योंगेंद्र और प्रशांत ने चिट्ठी लिखकर केजरीवाल पर लगाए कई आरोप

नई दिल्ली: नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी में जारी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही। योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की पार्टी से छुट्टी को लेकर मीडिया में चल रही खबरों के बीच योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने एक ‘लेटर बम’ जारी करके कार्यकर्ताओं को पूरी बात समझाने की कोशिश की है।

आम आदमी पार्टी की पीएसी से निकाले जाने के बाद पार्टी के सीनियर लीडर योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने अरविंद और उनके सिपहसालारों पर आज खुलकर हमला बोल दिया। योगेंद्र और प्रशांत ने आज साझा बयान जारी कर अरविंद पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद वे कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहते थे।

योगेंद्र ने साफ कहा कि आप में संयोजक पद का कोई मुद्दा न था और न है। उनका आरोप है कि हार के बाद अरविंद, मनीष और अन्य मिलकर पीएसी को भंग करना चाहते थे ताकि विरोधी स्वरों को बंद किया जा सके। इसके अलावा राज्यों में चुनाव लड़ने के फैसले और अनुशासन समिति की जांच रोकने का आरोप भी लगाया।

उन्होंने पार्टी से कल के बयान वाली चिट्ठी भी जारी करने को भी कहा और अपने खिलाफ आरोपों की लोकपाल से जांच की मांग भी की। योगेंद्र ने कहा कि मैंने और प्रशांत ने मिलकर पार्टी के सभी वालंटियर्स से कहा है कि वे जो कुछ भी जानते हैं, वह सब कुछ बताएं।

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इस बड़े हमले के बाद कुमार विश्वास ने अरविंद के बचाव में आते हुए कहा की ये पहला अवसर नहीं है। सत्य की लड़ाई में ऐसे भीषण मौक़े चार वर्षों में बार आए और मुंह की खाकर गए। आख़िरकार सच ही जीतेगा।

योंगेंद्र और प्रशांत के आरोप:

  1. लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के साथ सरकार बनाना चाहते थे अरविंद, जिसका उन्होंने विरोध किया।
  2. हार के बाद पीएसी भंग करने का प्रस्ताव मनीष सियोदिया और संजय सिंह का था।
  3. आप में संयोजक पद का कोई मुद्दा न था और न है।
  4. नीतियों का विरोध किया तभी से मतभेद शुरू हुए।
  5. केजरीवाल राज्यों में चुनाव लड़ने के फैसले के खिलाफ। किसी भी राज्य में प्रचार नहीं करने की धमकी दी थी।
  6. गलत पोस्टर जारी करने वाले अमानतुल्लाह को टिकट दी। ओखला प्रभारी भी बनाया।
  7. दिल्ली में संगीन आरोपियों को टिकट दिया गया।
  8. दो करोड़ के चैक की जांच कराई जाए।
  9. जिन उम्मीदवारों के पास शराब पकड़ी गई, उनकी जांच हो।
  10. नैतिक मूल्यों की रक्षा और कार्यकर्ताओं की बात सुनने के लिए कमेटी बने।
  11. स्थानीय निकायों के चुनाव का फैसला राज्य कमेटी ले।

 

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