अमेरिका में हिंदी बनी नं. 1 तो तेलुगु बनी तेजी से बढ़ती दक्षिण एशियाई भाषा

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अमेरिका में बोली जाने वाली दक्षिण एशियाई भाषाओं में अब भी हिंदी पहले पायदान पर आती है, लेकिन सबसे तेजी से देश में बढ़ने वाली भाषाओं में तेलुगु ने अपना स्थान बना लिया है। अमेरिका स्थित सेंटर फॉर इमिग्रेशन के एक अध्ययन में वर्ल्ड इकानॉमिक फोरम के एक ऑनलाइन वीडियो के मुताबिक तेलुगु बोलने वाले अमेरिकियों की संख्या 2010 से 2017 के बीच 86 फीसदी बढ़ी है।

इस अध्ययन में अमेरिका में बोली जाने वाली भाषाओं के स्तर का अकलन करने के लिए जनगणना डाटा का विश्लेषण किया गया है। इसके मुताबिक अमेरिका में तेजी से बढ़ रही शीर्ष 10 भाषाओं में सात दक्षिण एशियाई भाषाएं हैं। सेंटर फॉर इमिग्रेशन के मुताबिक 2010 से 2017 के बीच स्पैनिश के 40 लाख से अधिक नए वक्ताओं के अलावा चीनी, अरबी और हिंदी के वक्ता बड़ी संख्या में थे। इनमें दक्षिण एशियाई भाषाओं में हिंदी आठ लाख दस हजार लोगों के साथ पहले नंबर पर बोली जाने वाली दक्षिण एशियाई भाषा है जबकि इसके बाद उर्दू, गुजराती और फिर तेलुगु का नंबर लगता है।

हालांकि तेलुगु भाषा अभी भी अंग्रेजी के अलावा अमेरिका में सबसे व्यापक स्तर पर बोली जाने वाली 20 प्रमुख भाषाओं में स्थान नहीं बना पाई है। लेकिन इसका इतना तेजी से बढ़ना बताता है कि अमेरिका में दक्षिण भारतीय तेलुगु भाषी लोगों का तेजी से प्रसार हो रहा है। बता दें कि अमेरिका की 32 करोड़ की कुल आबादी में छह करोड़ से ज्यादा लोग अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाएं बोलते हैं।

IT उद्योग में तेलुगु भाषियों की बढ़ी तादाद

अमेरिका में एक गैर-लाभकारी संगठन तेलुगु पीपुल्स फाउंडेशन के संस्थापक प्रसाद कुनिसेट्टी के मुताबिक तेलुगु भाषी लोग पिछले वर्षों में बहुत तेजी से एच-1 बी वीजा पर अमेरिका आए हैं। इसका बड़ा कारण हैदराबाद और अमेरिकी इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी उद्योग के बीच संबंध हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि 90 के दशक में आईटी उद्योग के तेजी से बढ़ने के कारण अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की भी मांग बढ़ी है। चू्ंकि हैदराबाद आईटी अध्ययन का एक बड़ा केंद्र बन गया है और यहां से पढ़ाई करके युवाओं का एच-1 बी वीजा पर अमेरिका आना आम बात हो गई है।