जानिए, जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में देशभर में सबसे ज्यादा विदेशी भाषाएँ क्यों पढ़ाई जाती है

Like this content? Keep in touch through Facebook

नई दिल्ली : दिल्ली में बनी जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी भारत की फेमस यूनिवर्सिटी है। इसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा हासिल है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस यूनिवर्सिटी की स्थापना 29 अक्टूबर 1920 को अलीगढ़ में हुई। 22 नवंबर 1920 को हकीम अजमल खान जामिया के पहले चांसलर बने। अभी इसकी चांसलर पूर्व केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला हैं। सन 1988 में भारतीय संसद के अधिनियम के तहत इसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ। जानकारी के लिए बता दें कि उर्दू भाषा में जामिया का मतलब यूनिवर्सिटी से है और मिलिया का मतलब राष्ट्रीयता से है। सन 1925 में महात्‍मा गांधी के सहयोग से यह यूनिवर्सिटी अलीगढ़ से दिल्ली के करोलबाग शिफ्ट कर दी गई, जोकि वर्तमान में दिल्‍ली के जामिया नगर में स्थित है।

इंडिया टुडे-नीलसन की तरफ से भारत की बेस्‍ट यूनिवर्सिटी सर्वे के मुताबिक 2014 की लिस्‍ट में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी को आठवां स्‍थान दिया गया था। जामिया मिलिया में आर्टस से लेकर मीडिया और कई विदेशी भाषाओं की भी पढ़ाई होती है। जामिया मिलिया में डिपार्टमेंट ऑफ अरेबिक, डिपार्टमेंट ऑफ हिस्ट्री एंड कल्चर, डिपार्टमेंट ऑफ पर्शियन, डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमनिटीज़ एंड लेंग्वेजेस से लेकर एडवांस डिप्लोमा इन टर्किश और सर्टिफिकेट इन टर्किश जैसे कोर्सेस भी कराए जाते हैं।

हाल ही में व्यवसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विदेशी भाषा की शिक्षा पर जोर देते हुए कोरियाई, ताइवानी, मंडारिन, यूरोपीय अध्ययन के साथ भारतीय भाषा संस्कृत की पढ़ाई भी शुरू की जा रही है। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. तलत अहमद के मुताबिक विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय भाषा की शिक्षा पर जोर दे रहा है। इसके तहत कई नई विदेशी भाषाओं की पढ़ाई भी शुरू की गई है। इनमें हाल ही में कोरियाई, ताइवानी, मंडारिन जैसी भाषा प्रमुख हैं। हालांकि पहले से ही जर्मन, फ्रेंच की पढ़ाई कराई जा रही है। साथ ही बता दें कि जामिया मिलिया देश का पहला ऐसा शिक्षा संस्थान है जो तुर्की भाषा की पढ़ाई कराता है।

वीसी तलत अहमद के मुताबिक, यूनिवर्सिटी में संस्कृत का एक नया विभाग खोला गया है। इसके माध्यम से संस्कृत में स्नातक, स्नातकोत्तर, पीएचडी कोर्स पढ़ाये जायेंगे। उन्होंने बताया कि संस्कृत शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिये हमने विशेषज्ञों को जोड़ा है और इन विशेषज्ञों के सहयोग से प्राचीन और आधुनिक संस्कृत का समावेश करके पाठ्यक्रम तैयार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जामिया मिलिया इस्लामिया में संस्कृत में बीए ऑनर्स, स्नातकोत्तर, पीएचडी पाठ्यक्रम की पढ़ाई शुरू करवाई जा रही है।

जामिया मिलिया इस्लामिया और ताइवान की नेशनल काओसिंग नॉर्मल यूनिवर्सिटी के बीच अकादमिक सहयोग को और मजबूत बनाने के लिये सहमति पत्र पर साइन किये गए हैं। इसके तहत दोनों यूनिवर्सिटी मानविकी, शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और कला क्षेत्रों में शिक्षण एवं अनुसंधान में आपसी सहयोग करेंगे। ताइवान सरकार की भी इच्छा है कि दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के बीच विचारों के आदान प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देने के लिये यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट्स नाम से एक औपचारिक मंच बनाया जाए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिये ताइवान सरकार हर साल 1000 भारतीय छात्रों को छात्रवृत्तियां प्रदान करने की इच्छा रखती है ताकि वे हर साल अनुसंधान एवं अकादमिक कार्यो के लिये ताइवान आ सकें।

जेएनयू के विपरीत जामिया मिलिया में कभी भी देश विरोधी नारे और ऐसे काम नहीं सामने आए हैं। अभी दिवाली को लेकर भी यहां का माहौल काफी सकारात्मक था। हिंदू और मुस्लिम छात्रों ने साथ मिलकर दीए भी जलाएं थे। जामिया अपनी सेक्युलर छवि के लिए ही जानी जाती है। यहां पर पढ़ाई का माहौल काफी अच्छा है। साथ ही यह यूनिवर्सिटी विवादों से दूर रही है। ऐसा ही देश की तमाम यूनिवर्सिटीज खासकर जेएनयू को भी करना चाहिए ।