बिहार के MP-MLA पर दर्ज है सबसे अधिक FIR, कानून को ठेंगा दिखाने में भाजपा नेता सबसे आगे

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ई बिहार है …यह डॉयलॉग तो आपने सुना ही होगा। यहां लोग समाज सेवा करने के लिए नहीं, बल्कि चेहरा चमकाने के लिए लोग नेतागिरी करते हैं। राजनीतिक पार्टी ज्वाइन करते हैं। विधायक और एमपी बनते हैं। इस दरौन कई अपराधिक घटनाओं को भी अंजाम देते हैं। ताजा अपडेट के अनुसार देश भर में बिहार के सांसद और विधायक महोदय पर सबसे अधिक केस दर्ज है है। इस बात का खुलासा केंद्र की मोदी सरकार के उस रिपोर्ट से हुआ है जिस सुप्रीम कोर्ट में सौंपा गया है।

इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार के सांसदों और विधायकों के खिलाफ सबसे ज्यादा 260 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल है, जबकि केरल तीसरे नंबर पर है। केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट दी गई जानकारी में यह खुलासा हुआ है।

लोक सभा के पांच और राज्य सभा के तीन सांसदों ने हलफनामे यह घोषणा की है कि उनके खिलाफ अपहरण के मामले दर्ज हैं। लोकसभा के जिन दो सांसदों ने अपहरण के मामलों की जानकारी दी है उनमें दो राजद के हैं, एक सांसद लोक जनशक्ति पार्टी(लोजपा) और तीसरा सांसद निर्दलीय है। वही राज्यसभा में बीजेपी, शिवसेना और समाजवादी पार्टी के एक-एक सांसदों पर इस तरह के मामले दर्ज हैं।जिन 64 सांसदों और विधायकों के खिलाफ अपहरण के केस दर्ज हैं, उनमें 17 राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अनाधिकृत दलों से जुड़े हुए हैं जबकि 4 सांसद और विधायक निर्दलीय हैं। यह बात नोट करने वाली है कि इन शीर्ष 16 नेताओं में सबसे अधिक बीजेपी से जुड़े हुए हैं। जबकि छह कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से ताल्लुक रखते हैं।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के ऐसे पांच नेता हैं जिन पर इस तरह के केस दर्ज हैं। वहीं बीजू जनता दल (बीजद) और द्रमुक के क्रमशः चार-चार नेता हैं जिनके खिलाफ अपहरण के मामले दर्ज हैं। समाजवादी पार्टी और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के तीन-तीन नेताओं के खिलाफ अपहरण जैसे मामले पंजीकृत हैं।11 राज्य विशेष अदालत बनाएंगे : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि कुल 11 राज्यों ने अपने यहां राजनेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए 12 स्पेशल कोर्ट बनाए जाने की अधिसूचना जारी कर दी है। इनमें से दो अदालतों का गठन दिल्ली में किया जाएगा। ऐसी अदालतों का गठन आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में होना है। इन अदालतों का सीमा क्षेत्र संपूर्ण राज्य होगा। जिन राज्यों में सांसदों विधायकों पर 65 से कम मामले होंगे वहां सुनवाई समान्य अदालतों में होगी।