जानिए, क्यों रक्षा मंत्रालय ने देश के युवाओं से मांगे सुझाव

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नई दिल्ली : देश के रक्षा मामलो से जुडे़ कुछ तकनीकी पहलु ऐसे हैं, जिनका हल आज तक देश-विदेश की बड़ी रक्षा कंपनिया नहीं खोज पायी हैं। इन्हीं हालातों को देखते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के युवा छात्रों और रक्षा मामलो से जुड़े लोगों से तकनीकी सुझाव मांगे हैं।

आपको बता दें कि रक्षा मंत्रालय ‘सोल्यूशन टू प्रोब्लम्स’ नाम से राष्ट्रीय स्तर की एक प्रतियोगिता को अंजाम दे रही हैं, जिसमें मंत्रालय ने फौज द्वारा सामना की जा रही तकनीकी परेशानियों पर सुझाव मांगा है।

दरअसल फौज के हेलीकाप्टरों में लड़ाकू विमानों की तर्ज पर अब तक इजेक्शन सिस्टम लगाने की तकनीक पर कुछ नहीं हो पाया हैं। विषम परिस्थिति के समय जब हेलीकाप्टर का पायलट बाहर निकलने का प्रयास करता है, उस वक्त 33,500 की रफ्तार से पंखा घूम रहा होता हैं। वहीं अक्सर दुश्मन के राडार से बचने के लिए पायलट नीची उड़ान भरते हैं। जंगल और पहाड़ी इलाको में तो पैराशूट भी विफल हो जाता हैं। इस प्रकार की स्तिथि से निपटने के लिए हेलीकाप्टर में इजेक्शन सिस्टम कैसे लगाया जा सकता हैं, इस पर मंत्रालय ने सुझाव मांगे हैं।

वहीँ जम्मू कश्मीर, लद्दाख, चीन से सटे पहाड़ी इलाके या नक्सली इलाको में GPS के सिग्नल दम तोड़ देते हैं। इसकी वजह से आटो पायलट काम करना बंद कर देता है, और सारा भार पायलट पे आ जाता हैं। मंत्रालय ने एक ऐसा मजबूत जीपीएस सिस्टम या मग्नोमीटर का आविष्कार के लिए पूछा है, जिसका सिग्नल कमजोर न पड़े और हर प्रकार के भोगोलिक इलाके में आटो पायलट का इस्तेमाल किया जा सके।

GPS टेक्नोलाजी को और मजबूती मिलने से सर्जिकल स्ट्राइक्स जैसे आपरेशन में फौज को और ज्यादा मदद मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, मोबाइल ऐप के ज़रिये अगर सैनिको और कमांडर्स को एक दूसरे की रियल टाइम इनफार्मेशन मिल सके। ऐसी कोई व्यवस्था के भी सुझाव मांगे गए हैं। सरकार ने सबसे बेहतर सुझाव देने वाले व्यकित के लिए इनाम की घोषणा भी की है।

गौरतलब है चेन्नई में 11 से 14 अप्रैल तक आयोजित होने वाले आगामी रक्षा प्रदर्शनी (डिफेंस एक्सपो) में भारत दुनिया के समक्ष अपनी रक्षा उत्पादन क्षमता और सैन्य उपकरणों का बड़ा निर्यातक बनने का अपना साम‌र्थ्य प्रदर्शित करने जा रहा।

साथ ही देश में विकसित हेलीकाप्टरों, विमानों, मिसाइलों और राकेटों का प्रदर्शन करने के अलावा पनडुब्बी और अन्य जहाजों के निर्माण की क्षमताओं को भी प्रदर्शित करेगा।

आपको बता दें कि भारत रक्षा उपकरणों के बड़े आयातकों में से एक है। सरकार विदेशी खरीद पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। इस एक्सपो में हिस्सा लेने के लिए करीब 50 देश अपनी मंजूरी दे चुके हैं।