एक था रामवृक्ष यादव !

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वीरों की धरती गाजीपुर हमेशा से इतिहास की सुर्खिया बटोरने में लगी रही है चाहे वह देश को आजादी दिलाने में हो या किसी को सड़क से सत्ता में पहुंचाने में की बात हो या अपराध जगत में कोई बड़ी घटना हो हमेशा से गाजीपुर इतिहास के सुर्खियों में रहा है। वह बात अलग है कि इतिहास के पन्नों में उन्ही का नाम दर्ज है जो अच्छे काम किए है। देखने में वो एक सीधा- साधा सा आम किसान जैसा लगता है जिसकी हाईट 5फीट 6इंच है लेकिन है बेहद खूंखार,जिसकी अपनी सल्तनत है और उसका एक इशारा भर काफी है,अनशन के नाम पर आतंक मचाने वाला मथुरा कांड का मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव पूर्वांचल का पुराना मनबढ़ रहा है। गाजीपुर के मरदह थाना क्षेत्र के ग्राम सभा रायपुर बागपुर केरहने वाले शातिर दिमाग के इस शख्स ने दो साल पहले जिले को छोड़कर मथुरा को ही परिवार के साथ डेरा बना लिया है। गांव के उसके पुराने कच्चे मकान पर ताला बंद है तो खेती-बाड़ी उसके भाई-भतीजे देखते हैं। सबसे खास बात यह है शातिर रामवृक्ष को प्रदेश सरकार की तरफ से लोकतांत्रिक सेनानी की पेंशन भी मिलती है। बाबा जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका रामवृक्ष बहुत ही शातिर दिमाग का था। जनपद को छोड़कर बाहर जाने के बाद अपने शातिर दिमाग से धर्म का चादर ओढ़कर वह सफेदपोश अपराधजगता की एक हस्ती बन गया था, जिसकी झलक गुरुवार को मथुरा में देखने को मिली। अनशन की आड़ में उसने अपराधियों का एक गैंग बना लिया था और भारी मात्रा में राइफलें, बंदूक व गोलियां का जखिरा इकट्ठा कर लिया था। रामवृक्ष के दो पुत्र व दो पुत्रियां हैं। पुत्रियों की शादी हो चुकी है, वह अपने दोनों पुत्रों व पत्नी के साथ मथुरा में ही रहते हैं।

वही उत्तर प्रदेश में जय गुरुदेव को एक बहुत ही बड़े आध्यात्मिक गुरु का दर्जा प्राप्त है। एक अनुमान के मुताबिक जय गुरुदेव के करीब 2 करोड़ से ज्यादा अनुयायी हैं। जय गुरुदेव को मानने वाले खुद को जय गुरुदेव पंथ का बताते हैं। कई लोग तो उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं। रामवृक्ष यादव भी जय गुरुदेव के करोड़ों अनुयायियों में से एक था। खुद को आध्यत्मिक गुरु कहने वाले जय गुरुदेव की खुद की कहानी हैरान करने वाली है। जय गुरुदेव खुद को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का अवतार कहता था।

मथुरा के जवाहर बाग पर अवैध कब्जा जमाए हजारों लोगों का मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव इसी जय गुरुदेव का अनुयायी था। यूपी के गाजीपुर का रहने वाला रामवृक्ष यादव 80 के दशक में जय गुरुदेव की दूरदर्शी पाटी से जुड़ा हुआ था। रामवृक्ष यादव ने दूरदर्शी पार्टी के टिकट पर करीब दो दशक पहले गाजीपुर से लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव भी लड़े थे लेकिन कभी जीत नहीं पाया. रामवृक्ष और उसके हजारों समर्थकों ने मथुरा के जवाहर बाग की 270 एकड़ की सरकारी जमीन पर कब्जा जमा रखा था, जिसकी कीमत 5 हजार करोड़ रुपये है।

90 के दशक में जय गुरुदेव को रामवृक्ष के खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद अपनी मौत से कुछ साल पहले जय गुरुदेव ने रामवृक्ष से सारे संबंध तोड़ लिए थे। जय गुरुदेव की मौत के बाद रामवृक्ष यादव जय गुरुदेव की हजारों करोड़ की संपत्ति पर कब्जा करना चाहता था।. लेकिन जय गुरुदेव ने अपनी संपत्ति अपने ड्राइवर पंकज यादव के नाम लिख दी थी। जय गुरुदेव के उत्तराधिकार के संघर्ष में पंकज यादव से मात खाने के बाद ही रामवृक्ष यादव ने मथुरा के जवाहर बागे में डेरा जमा लिया। वह यहां अपने कुछ समर्थकों के साथ दो दिन रुकने की प्रशासनिक अनुमति के साथ आया था। लेकिन सरकार और प्रशासन की लापरवाही का फायदा उठाकर वह यहां दो साल तक जमा रहा और हजारों हथियारबंद समर्थकों की फौज इकट्ठा करके प्रशासन को ही चुनौती देने लगा।

रामवृक्ष यादव जिसने मथुरा को आग के हवाले कर दिया। भगवान श्रीकृष्ण की इस पवित्र जन्मस्थली में ‘खून की होली’ खेली गई,जिसमें एसपी और थाना प्रभारी समेत 24 लोगों की जाने चलीं गईं। किसी भी शहर में किसी एसपी और थाना प्रभारी के सिर में गोली मारने की यह घटना वाकई रौंगटे खड़ी करने वाली ही नहीं बल्कि दहशत की पराकाष्ठा है। 2जून के दिन पुलिस का दल जब 5 हजार करोड़ की कीमत वाली 270 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण हटाने गया,तो वहां जमकर फायरिंग हुई, जिसमें एसपी मुकुल द्विवेदी और थाना प्रभारी संतोष कुमार यादव शहीद हो गए। इसके अलावा 24 लोग और भी मारे गए।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि गाजीपुर का रहने वाला रामवृक्ष यादव आखिर क्या इतना ताकतवर हो गया था कि उसने पुलिस पर हमला करने और दो आला अफसरों को मौत के घाट उतारने के खौफनाक काम को अंजाम दे डाला? रामवृक्ष यादव 15 मार्च 2014 को मथुरा आया था। उसके साथ 200 लोगों का जत्था भी था। उसने मथुरा के प्रशासन से आसरे की गुहार लगाई। रामवृक्ष यादव की गुहार पर स्थानीय प्रशासन ने मानवता दिखाते हुए उसे और उसके लोगों को केवल 2 दिन रहने की इजाजत दे दी, लेकिन प्रशासन को क्या पता था कि आने वाले वक्त में रामवृक्ष यादव उनके गले की हड्डी बन जाएगा। रामवृक्ष यादव ने दो दिन के आसरे का गलत फायदा उठाया। पहले उसने यहां एक झोपड़ी बनाई और फिर धीरे धीरे 270एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा कर डाला। महज तीन साल में उसने यहां अपनी सत्ता चलाई और लोगों को इकठ्ठाा करके वह इस जमीन का शहंशाह बन बैठा। यही नहीं इन तीन सालों में उस पर 10मुकदमें दर्ज हुए।

रामवृक्ष यादव पर इल्जाम है कि उसने जवाहरबाग की 270 एकड़ की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया। जो सरकारी अफसर उसे और उसके कुनबे को हटाने गए उन पर हमले किए। यही नहीं,उसने पुलिस अधिकारियों पर भी हमले करवाए। विजयपाल तोमर नामक एक याचिकाकर्ता जब रामवृक्ष के अवैध कब्जे के खिलाफ कोर्ट गए तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे खाली करवाने का आदेश दिया था।

इसके बाद मई में रामवृक्ष यादव इस आदेश के खिलाफ कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज करते हुए 50 हजार का जुर्माना भी लगाया था। लगातार तीन दिन से पुलिस इस जगह को खाली करने की घोषणा कर रही थी। इस दौरान वह शूटरों और अपराधियों को अपने कैंप में रखने लगा। हैंड ग्रेनेड, हथगोला,रायफल, कट्टे, कारतूस सभी छिपाकर जुटाए गए।

रामवृक्ष यादव आखिर एक दिन में तो इतना ताकतवर बन नहीं सकता? उसे जरूर राजनैतिक संरक्षण भी मिला हुआ है वरना किसी इंसान की इतनी औकात कि वह एसपी और थाना प्रभारी की गोली मारकर हत्या कर दे? एक सवाल यह भी है कि जब रामवृक्ष यादव अपनी सल्तनत फैला रहा था, तब स्थानीय खुफिया तंत्र क्या कुंभकर्ण की नींद सोया हुआ था? यह सब तामझाम राजनैतिक सरपरस्ती के बिना संभव ही नहीं है। बहरहाल, मथुरा जल रहा है और यह भी पता नहीं है कि यह आग कब ठंडी पड़ेगी?
तानाशाह-

रामवृक्ष एक तानाशाही तरह का इंसान था उसकी मांग थी की देश में सोने के सिक्कों का प्रचलन शुरू हो जाए। आजाद हिंद फौज के कानून माने जाएं और इसी की सरकार भारत में शासन करे। रामवृक्ष चाहता था की भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव रद्द किया जाए।, आज़ाद हिंद बैंक की करेंसी से लेन-देन किया जाए। इतना ही नहीं वह चाहता था कि देश में अंग्रेजों के समय से चल रहे कानून खत्म किए जाएं। पूरे देश में मांसाहार पर बैन लगाया जाए और मांसाहार करने वालों को सजा दी जाए

रामवृक्ष यादव जैसे सिरफिरे के इतना ताकतवर हो जाना सीधे तौर पर सरकारी और प्रशासनिक तंत्र के एक बार फिर से बुरी तरह फेल हो जाने की त्रासद घटना है।