इस दिवाली चीन का माल ज़रूर ख़रीदें- Ravish Kumar

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नई दिल्ली : रेहड़ी पटरी पर बैठ कर सस्ता माल बेचने वालों ध्यान से सुनो।मुझे पता है आपके पास ख़बरों का कूड़ेदान यानी अख़बार पढ़ने और चैनल देखने का वक्त नहीं है।जिनके पास फेसबुक और ट्वीटर पर उल्टियाँ करने का वक्त हैं वो आपके माल की जात पता करना चाहते हैं।ज़ोर शोर से अभियान चला रहे हैं कि इस दिवाली चीन का माल नहीं ख़रीदेंगे।पाकिस्तान का साथी चीन को सबक सीखाने के लिए इन लोगों ने आपके पेट पर लात मारने की योजना बनाई है।

थोक बाज़ार से अपना माल खरीद कर आप अपने अपने ज़िलों और क़स्बों की तरफ निकल चुके होंगे। चीन का माल आपकी गठरी में आ गया होगा कि इस दिवाली कुछ कमाकर बच्चों के नए कपड़े बनवायेंगे। बच्चों की फीस भरेंगे। फर्ज़ी राष्ट्रवादियों की नज़र आपकी कमाई ख़त्म करने पर है। ये लोग नुक्कड़ पर बैठी उस महिला की कमाई पर नज़र गड़ाए बैठें जो हज़ार दो हज़ार की लड़ियाँ फुलझड़ियाँ बेचकर अपने नाती-पोतों के लिए कुछ कमाना चाहती है।

चीन का माल नहीं ख़रीदना है तो इन्हें भारत सरकार पर दबाव डालना चाहिए कि वह चीन से आयात पर प्रतिबंध लगा दे। भारत में काम कर रही चीन कंपनियों को भगा दे। कारोबारियों का गला पकड़े कि वे चीन का माल न लायें।अरबों रुपये उनके भी दाँव पर लग गए हैं मगर वे तो छोटे दुकानदारों को बेच कर निकल चुके हैं। फिर जो माल बचा है उसे मंडी में जला कर दिखा सकते हैं कि वो राष्ट्रवाद के आगे पैसे की परवाह नहीं करते। क्या ऐसा होगा? कभी नहीं होगा लेकिन मोहल्ले में जो आपने ‘पुलिस को कुछ ले देकर’ पटरियाँ लगाई हैं कि इस दिवाली कुछ कमायेंगे,उन पर इन लोगों की नज़र है।

चीन के ख़िलाफ़ अभियान ही चलाना है तो यह भी चले कि किस किस कंपनी का निवेश चीन में है।पूरी लिस्ट आए कि इनका माल नहीं ख़रीदेंगे और ख़रीद लिया है तो उसे कूड़ेदान में फेंक देंगे।उन कंपनियों से कहा जाए कि अपना निवेश वापस लायें ।अपने माल का आर्डर कैंसल करें।भारत में जहाँ जहाँ चीन है उसे खदेड़ देना चाहिए।सरकार से बयान दिलवाना चाहिए कि वे चीन के माल का बहिष्कार कर रहे हैं इसलिए कंपनियाँ वहाँ के लोगों से कारोबार न करें। वहाँ से माल लाकर यहाँ के लोगों को न बेचें।

क्या ऐसा होगा? राष्ट्रवाद के नाम पर सिर्फ ग़रीब को ही जान और माल का इम्तहान क्यों देना पड़ता है? आपने जो माल ख़रीदा है वो बेशक चीन का होगा लेकिन पैसा तो आपका है। उस माल का मालिकाना हक़ आपका है। अगर इन फेसबुकिये राष्ट्रवादियों को चीनी माल से इतनी नफरत है तो ये अपने घरों से पहले से ख़रीदे गए चीन माल बाहर निकालें और उनकी होलिका जला दें।अपना स्मार्ट फोन क्यों नहीं शहर के मुख्य चौराहे पर फेंक देते हैं?सिर्फ दिवाली के वक्त ग़रीब दुकानदारों के ख़िलाफ़ ये साज़िश क्यों हो रही है?ये राष्ट्रवाद नहीं है बल्कि पूरी योजना है कि कैसे इसी के नाम पर ग़रीबों के सवाल को ग़ायब कर दिया जाए। ग़रीब को ही ग़ायब कर दिया जाए।

अगर चीन के माल का विरोध करना ही है तो ऐसा करने जा रहे उन लोगों से गुज़ारिश है कि चीन माल बेच रहे दुकानदारों को घाटा न होने दें।उनसे माल ख़रीदें और फिर होलिका जला दें।जिन लोगों से आप माल लेकर आये हैं,उनका तो काम हो गया है।उन्हें तो पैसा मिल गया है। राष्ट्रवाद के नाम पर अपनी हर कमियों को ढँकने वाले ये लोग कैसे आपकी पेट पर लात मार सकते हैं? सरकार ने चीन से कारोबार करने के लिए बहुत सी नीतियाँ बनाई होंगी। क्या वे सब भी रद्द की जा रही हैं?

सावधान रहियेगा। चीन के नाम पर आपका घर जलाया जा रहा है। अमरीका ने जापान के दो शहरों पर परमाणु बम गिरा कर लाखों लोगों को मार दिया था। वही जापान आज अमरीका को ट्योटा कार बेच रहा है। पाकिस्तान से अभी तक बाकी कारोबार चल ही रहा है। उसके रद्द होने का औपचारिक एलान नहीं हुआ है तो China के माल के बहिष्कार क्यों हो रहा है?

इसलिए जो ग़रीब हैं वो यह समझें कि कुछ लोग राष्ट्रवाद के नाम पर वीडियो गेम खेल रहे हैं।आपकी आवाज़ वैसे ही मीडिया से बेदख़ल कर दी गई है। अब आपको पटरी से भी ग़ायब करने के लिए कभी China तो कभी पाकिस्तान के माल के विरोध का शिगूफ़ा छोड़ा जा रहा है।
आपका

(NDTV से जुड़ें चर्चित पत्रकार रवीश कुमार के ब्लॉग से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)