लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस्तीफा

Like this content? Keep in touch through Facebook

niiiiiपटना: लोकसभा चुनाव में जेडीयू के खराब प्रदर्शन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा दे दिया, जिसे राज्यपाल डॉ. डीवाई पाटिल ने स्वीकार लिया है।

खबर यह भी है कि नीतीश कुमार ने राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश की है। गौरतलब है कि शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के जो नतीजे आए थे, इसमें नीतीश की पार्टी जेडीयू का प्रदर्शन बेहद ही खराब रहा। 2009 में 20 सीट जीतने वाली जेडीयू मात्र 2 सीट ही जीत सकी।  बदहाली का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पार्टी अध्यक्ष शरद यादव भी मधेपुरा सीट से चुनाव हार गए। इसके बाद से ही राजनीतिक विरोधी नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे थे।

राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद नीतीश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, ‘बिहार में अपनी पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व मैं कर रहा था और जो चुनाव परिणाम आए हैं, उसकी नैतिक जिम्मेदारी मैं लेता हूं और मुझे लेना भी चाहिए। चुनाव के दौरान हमने सारी मर्यादाओं का पालन करते हुए मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ा और जो भी काम हमने किया था उसकी को लेकर चुनाव अभियान में उतरे थे। लेकिन जो हार हुई है उसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मैंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा दे दिया है’।

न्होंने कहा, ‘जो चुनाव परिणाम आए हैं, उसका विस्तृत विश्लेषण तो बाद में किया जाएगा, लेकिन बिहार में जो चुनाव नतीजे आए हैं, वह इस ओर इशारा करते हैं कि किस तरह कम्युनल लाइन पर ध्रुवीकरण हुआ और वह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

इसके साथ ही नीतीश ने कहा कि लोकसभा चुनाव के जो भी परिणाम आए हैं उसको वे स्वीकारते हैं। नरेंद्र मोदी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जनादेश मिला और उनकी पूरी शुभकामनाएं हैं। वह सरकार की कमान संभालेंगे और देश में जो इतनी विविधताएं हैं, उसका सम्मान करते हुए आगे बढ़ेंगे। हालांकि यहां नीतीश ने साफ कि उन्होंने राज्यपाल को मुख्यमंत्री पद और अपने मंत्रिमंडल का इस्तीफा सौंपा है, विधानसभा भंग करने की शिफारिश नहीं की है।

नीतीश से यह पूछे जाने पर कि भाजपा के साथ पिछले वर्ष नाता तोड़ने का निर्णय का क्या गलत था, नीतीश कुमार ने कहा कि बिल्कुल सही निर्णय था और यह बहुत जरूरी था तथा वह किसी रणनीति के तहत लिया गया निर्णय नहीं था।

उन्होंने कहा कि जदयू का भाजपा से नाता तोड़ने का निर्णय सिद्धांत के आधार पर लिया गया था और उसके बाद हमलोगों ने स्पष्ट तौर पर उसके कारणों की व्याख्या भी की थी उसकी पृष्ठभूमि महीनों से तैयार हुई थी। नीतीश ने कहा कि परिणामों के आधार पर हम अपने निर्णयों को नहीं आंकते। परिणाम कभी अच्छे आएंगे कभी नहीं आएंगे।

बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने तो यहां तक दावा कर दिया कि उनके संपर्क में जेडीयू के करीब 50 विधायक हैं। वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। दूसरी तरफ, हाल ही में एनडीए में शामिल होने वाले एलजेपी प्रमुख रामविलास पासवान ने अपनी पार्टी के शानदार प्रदर्शन के बाद शनिवार को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपने समर्थकों को चेताया था कि बिहार में सरकार कभी भी गिर सकती है।

अक्टूबर तक चुनाव हो सकते हैं. इसलिए एनडीए कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहना चाहिए। राजनीतिक विरोधि‍यों ने नीतीश कुमार के इस्तीफे को सियासी ढोंग करार दिया है।  उन्होंने सवाल उठाया है कि नीतीश ने करारी हार के बाद सहानुभूति पाने के लिए ऐसा किया है। पर उन्हें कोई फायदा नहीं मिलने वाला।