उत्तराखंड में मौत का आकड़ा 10 हजार होने की आशंका

Like this content? Keep in touch through Facebook

dead-body-kedarnathजब उत्तराखंड में कुदरत के कहर के डेढ़ हफ्ते बाद राहत बचाव अभियान अब अंतिम चरण में हैं। उत्तराखंड विधानसभा के स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने तबाही में 10 हजार से भी ज्यादा लोगों की मौत की आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि तबाही के बाद कई श्रद्धालुओं का अंतिम संस्कार कर दिया गया है, लेकिन मलबे में दबे शवों को अभी निकाला नहीं जा सका है।

उनका कहना ही इस बात की तस्दीक करता है कि उत्तराखंड में प्रलय से हुई मौतों की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है। माना जा रहा है कि मौतों का आंकड़ा हजारों में हो सकता है लेकिन सरकारी आंकड़े ने अभी भी हजार की संख्या पार नहीं की है।

उत्तराखंड में आई बाढ़ से मची तबाही में जहां कई लोगों की जानें गईं, वहीं बहुत सी सड़कें, पुल, हाइडल प्रोजेक्ट्स, घरों और गेस्ट हाउस को भी बुरी तरह अपनी चपेट में ले लिया। स्थानीय लोगों का रोजगार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। चमोली जिले में अलकनंदा नदी ने अपना रास्ता बदल लिया है। बाढ़ से हुए नुकसान की वजह से अलकनंदा ने अचानक 100 मीटर दूरी पर अपना रास्ता बदल लिया। लोगों ने बताया कि किस तरह से इस बाढ़ में उन्होंने अपना सब कुछ गंवा दिया।

तो वहीँ दूसरी और उत्तराखंड के सीएम विजय बहूगुणा का कहना है कि मृतकों की संख्या के बारे में जो बात विधानसभा के स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने कही है वह गलत है। कुंजवाल ने कहा था कि हालात देखकर लगता है कि मृतकों की संख्या 10 हजार हो सकती है। सीएम ने प्रश्न किया कि स्पीकर को कहां से यह आंकड़ा मिला। इसके अलावा पूरे इलाके में बरबाद हुई सड़कों की मरम्मत में दो महीने का समय लगने की बाद भी सीएम बहूगुणा ने की।

उत्तराखंड में बाढ़ से तबाही के बाद वहां फंसे लोगों को निकाले जाने का सिलसिला जारी है। बद्रीनाथ इलाके में अब भी एक हजार से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं। खराब मौसम की वजह से उन्हें निकालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि अब तक 1 लाख 5 हजार 606 लोगों को बचाया गया है। वहीं प्रभावित इलाकों में अब भी 3,000 लोग लापता हैं। केदारनाथ में बारिश की वजह से पुजारियों को नहीं भेजा जा सका है, जहां फिर से पूजा शुरू होनी है।

उत्तराखंड में कुदरत के कहर के बाद जहां हजारों लोग राहत के लिए आस लगाए बैठे हैं, वहीं देशभर से भेजी जा रही राहत सामग्री जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है। वजह यह है कि ऋषिकेश से आगे जाने के लिए सरकार के पास कोई इंतजाम नहीं है। हादसे के इतने दिनों बाद भी गुप्तकाशी का कालीमठ इलाका देश से कटा हुआ है और वहां किसी तरह की मदद नहीं पहुंची है।

तो वहीँ सरकारी यह दवा कर रही है कि मटली, भटवारी, मनेरी और हर्सिल में फंसे सभी लोगों को निकाला जा चुका है। अगले तीन दिनों सरकार सभी प्रभावित इलाकों में खाने-पीने के साथ राहत का सामान पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। उत्तराखंड सरकार ने सभी जिले के डीएम को निर्देश दिए हैं कि जब तक सड़क मार्ग नहीं ठीक हो जाते तब तक हेलिकॉप्टर के जरिए स्थानीय लोगों को राहत का सामान पहुंचाया जाए।