दलित महिला की इज्जत से खुले आम खिलवाड़

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dalit mahilaपटना। ऐतिहासिक गांधी मैदान के बगल में अनुग्रह नारायण सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान है। यहां पर ऑक्सफैम इंडिया, वाटर एड और यूके एड के संयुक्त तत्तावधान में दलित महिलाओं पर उत्पीड़न और न्याय व्यवस्था पर जन सुनवाई आयोजित की गयी। इसमें 15 जिलों से 75 तरह के केस संग्रह किया गया। विभिन्न जगहों से आयी महिलाओं ने आपबीती बयान सांझा किया। जो काफी मार्मिक और ह्नदय विदारक लगा।

यह कड़वा सच है कि आजादी के 66 साल के बाद भी महादलित मुसहर समुदाय की महिलाओं की इज्जत तार-तार कर दी जा रही है। इनका नेतृत्व करने वाले नेता मात्रः कुर्सी से चिपककर रहना ही सीख लिये। उस मुकाम पर रहना है तो व्यवस्था के खिलाफ आग ऊंगले का मतलब सत्ता भोख से दरकिनार हो जाना है। खैर, महादलित अपने भाग्य के अनुसार दिक्कत को जन सुनवाई के माध्यम से उठाने में कामयाब हो सकी।

उसी कड़ी में अरूणा देवी है। जो धनश्याम यादव के आंतक से आंतकित है। धनश्याम यादव ने मॉडन तकनीकी के सहारे अरूणा देवी को कब्जाने में सफल हो गया। हालांकि अरूणा देवी का कहना है कि वह धनश्याम यादव से परेशान हैं। अपनी बेटी को धनश्याम यादव के कोपभाजन बनने से बचाने के लिए वह धनश्याम यादव के साथ हम बिस्तर हो गयी। इसके तुरन्त बाद ही नकार दी।

किशनगंज जिले में खगड़ा गांव में इलीम चौक, वार्ड नम्बर 9 में अरूणा देवी रहती हैं। प्रारंभ में अरूणा देवी ‘दो बूंद दवा और पोलियो हो जाए हवा की मुहिम से जुड़ी थीं। अरूणा देवी के पति दिलीप दास रिक्शा चालक है। उससे और हवाई अड्डा, पोठिया, ढेकाभिंजा के पास रहने वाले धनश्याम यादव के साथ सर्म्पक था। धनश्याम यादव निजी गाड़ी के चालक हैं। यह स्वाभाविक है कि रिक्शा चालक दिलीप दास और वाहन चालक धनश्याम के साथ मित्रता हो ही जाएगी। उसी का वह नाजायज फायदा उठाने लगे।

आगे अरूणा देवी कहती हैं कि उनको नामालूम कि कब वह अपने मोबाइल से मेरा फोटो खिंच लिया। उसने फोटो खिंचकर अपने और मेरे फोटो को मिलाकर ‘डबल’फोटो बना लिया। इसके बाद धनश्याम भायादोहन करना शुरू कर दिया। अगर शरीर नहीं सौंपती हो तो तुम्हारे पति दिलीप दास को फोटो दिखला दूंगा। उसका अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना। जब शरीर सौंपने से इंकार कर दिया तो वह धुर्त ने मेरे पतिदेव को फोटो दिखला ही दिया। फोटो देखकर संदेही पति दिलीप दास ने मुझे 2008 में त्याग दिया।
 

इसके बाद परिवार की माली हालत चरमरा गयी। काफी संकट झेलने के 2 साल बाद आई.ए. उर्त्तीण अरूणा देवी की नौकरी 2010 में अनुसूचित जाति सहकारिता निगम में झाड़ूदार के पद पर बहाल हो गयी। इसके बाद धनश्याम यादव मेरी बेटी बिन्दु कुमारी पर निशाना साधने लगा। बेटी को बचाने के लिए धनश्याम के सामने शरीर सौंप दी। इसके एवज में बेटी बच गयी। फिर भी इस दरिंदा से बचाने के लिए बेटी की शादी मैयके में जाकर कर दी। कारण कि यहां पर रहने से दुष्प्रचार भी करना शुरू कर दिया।

फिर हिम्मत करके स्थानीय थाना में जाकर धनश्याम यादव के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया। मामला दर्ज होने के बाद थाना पुलिस ने धनश्याम यादव के कॉलर पकड़कर जेल में डाल दिया। उस पर प्राथमिकी दर्ज संख्या 401/11 दिनांक 3 अक्तूबर, 2011 है। उस पर धारा 354/504/506/385 भा.द.सं. लगाया गया। इसके अलावे 3 (ग) एससी/एसटी एक्ट भी लागू है।

एक साल के बाद 2012 में जाकर जेल से आने के बाद धनश्याम यादव का और पर अधिक अत्याचार बढ़ गया। खुलेआम अपमानित करने लगा। फिर भी धनश्याम आक्रमण बंद नहीं हुआ। बाजारू औरत कहने लगा है। सदर हॉस्पिटल के दीवारों पर पोस्टर लगाकर बदनाम करने की बात करने लगा है। इस जालिम धनश्याम यादव से मुक्ति दिलवाने का आग्रह जन सुनवाई में आये लोगों से करने लगी।