कफ सीरफ पीने से 12 बच्चों की मौत, सुप्रीम कोर्ट में लंबित है मामला

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारतीय दवा कंपनी की उन चार दवाओं के खिलाफ अलर्ट जारी किया है, जिनके कारण गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत होने और गुर्दे को गंभीर पहुंचने की आशंका है। ये चार प्रोडक्ट प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मेकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रिप एन कोल्ड सिरप हैं।

गांबिया में कफ सीरप पीने से मौत का कारण सिरप में डायथाइलीन ग्लाइकॉल की अधिक मात्रा पाया जाना सामने आया है। यह डायथाइलीन ग्लाइकॉल जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में भी कहर बरपा चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, रामनगर तहसील में 2019-20 में कोल्ड बेस्ट पीसी सीरप पीने से 12 बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि 6 बच्चे दिव्यांग हो गए थे।

सुप्रीम कोर्ट में लंबित है उधमपुर मामला

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से भी यह मामला उठाया गया, जिसकी सिफारिश पर प्रदेश सरकार ने जान गंवाने वाले 12 शिशुओं के परिजनों को 3-3 लाख रुपये की मुआवजा राशि दी। आयोग ने जांच में पाया कि इसमें राज्य सरकार के ड्रग कंट्रोल विभाग से लापरवाही हुई, जिसने दवा की जांच ठीक से नहीं की। अनाधिकारिक आंकड़ों में मौतों की संख्या 14 बताई जाती है। बता दें कि केंद्र शासित प्रशासन की ओर से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी उठाया गया, जहां दूसरी याचिका पर सुनवाई लंबित है।

रिपोर्ट के मुताबिक, रामनगर में दिसंबर 2019 से जनवरी 2020 के बीच अचानक 12 शिशुओं की मौत हो गई थी। इससे जिले में हड़कंप मच गया। जांच में पता चला कि सभी बच्चों को स्थानीय दवा विक्रेता से सामान्य खांसी-जुकाम के लिए कोल्ड बेस्ट पीसी कफ सीरप पिलाई गई थी। इसका उत्पादन एमएस डिजिटल विजिन, कालाअंब (हिमाचल प्रदेश) ने किया था।

डायथाइलीन ग्लाइकॉल को लेकर चेतावनी

मालूम हो कि WHO ने कहा कि डायथाइलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाईकॉल से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, मूत्र त्यागने में दिक्कत, सिरदर्द, मानसिक स्थिति में बदलाव और गुर्दे को गंभीर नुकसान हो सकता है, जिससे मरीज की मौत भी हो सकती है। इन उत्पादों को तब तक असुरक्षित माना जाना चाहिए, जब तक संबंधित राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों की ओर से उनका विश्लेषण नहीं किया जाता।