दंगाइयों पर योगी सरकार की नकेल, लाया गया रिकवरी के लिए अध्यादेश

Uttar Pradesh Chief Minister Adityanath Yogi during an inspection of Gomti Riverfront, one of the ambitious projects of Akhilesh Yadav-led Samajwadi Party government, in Lucknow on Monday. Express Photo by Vishal Srivastav. 27.03.2017. *** Local Caption *** Uttar Pradesh Chief Minister Adityanath Yogi during an inspection of Gomti Riverfront, one of the ambitious projects of Akhilesh Yadav-led Samajwadi Party government, in Lucknow on Monday. Express Photo by Vishal Srivastav. 27.03.2017.

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शुक्रवार शाम हुई कैबिनेट की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए दंगे के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए अध्यादेश पास कर दिया है। कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है। कैबिनेट बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी ऑर्डिनेंस 2020 लाने का प्रस्ताव पारित किया गया है। नुकसान की क्षतिपूर्ति इसी अध्यादेश के अन्तर्गत है। इस अध्यादेश के लागू होने के बाद यूपी में अब किसी आंदोलन, धरना प्रदर्शन में अगर सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाएगा तो उसकी क्षतिपूर्ति की व्यवस्था इसी में की जाएगी।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने के आरोपितों के पोस्टर और होर्डिंग लगाने के मामले में हाई कोर्ट ने इन्हें हटाने का आदेश दिया है। इस आदेश के खिलाफ योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बड़ी बेंच में स्थानांतरित कर दिया। इस बीच योगी सरकार ने कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश पब्लिक प्राइवेट प्रॉपर्टी एंड रिकवरी अध्यादेश पारित कर दिया है। इस अध्यादेश को लखनऊ पोस्टर मामले से ही जोड़कर देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि योगी सरकार जल्द ही इसकी नियमावली भी लाएगी।

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लखनऊ में शुक्रवार को लोकभवन में योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में 30 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। इसकी जानकारी देते हुए सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में 30 प्रस्तावों को मंजूरी मिली है। इसमें सबसे अहम यह है कि सरकार ने उत्तर प्रदश रिकवरी पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश को भी पास किया गया है।

सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा फैलाने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के लखनऊ में पोस्टर लगाने के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण मानते हुए तीन न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को विचार के लिए भेज दिया है। वैसे हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल कोई रोक नहीं है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान जहां प्रदेश सरकार ने कार्रवाई को जायज ठहराते हुए इसे निजता के अधिकार के दायरे से बाहर बताया तो वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की बात तो मानी, लेकिन व्यक्ति और सरकार के अधिकार में भिन्नता जताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार की कार्रवाई के पीछे कानूनी आधार नजर नहीं आता है। व्यक्ति तब तक कुछ कर सकता है जबतक कानून में उसकी मनाही न हो लेकिन सरकार वही कर सकती है जिसकी कानून इजाजत देता हो।

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