जानिये, डिप्रेसन से कैसे पायें छुटकारा : रोग, लक्षण और उपचार

आम तौर पर भावनाएं हमारे माहौल, सुख-दुख व तजुर्बों के अनुरूप हमें अच्छा या बुरे का अहसास कराती हैं, लेकिन बाइपोलर डिसआर्डर (मैनिक डिप्रेसन साईकोसिस) से ग्रस्त रोगी की भावनाओं में विकार पैदा हो जाता हैं। इस मनोरोग में रोगी बिनाकरण ही कुछ समय (चार से छः महीने) के लिए गंभीर रूप से उदास, हताश या डिप्रेशन की स्थिति में चला जाता हैं। रोग यही थमता नहीं हैं बल्कि

कुछ समय के बाद रोगी की मनोदशा फिर से बदलती हैं। मनोदशा में बदलाव के कारण रोगी अचानक उदासी के ठीक विपरीत अत्यधिक खुशी व स्फूर्तिवान महसूस करने लगता हैं।

 कारणः
आनुवांशिकता रूप से होने वाला यह रोग 1 से 2 प्रतिशत लोगों को होता हैं। इस रोग की शुरूआत किशोरावस्था में ही हो जाती हैं। कभी खुश होना और कभी उदासी या डिप्रेशन की स्थिति बार-बार सिलसिलेवार तरीके से जीवन भर भी चल सकती हैं।

मेनिया से संबंधित लक्षणः
मेनिया से यहां आशय मनोरोगी के अतिउल्लासित होने से हैं, जिसके प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं
1. रोगी को अचानक और बिना कारण असीमित शक्ति और उल्लास की अनुभूति होती हैं।
2. सच्चाई के विपरीत रोगी स्वयं को हैंसियत या धन-दौलत से ताकतवर समझने लगता हैं।
3. रोग भी गंभीर अवस्था में रोगी कभी-कभी स्वयं को ईश्वर या ईश्वर का दूत समझने लगता हैं।
4. अत्यधिक उत्तेजना के चलते रोगी सोना बंद कर देता हैं। वह घर से निकलकर पैसे बांटता हैं, महंगी वस्तुएं खरीदता हैं।
5. वह लोगों को बिना कारण ही मारपीट व तोड़फोड़ करता हैं।
6. मेनिया के बाद रोगी अनिश्चित समय (कुछ महीनों सु कुछ साल) तक सामान्य रूप से ठीक रहता हैं।

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डिप्रेशन के लक्षणः
1. रोगी निराशाग्रस्त महसूस करता हैं और उसका किसी कार्य में मन नहीं लगता।
2. वह बेचैनी महसूस करता हैं और अकेला रहना पसंद करता हैं। रोगी किसी ये मिलने या बात करने में स्वयं को बोझिल महसूस करता हैं।
3. रोगी नाकारात्मक विचारों से घिरा रहता हैं और स्वयं को असहाय महसूस करता हैं।
4. वही रोगी जो मैनिया की स्थिति के दौरान स्वयं को शक्तिशाली और ईश्वर समझ रहा होता हैं, अब वहीं डिप्रेशन की स्थिति में हताश के चलते आत्महत्या तक की सोचने लगता हैं।
5. इलाज के अभाव में डिप्रेशन की यह मनोदशा 6 से 9 महीनों तक चल सकती हैं।

उपचार:
मैनिक डिप्रेशन साइकोसिस में दवाओं का इलाज अनिवार्य हैं।
मेनिया के कारण बहुत अधिक मारपीट व तोड़फोड़ करने के चलते या फिर डिप्रेशन के चलते आत्महत्या के विचारों के आने पर रोगी को मानसिक अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती हैं।

मूड स्टेबलाइजर श्रेणी की दवाएं इस रोग के इलाज के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। इन दवाओं के सेवन से मेनिना व डिप्रेशन दोनों ही मनोदशाएं दो से तीन हफ्ते में ठीक हो जाती हैं। इन दवाओं के सेवन से रोगी बार-बार दोबारा मेनिया या डिप्रेशन में नहीं जाते और सामान्य जीवन व्यतीत करने लगते हैं।

 

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