल गया। बिहार को बीमारू राज्य से बाहर निकालना है तो एनडीए को लाना होगा। आज राजस्थान बीमारू राज्य नहीं रहा। भाजपा की सरकार ने विकास की नई ऊंचाइयों को छूआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘वादा करता हूं पांच साल में बिहार को बीमारू राज्य से बाहर निकाल दूंगा।’

उन्होंने कहा कि वे दुनिया में कई देशों में गए। जिन-जिन देशों में बुद्ध का प्रभाव है, वहां हर किसी ने एक बात कही कि एक बार तो बोधगया जाने की इच्छा है। दुनिया का हर व्यक्ति एक बोधगया के दर्शन करने जाना चाहता है। ताजमहल से ज्यादा यात्री बोधगया आना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि में गया को ऐसा बनाना चाहिए जिससे दुनिया भर के लोग यहां आएं। बड़ी संख्या में लोग आएंगे तो यहां गरीबी दूर हो जाएगी। टूरिज्म में कम पूंजी से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है। टूरिज्म के विकास से यहां का कोई नौजवान बेरोजगार नहीं रहेगा। गरीब से गरीब आदमी भी कमाएगा।

नरेंद्र मोदी ने कहा, गया में जब बम धमाके हुए तो पूरे विश्व को सदमा पहुंचा, लेकिन वोट बैंक की राजनीति में डूबे लोगों को इसकी परवाह नहीं। मोदी ने कहा कि पितृतर्पण की बात आती है तो हिंदुस्तान का हर युवक गया में ही तर्पण करना चाहता है।हिंदुस्तान भर के लोगों का यह सपना है। करोड़ों लोग आने को तैयार बैठे हैं, लेकिन यहां के समाचार सुनकर आते ही नहीं। पितृ तो नाराज होते ही है और यहां के लोगों के रोजगार भी खत्म होते हैं। उन्होंने इस स्थिति को बदलने पर बल देते हुए कहा कि गया को आगे बढ़ाना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, जंगलराज पार्ट टू आया तो सब बर्बाद हो जाएगा। लालू प्रसाद पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि कोई जेल जाता है तो अच्छी बात सीखकर आता है क्या? वह वहां से सारी बुराइयां लेकर आता है। पार्ट वन में जेल का अनुभव नहीं था, अब यह जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे में अगर राजद-जदयू की सरकार बनी तो बर्बादी की आशंका बढ़ गई है।

मोदी ने आरजेडी का मतलब ‘रोजाना जंगलराज का डर’ दुहराते हुए जदयू का मतलबअ भी समझाया। उन्होंने कहा कि जदयू का मतलब ‘जनता का दमन और उत्पीड़न’ है। मोदी ने कहा कि हाल ही में पटना में सवेरे-सवेरे एक भाजपा कार्यकर्ता को गोलियों से भून दिया गया। यह पटना में सरकार की नाक के नीचे हुआ। उन्होंने इसे जंगलराज की शुरुआत बताया। उन्होंने जंगलराज पार्ट टू को लेकर चेताया तथा कहा कि बिहार को ऐसे लोगों के हाथों में नहीं सौपा जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 25 साल से लालटेन वालों ने आपको अंधेरे में रखा। बिजली नहीं मिलती है। अंधेरे में गुजारा करना पड़ता है। नीतीश पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि यहां के नेता ने बिजली देने का वादा किया था। कहा था कि बिजली नहीं देंग तो वोट नहीं मांगेंगे। फिर भी वोट मांगने आए। उन्होंने कहा कि जनता इसबार इनके झांसे में नहीं आएगी।

मोदी ने बताया कि पूरे देश में बिजली खपत बिहार में ही न्यूनतम है। बिहार से भी छोटे राज्य सिक्किम में यहां से छह गुना अधिक खपत है। झारखंड भी पांच गुना अधिक बिजली का उपयोग करता है। उन्होंने कहा कि 25 साल की दो सरकारों ने यहां की जनता का अंधरे में रखा है। जिन्होंने बिहार को बर्बाद किया है उनको दोबारा बिहार नहीं दिया जा सकता।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘यहां के नौजवानों को अवसर नहीं दिया जाता। नौजवानों को रोजगार देना है तो टेक्निकल एजुकेशन देना होगा। बिहार के अंदर नौजवानों को शिक्षा मिलनी चाहिए, लेकिन दुख की बात यह है कि 17-20 साल उम्र के 80 लाख युवा हैं। मां-बाप के सपने हैं कि उनके बेटों को इंजीनियरिंग करने का मौका मिले, लेकिन बिहार में इंजीनियरिंग की सीटें सिर्फ 25 हजार हैं। 25 साल में बस 25 हजार सीटेें। दूसरी ओर देखिए हिमाचल प्रदेश, जो बहुत छोटा है, वहां इंजीनियरिंग कॉलेेजों में सीटों की संख्या 24 हजार है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, उड़ीसा पिछड़ा राज्य है। वहां भी एक लाख 13 हजार से ज्यादा इंजीनियरिंग की सीटें हैं। पंजाब बहुत छोटा राज्य है। वहां एक लाख चार हजार सीटें हैं। बिहार का एक चौथाई भी पंजाब नहीं है, फिर भी इंजीनियरिंग की इतनी सीटें हैं। जंगलराज ही इसके लिए जिम्मेदार है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पटना से भी कम जनसंख्या है उत्तराखंड की। फिर भी वहां 40 हजार से अधिक इंजीनियरिंग की सीटे हैं। ये बिहार के नौजवानों के साथ अन्याय है। यहां के नौजवानों को सुविधा मिलनी चाहिए या नहीं। जिसने ये सुविधा नहीं दी उनको भगाना चाहिए या नहीं। शिक्षा में बदलाव एनडीए की ही सरकार ला सकती है। हर साल बिहार से 4-5 लाख नौजवानों को पढ़ाई के लिए राज्य छोड़कर जाना पड़ता है। औसत हर युवक साल का एक लाख रुपये खर्च करता है। हर साल चार हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है कि नहीं। ये चार हजार करोड़ बचना चाहिए या नहीं। चार हजार करोड़ बचाना है तो यहां ये सुविधा मिलनी चाहिए या नहीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हमें विकास के लिए वोट चाहिए, जंगलराज से मुक्त कराने के लिए वोट चाहिए। भरोसा दिलाने आया हूं, बिहार की विकास की यात्रा में कंधे से कंधा मिलाकर चलूंगा। आप एक कदम चलेंगे तो सवा कदम चलूंगा। मतदान के समय भारी मतदान करके बिहार का भाग्य बदल दीजिए।
नरेंद्र मोदी की रैली को लेकर जनता की भीड़ सुबह से ही गांधी मैदान पहुंचने लगी थी। उन्हें गांधी मैदान में पूरी सुरक्षा जांच के बाद इंट्री दी गई। मंच पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्रीगण रामविलास पासवान, राधामोहन सिंह, रामकृपाल यादव व रवि शंकर प्रसाद नजर आये। मंच पर भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव भी दिखे। भाजपा नेता डॉ सीपी ठाकुर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय के साथ पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी भी आ चुके हैं। मंच पर जदयू के बागी विधायक राजीव रंजन, अनिल कुमार व राहुल शर्मा भी दिखे।

मोदी की तमाम बातो पर पलटवार करते हुए नीतीश orने दिया जवाब :

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गया में दिए गए भाषण पर करारा पलटवार किया है। उन्होंने पीएम द्वारा बिहार के नेताओं पर की गई ‘उल्टा लोटा’ लेकर खड़े होने वाली चुटकी का जवाब देते हुए कहा, ‘हमारे यहां अर्घ्य देने की परंपरा है और इस दौरान लोटा उल्टा ही होता है।’

नीतीश ने यह भी कहा कि देश के प्रधानमंत्री को यह ही पता नहीं है कि बिहार अब बीमारू राज्य नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस तरह की बातें बिहार आकर पीएम मोदी ने की हैं, वह उनसे पद को शोभा नहीं देतीं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी पार्टी जेडीयू को जनता दमन उत्पीड़न पार्टी बताने वालों की पार्टी बीजेपी को लोक ‘बड़का झुट्ठा पार्टी’ कहने लगे हैं।

अर्घ्य देते वक्त लोटा उल्टा ही होता है’

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा था कि बिहार के नेता उल्टा लोटा लेकर खड़े रहते हैं। इस पर करारा जवाब देते हुए नीतीश ने कहा, ‘हमारे यहां झठ पूजा होती है, जिसमें अर्घ्य दिया जाता है। जब अर्घ्य देते हैं तो लोटा उल्टा ही होता है। और तो और प्रधानमंत्री जी नया ज्ञान दे गए कि गंगा दिल्ली से बहती है। और हम तो उनसे दिल्ली जाकर भी मिले थे, मगर वह सिर्फ बातें करते हैं।’

पीएम को मालूम नहीं कि बिहार अब बीमारू नहीं

रविवार शाम को मीडिया से मुखातिब हुए नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गया में दिए भाषण पर करार पलटवार किया। नीतीश ने कहा, ‘वह पहले बिहार के डीएनए को लेकर कई तरह की टिप्पणियां करके चले गए थे। इस बार उम्मीद की जा रही थी कि वह अपने शब्दों को वापस लेकर गलती का सुधार करेंगे, मगर उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। उल्टा वह बिहार को दुर्भाग्यशाली और बीमारू बताकर चले गए। उन्हें पता नहीं है कि अब बिहार बीमारू राज्य नहीं कहलाता। यहां के इंडिकेटर्स जो हैं, उस हिसाब से बिहार बीमारू नहीं है।’ नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि उन्होंने बिहार को किस आधार पर बीमारू कहा।

अपने ही नेताओं का अपमान कर रहे पीएम

नीतीश ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने बिहार से दो राज्यों की तुलना करते हुए कहा- मध्य प्रदेश और राजस्थान अब बीमारू राज्य से बाहर निकल गए, क्योंकि वहां पर बीजेपी की सरकार रही। ऐसा करते वक्त उन्होंने अपने ही पुराने और वरिष्ठ नेताओं का अपमान कर दिया। वह भूल गए कि पहले उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उपराष्ट्रपति रहे भैरोसिंह शेखावत ने राजस्थान में अंत्योदय की शुरुआत की थी और इसके लिए उन्हें सराहा गया था। मगर वह कहते हैं कि पिछले 5-10 सालों में ऐसा हुआ।’
मोदी पर लगाया धमकाने का आरोप

बिहार के सीएम ने कहा कि बार-बार बिहार की जनता को धमकाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘मध्य प्रदेश और राजस्थान अगर बीमारू की कैटिगरी से बाहर हुए तो केंद्र में किसकी सरकार थी? केंद्र में तो बीजेपी की सरकार नहीं थी। 2004 से कोई और सरकार थी, फिर भी इन राज्यों में तरक्की हुई। अब आप कह रहे हैं कि केंद्र में हमारी सरकार है, इसलिए बिहार में भी अगर हमारी सरकार होगी तो विकास अच्छा होगा। इससे आपके इरादों का पता चलता है। आप यही कहना चाहते हैं कि अगर बिहार में किसी और की सरकार होगी तो आपकी केंद्र सरकार सहयोग नहीं करेगी। यही है कोऑपरेटिव फेडरलिज़म? आप लोगों को धमका रहे हैं। आप जिस पद पर बैठे हैं, उसपर बैठे शख्स को ऐसा करना शोभा नहीं देता।’

गुजरात दंगों का भी किया जिक्र

नीतीश ने गुजरात दंगों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘आपने पिछली बार कह दिया कि आरजेडी ने जंगलराज फैलाया और इस वक्त बोल रहे हो कि जेडीयू का मतलब जनता का दमन और उत्पीड़न है। आप गुजरात को क्यों भूल जाते हैं? भूल गए कि श्रद्धेय वाजपेयी जी ने आपको कहा था कि राजधर्म का पालन कीजिए?’
‘हमारा काम आसन कर गए प्रधानमंत्री’

नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मंच से यह कहा कि बिहार में पिछले 10 सालों में कोई काम नहीं हुआ, ऐसा कहकर उन्होंने हमारा काम आसान कर दिया। बिहार के सीएम ने कहा, ‘जब हम अपनी 10 साल की उपलब्धियां गिनाते हैं तो बीजेपी के स्थानीय नेता कहते हैं कि इनमें साढ़े 7 साल हम भी थे। अब अगर प्रधानमंत्री कह गए कि कोई काम ही नहीं हुआ है तो उनके नेता किस मुंह से कहेंगे इस सरकार के साथ हम भी थे। अच्छा किया जो वह अपनी पार्टी को हमारे काम से अलग कर गए। इसके लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं।’

अमित शाह पर भी साधा निशाना

नीतीश ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जेल वाले गुणों का फायदा बनाने के लिए उन्हें यह पद दिया गया है। नीतीश ने कहा, ‘जेल को सुधार गृह बताया जाता है। उन्होंने अपनी पार्टी की जिम्मेदारी ऐसे शख्स को दी है, जो जेल से लौटा है। जेल के गुण का फायदा लेने के लिए ही शायद उन्होंने यह पद सौंपा है। यह हम नहीं कह रहे, उनकी बातों के हिसाब से तो ऐसा ही लग रहा है। आपने लोकसभा चुनावों के दौरान कहा था कि 1 साल के अंदर राजनीति को अपराधमुक्त कर देंगे। वह सवाल साल से ज्यादा वक्त बाद आए हैं। हमने कहा था उनसे कि ऐलान करें कि उनकी पार्टी और सहयोगी पार्टियां अपराधियों को टिकट नहीं देंगी। मगर कुछ नहीं किया गया।

सब कुछ ट्विटर से चलता है नीतीश ने कहा, ‘इनका सब कुछ ट्विटर पर है। कहते भी ट्विटर पर हैं और सुनते भी। जब हमने सुना कि यह ट्विटर की सरकार है तो हम अपनी बात कहने के लिए ट्विटर पर चले गए। वहीं पर हमने उनसे कुछ बातें कही थीं, मगर उन्हें भई नहीं सुना गया।

‘गया की धरती पर झूठ बोलकर गए’ नीतीश ने कहा, ‘वह ज्ञान और मोक्ष की धरती पर बोल रहे थे। यहां भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था और हिंदू मानते हैं कि यहां पर तर्पण करने से पितरों को मुक्ति मिलती है। यहां आकर भी वह असत्य बोलने से बच गए। वह कहते हैं कि गया में टूरिजम के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है। भूल गए कि यहां पर गोवा से भी ज्यादा विदेशी टूरिस्ट आते हैं।’

‘बोलते वक्त अपने पद का ख्याल रखें’

नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री एक बार फिर प्रदेश को निराश करके गए। उन्होंने कहा, ‘पहले वह यहां के डीएनए पर बोलकर गए थे और इस बार बिहार को बीमारू बताकर गए हैं। उन्हें ध्यान होना चाहिए कि बिहारियों के बिना किसी का काम नहीं चलता है। उन्हें बिहार के विकास में योगदान देना चाहिए। जिस तरह की बातें उन्होंने की है, देश के इतने बड़े नेता से उनकी उम्मीद नहीं की जाती। आपने इंजिनियरिंग की सीटों की बात की, आप बताइए कि एक साल में आपकी सरकार ने कितने इंजिनियरों को नौकरी दी?’

‘आरोप लगाते हैं तो सबूत भी दें’
नीतीश ने कहा, ‘देश के इतने बड़े नेता हैं आप और कहते हैं कि आरजेडी ने जंगलराज फैलाया और जेडीयू का मतलब जनता दमन-उत्पीड़न पार्टी है। इन बातों को साबित करने के लिए साक्ष्य दीजिए। एक उदाहरण दे दिया आपने कि कार्यकर्ता की हत्या हो गई। यह भूल गए कि उसके बाद पुलिस ने कैसे तुरंत कार्रवाई की। बोध गया धमाके का NIA को कुछ पता नहीं चल पाया, मगर गांधी मैदान में धमाके की जांच कर रही पुलिस तह तक पहुंची और बाद में बोध गया धमाके की भी पोल खोली।’

आखिर में नीतीश ने जीतनराम मांझी को लेकर भी मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘बुद्ध की भूमि को वह किसी और की ही (इशारा जीतनराम मांझी की तरफ था) कर्मभूमि बता गए। गया को आप जिनकी कर्मभूमि बता रहे थे, उन्हें भी हमने ही बनाया था। और उस वक्त आपके नेताओं ने 9 महीनों के दौरान क्या-क्या कहा, उसका हमारे पास रिकॉर्ड है।’

वहीँ गया रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीखे हमलों से बौखलाए आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बेहद तीखा पलटवार किया। लालू ने पीएम पर बरसते हुए कहा कि मोदी अपना ‘मानसिक संतुलन’ खो बैठे हैं ।

लालू ने मोदी के भाषण को घटिया और पीएम पद की गरिमा को कम करने वाला बताते हुए कहा, ‘पीएम की गरिमा के स्तर को उन्होंने इतना गिरा दिया है कि लोग आज मजाक के रूप में नरेंद्र मोदी को देख रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘जितना बिहार का चुनाव पास आ रहा है, उतना देश के पीएम मोदी का मानसिक संतुलन खराब होता जा रहा है।

वैसे मोदी की इस रैली में सिर्फ मोदी ही नहीं, दूसरे नेताओं ने भी नीतीश-लालू का खूब विरोध किया। नेता शकुनि चौधरी ने मंच पर से नीतीश को ‘सबसे लुच्चा सीएम’ करार दिया था। इसके बाद मोदी ने भावनात्मक भाषण देते हुए कहा, ‘मैं आपसे आशीर्वाद लेने आया हूं। हमें मिलकर अहंकारी हुकूमत को उखाड़ना होगा। आधुनिक भारत में बिहार ने सर्वाधिक योगदान दिया, लेकिन फिर भी आगे नहीं बढ़ पाया।